रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई
रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई - जा पर कृपा राम की होई।ता पर कृपा करहिं सब कोई॥जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।

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रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई – निचे रामायण की चौपाइयां दी गई है इसका वीडियो भी निचे दिया गया है

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई
रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

बिनु सत्संग विवेक न होई। 
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥

जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥

जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई संगीत

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई अर्थ सहित

बिनु सत्संग विवेक न होई। 
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परस कुघात सुहाई॥ 

अर्थ : सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम जी की कृपा के बिना वह सत्संग नहीं मिलता, सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है।

जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

अर्थ : जिन पर राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू तक नहीं सकता। परमात्मा जिस पर कृपा करते है उस पर तो सभी की कृपा अपने आप होने लगती है । और जिनके अंदर कपट, दम्भ (पाखंड) और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति बसते हैं अर्थात उन्हीं पर प्रभु की कृपा होती है।

कहेहु तात अस मोर प्रनामा।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥

अर्थ : हे तात ! मेरा प्रणाम और आपसे निवेदन है – हे प्रभु! यद्यपि आप सब प्रकार से पूर्ण काम हैं (आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है), तथापि दीन-दुःखियों पर दया करना आपका विरद (प्रकृति) है, अतः हे नाथ ! आप मेरे भारी संकट को हर लीजिए (मेरे सारे कष्टों को दूर कीजिए)॥

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥

अर्थ : हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।

जासु नाम जपि सुनहु भवानी।
भव बंधन काटहिं नर ग्यानी॥
तासु दूत कि बंध तरु आवा।
प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा॥

अर्थ : (शिवजी कहते हैं) हे भवानी सुनो – जिनका नाम जपकर ज्ञानी मनुष्य संसार रूपी जन्म-मरण के बंधन को काट डालते हैं, क्या उनका दूत किसी बंधन में बंध सकता है? लेकिन प्रभु के कार्य के लिए हनुमान जी ने स्वयं को शत्रु के हाथ से बंधवा लिया।

एहि महँ रघुपति नाम उदारा।
अति पावन पुरान श्रुति सारा॥
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥

अर्थ : रामचरितमानस में श्री रघुनाथजी का उदार नाम है, जो अत्यन्त पवित्र है, वेद-पुराणों का सार है, मंगल (कल्याण) करने वाला और अमंगल को हरने वाला है, जिसे पार्वती जी सहित स्वयं भगवान शिव सदा जपा करते हैं।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥

अर्थ : जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे। अर्थात इस विषय में तर्क करने से कोई लाभ नहीं।  (मन में) ऐसा कहकर भगवान शिव हरि का नाम जपने लगे और सती वहाँ गईं जहाँ सुख के धाम प्रभु राम थे।

करमनास जल सुरसरि परई,
तेहि काे कहहु सीस नहिं धरई।
उलटा नाम जपत जग जाना,
बालमीकि भये ब्रह्म समाना।।

अर्थ: कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यदि गंगा में पड़ जाए तो कहो उसे कौन नहीं सिर पर रखता है? अर्थात अशुद्ध जल भी गंगा के समान पवित्र हो जाता है। सारे संसार को विदित है की उल्टा नाम का जाप करके वाल्मीकि जी ब्रह्म के समान हो गए।

अनुचित उचित काज कछु होई,
समुझि करिय भल कह सब कोई।
सहसा करि पाछे पछिताहीं,
कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।

अर्थ: किसी भी कार्य का परिणाम उचित होगा या अनुचित, यह जानकर करना चाहिए, उसी को सभी लोग भला कहते हैं। जो बिना विचारे काम करते हैं वे बाद में पछताते हैं,  उनको वेद और विद्वान कोई भी बुद्धिमान नहीं कहता।

सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।
नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।
जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥

अर्थ : हे नाथ ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि (अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि (खोटी बुद्धि) सबके हृदय में रहती है, जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख और समृद्धि) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ विभिन्न प्रकार की विपत्ति (दुःख) का वाश होता है।

कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥

अर्थ : हे पवनसुत हनुमान जी जगत में ऐसा कौन सा कार्य है जिसे आप नहीं कर सकते, संसार का कठिन से कठिन कार्य भी आपके स्मरण मात्र से सरल हो जाता है । अर्थात आपकी कृपा से जगत के सभी दुष्कर कार्य क्षणभर में पूर्ण हो जाते हैं।

एहि तन कर फल बिषय न भाई।
स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥
नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।
पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥

अर्थ : हे भाई! इस शरीर के प्राप्त होने का फल विषयभोग नहीं है (इस जगत् के भोगों की तो बात ही क्या) स्वर्ग का भोग भी बहुत थोड़ा है और अंत में दुःख देने वाला है। अतः जो लोग मनुष्य शरीर पाकर विषयों में मन लगा देते हैं, वे मूर्ख अमृत को बदलकर विष पी लेते हैं। (अतः इस शरीर को सत्कर्म में लगाना चाहिए।)

सो धन धन्य प्रथम गति जाकी।
धन्य पुन्य रत मति सोई पाकी॥
धन्य घरी सोई जब सतसंगा।
धन्य जन्म द्विज भगति अभंगा॥

अर्थ : वह धन धन्य है, जिसकी पहली गति होती है (जो दान देने में व्यय होता है) वही बुद्धि धन्य है, जो पुण्य में लगी हुई है। वही घड़ी धन्य है जब सत्संग हो और वही जन्म धन्य है जिसमें ब्राह्मण की अखंड भक्ति हो। (धन की तीन गतियां होती हैं – दान, भोग और नाश। दान उत्तम है, भोग मध्यम है और नाश नीच गति है। जो पुरुष ना दान करता है, ना भोगता है, उसके धन की तीसरी गति होती है।)

ह्रदय बिचारति बारहिं बारा,
कवन भाँति लंकापति मारा।
अति सुकुमार जुगल मम बारे,
निशाचर सुभट महाबल भारे।।

अर्थ:  जब श्रीरामचंद्रजी रावण का वध करके वापस अयोध्या लौटते हैं, तब माता कौशल्या अपने हृदय में बार-बार यह विचार कर रही हैं कि इन्होंने रावण को कैसे मारा होगा। मेरे दोनों बालक तो अत्यंत सुकुमार हैं और राक्षस योद्धा तो महा बलवान थे। इस सबके अतिरिक्त लक्ष्मण और सीता सहित प्रभु राम जी को देखकर मन ही मन परमानंद में मग्न हो रही हैं।

गुर बिनु भव निध तरइ न कोई।
जौं बिरंचि संकर सम होई॥

अर्थ : गुरु के बिना कोई भी भवसागर पार नहीं कर सकता, चाहे वह ब्रह्मा जी और शंकर जी के समान ही क्यों ना हो। गुरु का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है और बिना ज्ञान के परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती।

भक्ति हीन गुण सब सुख कैसे,
लवण बिना बहु व्यंजन जैसे।
भक्ति हीन सुख कवने काजा,
अस बिचारि बोलेऊं खगराजा॥

अर्थ : भक्ति के बिना गुण और सब सुख ऐसे फीके हैं, जैसे नमक के बिना विभिन्न प्रकार के व्यंजन। भजन विहीन सुख किस काम का। यह विचार कर पक्षीराज कागभुशुण्डि जी बोले- (यदि आप मुझ पर प्रसन्न हो तो हे शरणागतों के हितकारी, कृपा के सागर और सुख के धाम कृपा करके मुझे अपनी भक्ति प्रदान कीजिए।)

एक पिता के बिपुल कुमारा,
होहिं पृथक गुन शीला अचारा।
कोउ पंडित कोउ तापस ज्ञाता,
कोउ धनवंत वीर कोउ दाता॥

अर्थ : प्रभु श्री रामचंद्र जी बोले- एक ही पिता के बहुत से पुत्र होते हैं परंतु गुण और सील तथा आचरण में भिन्न भिन्न होते हैं। उनमें कोई पंडित, कोई तपस्वी, कोई ज्ञानी, कोई धनवान, कोई वीर और कोई दानी होता है।

