लोक सभा अध्यक्ष | लोक सभा क्या है
लोकसभा – Lok Sabha
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला है। – संघीय संसद का निम्न अथवा लोकप्रिय सदन है।
- लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या (530 + 20 + 2) = 552 हो सकती है। वर्तमान में इसकी व्यावहारिक सदस्य संख्या (530 + 13 + 2) = 545 है।
- 91वाँ संशोधन (2003)- कैबिनेट का आकार 15% होगा (सदन का)। 1/3 सदस्य से कम यदि दल-बदल करेंगे तो सदस्यता समाप्त होगी।
- 12 से कम नहीं होगी। 84वाँ संशोधन (2000)- लोकसभा क्षेत्रों का आबंटन 2026 तक यथावत रहेगा।
राज्य | स्थान | अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित स्थान | अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित स्थान |
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1. आन्ध्र प्रदेश | 42 | 6 | 2 |
2. अरुणाचल प्रदेश | 2 | ||
3 असम | 14 | 1 | 2 |
4. बिहार | 40 | 6 | 2 |
5. झारखण्ड | 14 | 1 | 5 |
6. गोवा | 2 | ||
7. गुजरात | 26 | 2 | 4 |
8. हरियाणा | 10 | 2 | |
9. हिमांचल प्रदेश | 4 | 1 | |
10. जम्मू-कश्मीर | 6 | ||
11. कर्नाटक | 28 | 4 | |
12. केरल | 20 | 2 | |
13. मध्य प्रदेश | 29 | 4 | 6 |
14. छत्तीसगढ़ | 11 | 1 | 4 |
15. महाराष्ट्र | 48 | 3 | 4 |
16. मणिपुर | 2 | 1 | |
17. मेघालय | 2 | ||
18. मिजोरम | 1 | 1 | |
19. नागालैण्ड | 1 | ||
20. उड़ीसा | 21 | 3 | 5 |
21. पंजाब | 13 | 3 | |
22. राजस्थान | 25 | 4 | 3 |
23. सिक्किम | 1 | ||
24. तमिलनाडु | 39 | 7 | |
25. त्रिपुरा | 2 | 1 | |
26. उत्तर प्रदेश | 80 | 17 | |
27. उत्तराखण्ड | 5 | 1 | |
28. पश्चिमी बंगाल | 42 | 8 | 2 |
1. अंडमान तथा निकोबार | 1 | ||
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2. चंडीगढ़ | 1 | 1 | |
3. दादरा और नागर हवेली | 1 | ||
4. दिल्ली | 7 | 1 | |
5. दमन और दीव | 1 | ||
6. लक्षद्वीप | 1 | 1 | |
7 पाण्डिचेरी | 1 |
लोकसभा निर्वाचकों की योग्यताएं
लोकसभा – Lok Sabha के चुनाव में उन सभी सदस्यों को मतदान का अधिकार होगा जो भारत के नागरिक हैं, (61वें संविधान संशोधन 1989 के अनुसार) जिनकी आयु 18 वर्ष (इससे पहले यह आयु 21 वर्ष थी) या अधिक है, जो पागल या दिवालिया नहीं है और जिन्हें संसद के कानून द्वारा किसी अपराध, भ्रष्टाचार या गैर-कानूनी व्यवहार के कारा मतदान से वंचित नहीं कर दिया गया है।
संसद के विपक्षी दल संसदीय लोकतन्त्र में विपक्ष का विशिष्ट महत्व है। यह सरकार की जन विरोधी नीतियों की आलोचना कर वैकल्पिक नीति प्रस्तुत करता है तथास जनतंत्र को सुरक्षित रखता है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पहले से ही भारत में कई दल थे, जो स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद सत्ताधारी दल (कांग्रेस) तथा विपक्षी दल (अन्य दल) के रूप में विभाजित हो गये। प्रथम आम चुनाव (1952) के पहले कुछ नये दलों का गठन हुआ, जिनमें से कुछ तो कांग्रेस से ही अलग होकर गठित किये गये थे और नये दल के रूप में जनसंघ अस्तित्व में आया था। लेकिन चुनाव में विपक्षी दल नगण्य ही रहे और 1969 के पहले किसी भी नेता को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता नहीं मिली।
यहां यह उल्लेखनीय है कि विपक्ष के नेता के रूप में उस दल के नेता को मान्यता मिलती है, जिस दल की सदस्य संख्या सदन के कुल सदस्यों के दसवें भाग के बराबर होती है। सबसे पहले 1969 में संगठन कांग्रेस के राम सुीग सिंह को में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता मिली और इसके बाद 1977 में कांग्रेस के यशवंत राव बलवन्त राव चव्हाण को लोकसभा – Lok Sabha में तथा कमलापति त्रिपाठी को राज्यसभा में विपक्ष नेता के रूप में मान्यता दी गयी। इसके बाद कांग्रेस का विभाजन हुआ, फलस्वरूप सी. एम. स्टीफन विपक्ष के नेता के रूप में लोकसभा में प्रतिस्थापित किये गये।
1979 में जब चरण सिंह को कांग्रेस (आई.) ने अपना समर्थन देकर प्रधानमंत्री पद पर आसीन करवाया, तब लोकसभा – Lok Sabha में जगजीवन राम विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त किये। 1980 के चुनाव तथा 1984 के चुनाव में किसी भी विरोधी राजनीतिक दल को इतना सीन प्राप्त नहीं हुआ कि उसके नेता को विपक्ष का नेता माना जाय। 1989 के आम चुनाव में राजीव गांधी तथा बाद में लालकृष्ण आडवानी विपक्ष के नेता बने ।