कोउ सर्वज्ञ धर्मरत कोई,
सब पर पितहिं प्रीति सम होई।
कोउ पितु भक्त बचन मन कर्मा,
सपनेहुं जान न दूसर धर्मा॥

अर्थ : कोई सर्वज्ञ और कोई धर्म में तत्पर होता है, परंतु पिता की प्रीति सब पर समान होती है। यदि कोई पुत्र मन वचन और कर्म से पिता का भक्त है और वह दूसरा धर्म स्वप्न में भी नहीं जानता तो

सो सूत प्रिय पितु प्रान समाना,
यद्यपि सो सब भांति अज्ञाना।
एहि विधि जीव चराचर जेते,
त्रिजग देव नर असुर समेते॥

अर्थ : वह पुत्र पिता को प्राणों के समान प्रिय होता है, भले ही वह सब तरह से मूर्ख ही क्यों ना हो। प्रभु श्री रामचंद्र जी कह रहे है- ठीक इसी प्रकार से तीनों लोकों में देवता, मनुष्य और दैत्यों के सहित जड़ चेतन जितने भी जीव हैं। (उन सभी पर मेरी बराबर कृपा बनी रहती है। )

अखिल विश्व यह मम उपजाया,
सब पर मोहिं बराबर दाया।
तिन्ह महं जो परिहरि मद माया,
भजहिं मोहिं मन वचन अरु‌ काया॥

अर्थ : यह अखिल संसार मेरा उत्पन्न किया हुआ है और सब पर मेरी बराबर दया रहती है, उनमें जो भी जीव अभिमान और माया छोड़कर मन, वचन और शरीर से मुझे भजते हैं, वे सेवक मुझे प्राणों के समान प्यारे हैं।

नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं,
संत मिलन सम सुख कछु नाहीं।
पर उपकार बचन मन काया,
संत सहज सुभाव खग राया॥

अर्थ : संसार में दरिद्रता के समान कोई दूसरा दुख नहीं, संत समागम (संतों से मिलन) के समान कोई सुख नहीं है। हे पक्षीराज! वचन मन और शरीर से परोपकार करना संतो का यह स्वभाव है।

संत सहहिं दुख परहित लागी,
पर दुख हेतु असंत अभागी।
भूर्ज तरु सम संत कृपाला,
परहित निति सह बिपति बिसाला॥

अर्थ : संत दूसरों की भलाई के लिए दुख सहते हैं अभागे दुर्जन दूसरों को दुख देने के लिए स्वयं कष्ट सहते हैं। संत जन भोजपत्र के समान हैं जो दूसरों के कल्याण के लिए नित्य विपत्ति सहते हैं।( और दुष्टजन पराई संपत्ति नाश करने हेतु स्वयं नष्ट हो जाते हैं, जैसे ओले खेतों को नाश करके स्वयं नष्ट हो जाते हैं।)

श्याम गात राजीव बिलोचन,
दीन बंधु प्रणतारति मोचन।
अनुज जानकी सहित निरंतर,
बसहु राम नृप मम उर अन्दर॥

अर्थ:  तुलसीदास जी कहते हैं कि हे श्रीरामचंद्रजी  ! आप श्यामल शरीर, कमल के समान नेत्र वाले, दीनबंधु और संकट को हरने वाले हैं। हे राजा रामचंद्रजी आप निरंतर लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में निवास  कीजिए।

धन्य देश सो जहं सुरसरी।
धन्य नारी पतिव्रत अनुसारी॥
धन्य सो भूपु नीति जो करई।
धन्य सो द्विज निज धर्म न टरई॥

अर्थ : वह देश धन्य है, जहां गंगा जी बहती हैं। वह स्त्री धन्य है जो पतिव्रत धर्म का पालन करती है। वह राजा धन्य है जो न्याय करता है और वह ब्राह्मण धन्य है जो अपने धर्म से नहीं डिगता है।

अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर,
भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर।
काम क्रोध मद गज पंचानन,
बसहु निरंतर जन मन कानन।।

अर्थ:  तुलसीदास जी कहते हैं कि हे गुणों के मंदिर ! आप सगुण और निर्गुण दोनों है। आपका प्रबल प्रताप सूर्य के प्रकाश के समान  काम, क्रोध, मद और अज्ञानरूपी अंधकार का नाश करने वाले हैं। आप सर्वदा ही अपने भक्तजनों के मनरूपी वन में निवास करते हैं।

मोहमूल बहु सूल प्रद त्यागहु तुम अभिमान।
भजहु राम रघुनायक कृपा सिंधु भगवान॥

 अर्थ : मोह ही जिनका मूल है, ऐसे (अज्ञानजनित), बहुत पीड़ा देने वाले, तमरूप अभिमान का त्याग कर दो और रघुकुल के स्वामी, कृपा के समुद्र भगवान श्री रामचंद्रजी का भजन करो।

Ramayan Chaupai Lyrics With English Meaning

बिनु सत्संग विवेक न होई। 
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परस कुघात सुहाई॥ 

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम जी की कृपा के बिना वह सत्संग नहीं मिलता, सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – There is no wisdom without satsang and without the grace of Ram ji one cannot get that satsang, satsang is the root of happiness and well-being. Even the wicked improve after getting good company, just as iron turns into beautiful gold by the touch of Paras.

जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – जिन पर राम की कृपा होती है, उन्हें कोई सांसारिक दुःख छू तक नहीं सकता। परमात्मा जिस पर कृपा करते है उस पर तो सभी की कृपा अपने आप होने लगती है । और जिनके अंदर कपट, दम्भ (पाखंड) और माया नहीं होती, उन्हीं के हृदय में रघुपति बसते हैं अर्थात उन्हीं पर प्रभु की कृपा होती है।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Those who are blessed by Ram, no worldly sorrow can touch them. On whomever God blesses, everyone’s blessings automatically start flowing to him. And only those who do not have deceit, arrogance (hypocrisy) and illusion, Raghupati resides in their heart, that is, only they have the blessings of God.

कहेहु तात अस मोर प्रनामा।
सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी।
हरहु नाथ मम संकट भारी॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – हे तात ! मेरा प्रणाम और आपसे निवेदन है – हे प्रभु! यद्यपि आप सब प्रकार से पूर्ण काम हैं (आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है), तथापि दीन-दुःखियों पर दया करना आपका विरद (प्रकृति) है, अतः हे नाथ ! आप मेरे भारी संकट को हर लीजिए (मेरे सारे कष्टों को दूर कीजिए)॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Oh father! I salute you and request you – O Lord! Although you are complete in every way (you have no desires), yet it is your nature to have mercy on the poor and the distressed, hence O Lord! You take away my heavy trouble (take away all my troubles)॥

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए।
कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Hari is infinite (no one can surpass him) and his story is also infinite. All the saints hear and speak about him in many ways. The beautiful characters of Ramchandra cannot be sung even in millions of Kalpas.

जासु नाम जपि सुनहु भवानी।
भव बंधन काटहिं नर ग्यानी॥
तासु दूत कि बंध तरु आवा।
प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – (शिवजी कहते हैं) हे भवानी सुनो – जिनका नाम जपकर ज्ञानी मनुष्य संसार रूपी जन्म-मरण के बंधन को काट डालते हैं, क्या उनका दूत किसी बंधन में बंध सकता है? लेकिन प्रभु के कार्य के लिए हनुमान जी ने स्वयं को शत्रु के हाथ से बंधवा लिया।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – (Shivji says) O Bhavani, listen – by chanting whose name wise people cut the bondage of birth and death in the world, can their messenger be tied in any bondage? But for the sake of God, Hanuman ji got himself tied by the enemy.

एहि महँ रघुपति नाम उदारा।
अति पावन पुरान श्रुति सारा॥
मंगल भवन अमंगल हारी।
उमा सहित जेहि जपत पुरारी॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – रामचरितमानस में श्री रघुनाथजी का उदार नाम है, जो अत्यन्त पवित्र है, वेद-पुराणों का सार है, मंगल (कल्याण) करने वाला और अमंगल को हरने वाला है, जिसे पार्वती जी सहित स्वयं भगवान शिव सदा जपा करते हैं।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – There is a generous name of Shri Raghunathji in Ramcharitmanas, which is very sacred, is the essence of Vedas and Puranas, brings good (welfare) and defeats evil, which is always chanted by Lord Shiva himself along with Parvati ji.

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥
अस कहि लगे जपन हरिनामा।
गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा। तर्क करके कौन शाखा (विस्तार) बढ़ावे। अर्थात इस विषय में तर्क करने से कोई लाभ नहीं।  (मन में) ऐसा कहकर भगवान शिव हरि का नाम जपने लगे और सती वहाँ गईं जहाँ सुख के धाम प्रभु राम थे।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Whatever has been created by Ram will happen. Who will expand the branch by reasoning? That means there is no use in arguing about this matter. Saying this (in mind) Lord Shiva started chanting the name of Hari and Sati went to the place where Lord Ram was the abode of happiness.

करमनास जल सुरसरि परई,
तेहि काे कहहु सीस नहिं धरई।
उलटा नाम जपत जग जाना,
बालमीकि भये ब्रह्म समाना।।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यदि गंगा में पड़ जाए तो कहो उसे कौन नहीं सिर पर रखता है? अर्थात अशुद्ध जल भी गंगा के समान पवित्र हो जाता है। सारे संसार को विदित है की उल्टा नाम का जाप करके वाल्मीकि जी ब्रह्म के समान हो गए।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – If the water of Karmanas (even the most impure water) falls into the Ganga, then tell me, who does not keep it on the head? That means even impure water becomes pure like Ganga. It is known to the whole world that by chanting Ulta Naam, Valmiki ji became like Brahma.

अनुचित उचित काज कछु होई,
समुझि करिय भल कह सब कोई।
सहसा करि पाछे पछिताहीं,
कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – किसी भी कार्य का परिणाम उचित होगा या अनुचित, यह जानकर करना चाहिए, उसी को सभी लोग भला कहते हैं। जो बिना विचारे काम करते हैं वे बाद में पछताते हैं,  उनको वेद और विद्वान कोई भी बुद्धिमान नहीं कहता।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Any action should be done after knowing whether its outcome will be right or wrong, and that is what everyone calls good. Those who act without thinking, repent later, no Veda or scholar calls them intelligent.

सुमति कुमति सब कें उर रहहीं।
नाथ पुरान निगम अस कहहीं॥
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना।
जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – हे नाथ ! पुराण और वेद ऐसा कहते हैं कि सुबुद्धि (अच्छी बुद्धि) और कुबुद्धि (खोटी बुद्धि) सबके हृदय में रहती है, जहाँ सुबुद्धि है, वहाँ नाना प्रकार की संपदाएँ (सुख और समृद्धि) रहती हैं और जहाँ कुबुद्धि है वहाँ विभिन्न प्रकार की विपत्ति (दुःख) का वाश होता है।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Oh Lord! Puranas and Vedas say that Subuddhi (good intelligence) and Kubuddhi (false intelligence) reside in everyone’s heart, where there is good intelligence, there are various types of wealth (happiness and prosperity) and where there is bad intelligence, there are various types of calamities ( Sorrow) is washed away.

कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – हे पवनसुत हनुमान जी जगत में ऐसा कौन सा कार्य है जिसे आप नहीं कर सकते, संसार का कठिन से कठिन कार्य भी आपके स्मरण मात्र से सरल हो जाता है । अर्थात आपकी कृपा से जगत के सभी दुष्कर कार्य क्षणभर में पूर्ण हो जाते हैं।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – O Pawansut Hanuman ji, what work is there in the world which you cannot do, even the most difficult task in the world becomes easy just by remembering you. That is, by your grace all the difficult tasks of the world are completed in a moment.

एहि तन कर फल बिषय न भाई।
स्वर्गउ स्वल्प अंत दुखदाई॥
नर तनु पाइ बिषयँ मन देहीं।
पलटि सुधा ते सठ बिष लेहीं॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – हे भाई! इस शरीर के प्राप्त होने का फल विषयभोग नहीं है (इस जगत् के भोगों की तो बात ही क्या) स्वर्ग का भोग भी बहुत थोड़ा है और अंत में दुःख देने वाला है। अतः जो लोग मनुष्य शरीर पाकर विषयों में मन लगा देते हैं, वे मूर्ख अमृत को बदलकर विष पी लेते हैं। (अतः इस शरीर को सत्कर्म में लगाना चाहिए।)

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Hey brother! The fruit of attaining this body is not the enjoyment of things (what can we talk about the enjoyments of this world), the enjoyment of heaven is also very little and ultimately gives sorrow. Therefore, those who acquire a human body and concentrate on sensual matters, they foolishly exchange nectar for nectar and drink poison. (Therefore this body should be used in good deeds.)

सो धन धन्य प्रथम गति जाकी।
धन्य पुन्य रत मति सोई पाकी॥
धन्य घरी सोई जब सतसंगा।
धन्य जन्म द्विज भगति अभंगा॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – वह धन धन्य है, जिसकी पहली गति होती है (जो दान देने में व्यय होता है) वही बुद्धि धन्य है, जो पुण्य में लगी हुई है। वही घड़ी धन्य है जब सत्संग हो और वही जन्म धन्य है जिसमें ब्राह्मण की अखंड भक्ति हो। (धन की तीन गतियां होती हैं – दान, भोग और नाश। दान उत्तम है, भोग मध्यम है और नाश नीच गति है। जो पुरुष ना दान करता है, ना भोगता है, उसके धन की तीसरी गति होती है।)

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Blessed is that wealth which has its first movement (which is spent in giving charity). Blessed is that intellect which is engaged in virtue. That moment is blessed when there is satsang and that birth is blessed in which there is unbroken devotion to a Brahmin. (There are three stages of wealth – donation, enjoyment and destruction. Charity is the best, enjoyment is medium and destruction is the lowest. The man who neither donates nor enjoys, his wealth has the third stage.)

ह्रदय बिचारति बारहिं बारा,
कवन भाँति लंकापति मारा।
अति सुकुमार जुगल मम बारे,
निशाचर सुभट महाबल भारे।।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi –  जब श्रीरामचंद्रजी रावण का वध करके वापस अयोध्या लौटते हैं, तब माता कौशल्या अपने हृदय में बार-बार यह विचार कर रही हैं कि इन्होंने रावण को कैसे मारा होगा। मेरे दोनों बालक तो अत्यंत सुकुमार हैं और राक्षस योद्धा तो महा बलवान थे। इस सबके अतिरिक्त लक्ष्मण और सीता सहित प्रभु राम जी को देखकर मन ही मन परमानंद में मग्न हो रही हैं।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – When Shri Ramchandraji returns back to Ayodhya after killing Ravana, then Mother Kaushalya is thinking again and again in her heart how she could have killed Ravana. Both my children are very delicate and the demon warriors were very strong. Apart from all this, seeing Lord Ram along with Lakshman and Sita, the mind is immersed in ecstasy.

गुर बिनु भव निध तरइ न कोई।
जौं बिरंचि संकर सम होई॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – गुरु के बिना कोई भी भवसागर पार नहीं कर सकता, चाहे वह ब्रह्मा जी और शंकर जी के समान ही क्यों ना हो। गुरु का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है और बिना ज्ञान के परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – No one can cross the ocean of existence without a Guru, even if he is like Brahma ji and Shankar ji. Guru has great importance in our life. It is not possible to attain knowledge without a Guru and without knowledge God cannot be attained.

भक्ति हीन गुण सब सुख कैसे,
लवण बिना बहु व्यंजन जैसे।
भक्ति हीन सुख कवने काजा,
अस बिचारि बोलेऊं खगराजा॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – भक्ति के बिना गुण और सब सुख ऐसे फीके हैं, जैसे नमक के बिना विभिन्न प्रकार के व्यंजन। भजन विहीन सुख किस काम का। यह विचार कर पक्षीराज कागभुशुण्डि जी बोले- (यदि आप मुझ पर प्रसन्न हो तो हे शरणागतों के हितकारी, कृपा के सागर और सुख के धाम कृपा करके मुझे अपनी भक्ति प्रदान कीजिए।)

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Without devotion, virtues and all pleasures are as dull as various dishes without salt. What is the use of happiness without hymns? Thinking this, the bird king Kagbhushundi ji said – (If you are pleased with me, then oh benefactor of those who take refuge, ocean of grace and abode of happiness, please grant me your devotion.)

एक पिता के बिपुल कुमारा,
होहिं पृथक गुन शीला अचारा।
कोउ पंडित कोउ तापस ज्ञाता,
कोउ धनवंत वीर कोउ दाता॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – प्रभु श्री रामचंद्र जी बोले- एक ही पिता के बहुत से पुत्र होते हैं परंतु गुण और सील तथा आचरण में भिन्न भिन्न होते हैं। उनमें कोई पंडित, कोई तपस्वी, कोई ज्ञानी, कोई धनवान, कोई वीर और कोई दानी होता है।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Lord Shri Ramchandra ji said – The same father has many sons but they are different in qualities, seal and conduct. Among them some are scholars, some ascetics, some knowledgeable, some rich, some brave and some generous.

कोउ सर्वज्ञ धर्मरत कोई,
सब पर पितहिं प्रीति सम होई।
कोउ पितु भक्त बचन मन कर्मा,
सपनेहुं जान न दूसर धर्मा॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – कोई सर्वज्ञ और कोई धर्म में तत्पर होता है, परंतु पिता की प्रीति सब पर समान होती है। यदि कोई पुत्र मन वचन और कर्म से पिता का भक्त है और वह दूसरा धर्म स्वप्न में भी नहीं जानता तो

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Some are omniscient and some are interested in religion, but the love of the Father is equal for all. If a son is a devotee of his father in his mind, words and deeds and he does not know any other religion even in his dreams, then

सो सूत प्रिय पितु प्रान समाना,
यद्यपि सो सब भांति अज्ञाना।
एहि विधि जीव चराचर जेते,
त्रिजग देव नर असुर समेते॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – वह पुत्र पिता को प्राणों के समान प्रिय होता है, भले ही वह सब तरह से मूर्ख ही क्यों ना हो। प्रभु श्री रामचंद्र जी कह रहे है- ठीक इसी प्रकार से तीनों लोकों में देवता, मनुष्य और दैत्यों के सहित जड़ चेतन जितने भी जीव हैं। (उन सभी पर मेरी बराबर कृपा बनी रहती है। )

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – That son is as dear to his father as his life, even if he is a fool in every way. Lord Shri Ramchandra ji is saying – In the same way, there are all the inanimate and animate living beings including gods, humans and demons in the three worlds. (My blessings remain equal on all of them.)

अखिल विश्व यह मम उपजाया,
सब पर मोहिं बराबर दाया।
तिन्ह महं जो परिहरि मद माया,
भजहिं मोहिं मन वचन अरु‌ काया॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – यह अखिल संसार मेरा उत्पन्न किया हुआ है और सब पर मेरी बराबर दया रहती है, उनमें जो भी जीव अभिमान और माया छोड़कर मन, वचन और शरीर से मुझे भजते हैं, वे सेवक मुझे प्राणों के समान प्यारे हैं।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – This entire world has been created by Me and I have equal mercy on everyone, among them all the living beings who leave pride and illusion and worship Me with mind, speech and body, those servants are as dear to Me as their life.

नहिं दरिद्र सम दुख जग माहीं,
संत मिलन सम सुख कछु नाहीं।
पर उपकार बचन मन काया,
संत सहज सुभाव खग राया॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – संसार में दरिद्रता के समान कोई दूसरा दुख नहीं, संत समागम (संतों से मिलन) के समान कोई सुख नहीं है। हे पक्षीराज! वचन मन और शरीर से परोपकार करना संतो का यह स्वभाव है।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – There is no other sorrow in the world like poverty, there is no happiness like meeting saints. O king of birds! It is the nature of saints to do charity through word, mind and body.

संत सहहिं दुख परहित लागी,
पर दुख हेतु असंत अभागी।
भूर्ज तरु सम संत कृपाला,
परहित निति सह बिपति बिसाला॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – संत दूसरों की भलाई के लिए दुख सहते हैं अभागे दुर्जन दूसरों को दुख देने के लिए स्वयं कष्ट सहते हैं। संत जन भोजपत्र के समान हैं जो दूसरों के कल्याण के लिए नित्य विपत्ति सहते हैं।( और दुष्टजन पराई संपत्ति नाश करने हेतु स्वयं नष्ट हो जाते हैं, जैसे ओले खेतों को नाश करके स्वयं नष्ट हो जाते हैं।)

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Saints suffer for the welfare of others and unfortunate people suffer themselves for the sake of hurting others. Saints are like birch bark who endure daily hardships for the welfare of others. (And wicked people destroy themselves by destroying someone else’s property, just as hailstones destroy themselves after destroying fields.)

श्याम गात राजीव बिलोचन,
दीन बंधु प्रणतारति मोचन।
अनुज जानकी सहित निरंतर,
बसहु राम नृप मम उर अन्दर॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi –  तुलसीदास जी कहते हैं कि हे श्रीरामचंद्रजी  ! आप श्यामल शरीर, कमल के समान नेत्र वाले, दीनबंधु और संकट को हरने वाले हैं। हे राजा रामचंद्रजी आप निरंतर लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में निवास  कीजिए।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Tulsidas ji says that O Shri Ramchandraji! You are the one with the black body, eyes like lotus, the humble and the one who overcomes the troubles. O King Ramchandraji, please reside in my heart continuously along with Lakshman and Sita.

धन्य देश सो जहं सुरसरी।
धन्य नारी पतिव्रत अनुसारी॥
धन्य सो भूपु नीति जो करई।
धन्य सो द्विज निज धर्म न टरई॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – वह देश धन्य है, जहां गंगा जी बहती हैं। वह स्त्री धन्य है जो पतिव्रत धर्म का पालन करती है। वह राजा धन्य है जो न्याय करता है और वह ब्राह्मण धन्य है जो अपने धर्म से नहीं डिगता है।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Blessed is the country where Ganga flows. Blessed is the woman who follows the dharma of husbandry. Blessed is the king who does justice and blessed is the Brahmin who does not deviate from his religion.

अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर,
भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर।
काम क्रोध मद गज पंचानन,
बसहु निरंतर जन मन कानन।।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi –  तुलसीदास जी कहते हैं कि हे गुणों के मंदिर ! आप सगुण और निर्गुण दोनों है। आपका प्रबल प्रताप सूर्य के प्रकाश के समान  काम, क्रोध, मद और अज्ञानरूपी अंधकार का नाश करने वाले हैं। आप सर्वदा ही अपने भक्तजनों के मनरूपी वन में निवास करते हैं।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – Tulsidas ji says that O temple of virtues! You are both saguna and nirguna. Your mighty glory, like the light of the sun, destroys the darkness of lust, anger, pride and ignorance. You always reside in the forest of the minds of your devotees.

मोहमूल बहु सूल प्रद त्यागहु तुम अभिमान।
भजहु राम रघुनायक कृपा सिंधु भगवान॥

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in Hindi – मोह ही जिनका मूल है, ऐसे (अज्ञानजनित), बहुत पीड़ा देने वाले, तमरूप अभिमान का त्याग कर दो और रघुकुल के स्वामी, कृपा के समुद्र भगवान श्री रामचंद्रजी का भजन करो।

Ramayan Chaupai Lyrics Meaning in English – The root of which is attachment, give up such (born of ignorance), very painful, pride in the form of Tamar and worship Lord Shri Ramchandraji, the Lord of Raghukul, the ocean of mercy.

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई कौन सी है

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

बिनु सत्संग विवेक न होई। 
राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥

जा पर कृपा राम की होई।
ता पर कृपा करहिं सब कोई॥

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥

जिनके कपट, दम्भ नहिं माया।
तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

संकट में कौन सी चौपाई?

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

कवन सो काज कठिन जग माहीं।
जो नहिं होइ तात तुम पाहीं॥

रामचरितमानस की प्रथम चौपाई कौन सी है?

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

मंगल भवन अमंगल हारी।
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी।।

रामायण की अंतिम चौपाई कौन सी है?

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | रामायण की चौपाई | रामायण चौपाई

हरि अनंत हरि कथा अनंता।
कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥

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