1991 के आम चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी के लालकृष्ण आडवाणी विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता प्राप्त किये हुए हैं।
राज्यसभा में अब तक जिन नेताओं को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गयी है, वे हैं- 1. कमला पति त्रिपाठी (कांग्रेस), 2. पी. शिवशंकर (कांग्रेस), 3. एस. जयपाल रेड्डी (जनता दल) तथा 4. सिकन्दर बख्त (भारतीय जनता पार्टी)
लोकसभा क्या है | सदस्यों की योग्यताएँ
- वह व्यक्ति भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो।
- भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह कोई लाभ का पद धारण न किए हुए हों।
- वह किसी न्यायालय द्वारा दिवालिया न ठहराया गया हो तथा पागल न हो।
- वह संसद द्वारा बनाए गए किसी
- कानून द्वारा अयोग्य न ठहराया गया हो।
- संसद के कानून द्वारा निर्धारित अन्य योग्यताएँ हों।
लोकसभा क्या है | कार्यकाल
- लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष है किन्त प्रधानमन्त्री के परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति के द्वारा लोकसभा – Lok Sabha को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है।
- संकटकाल की घोषणा लागू होने पर संसद विधि द्वारा लोकसभा – Lok Sabha के कार्यकाल में वृद्धि कर सकती है जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी।
- यदि कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों के लिए चुना जाता है और दोनों सदनों में से किसी में अपना स्थान ग्रहण नहीं किया है, तो वह अपने चुने जाने की तिथि से 10 दिन के अन्दर आयोग के सचिव को लिखित सूचना देगा कि वह किस सदन का सदस्य बना रहना चाहता है। जिस सदन का वह सदस्य बना रहना चाहता है, उसके अतिरिक्त दूसरे सदन का उसका स्थान रिक्त हो जाएगा। यदि व्यक्ति चुनाव आयोग के सचिव को ऐसी सूचना नहीं देता, तो उसका राज्यसभा का स्थान स्वतः 10 दिन बाद समाप्त हो जाएगा।
- यदि कोई व्यक्ति संसद के दोनों सदनों में से किसी में या राज्य के विधानमण्डल में से किसी के लिए एक स्थान से अधिक स्थान के लिए निर्वाचित हो जाता है, तो उसे एक स्थान को छोड़कर अन्य स्थानों से 14 दिन के अन्तर्गत त्यागपत्र दे देना चाहिए। यदि वह ऐसा नहीं करता तो उसके सभी स्थान स्वतः रिक्त हो जायेंगे।
अधिवेशन
लोकसभा और राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाए और स्थगित किए जाते हैं। इस सम्बन्ध में नियम केवल यह है कि लोकसभा – Lok Sabha की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए।
संसद के सदनों में गणपूर्ति- संसद के सदनों को कार्यवाही प्रारम्भ करने के लिए गणपूर्ति आवश्यक है। गणपूर्ति के लिए सदन के कुल सदस्यों के दसवें भाग का सदन में उपस्थित रहना आवश्यक है। यदि किसी समय संसद के किसी सदन की गणपूर्ति नहीं होती, तो अध्यक्ष या सभापति तग तक के लिए सदन की कार्यवाही को स्थगित कर सकता है, जब तक सदन की गणपूर्ति न हो जाये।
कुल वैध मतों का 1/6 मत जमानत बचाने के लिए पाना अनिवार्य है।
पदाधिकारी.
लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला है।
- लोकसभा स्वयं ही अपने सदस्यों से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का निर्वाचन करेगी। इनका कार्यकाल लोकसभा – Lok Sabha के कार्यकाल तक अर्थात् समय से पूर्व भंग न होने की स्थिति में 5 वर्ष होता है परन्तु इस अवधि के अन्दर अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष स्वेच्छा से अपने पदों से त्यागपत्र दे सकते हैं तथा उन्हें उनके पद से हटाया भी जा सकता है।
- अब तक विधेयक को पारित करने के सम्बन्ध में संसद की संयुक्त बैठक में तीन बार विधेयक, यथा दहेज प्रतिषेध विशेयक 1961, बैंककारी सेवक आयोग (निरसन) विधेयक, 1978 तथा 2002 ई. में पोटा (POTA) पारित किये गये है
- धन विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति से लोकसभा – Lok Sabha में पेश किया जाता है। लोकसभा – Lok Sabha द्वारा पारित किये जाने के बाद धन विधेयक को राज्यसभा में भेजा जाता है। जब राज्यसभा को विधेयक भेजा जाता है, तब उसके साथ लोकसभाध्यक्ष का यह प्रमाणपत्र संलग्न होता है कि वह विधेयक धन विधेयक ही है। लोकसभाध्यक्ष को ही यह निर्णीत करने की शक्ति है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं राज्यसभा को धन विधेयक के सम्बन्ध में बहुत कम अधिकार हैं। राज्यसभा, लोकसभा द्वारा पारित धन विधेयक में संशोधन नहीं कर सकती लेकिन उसके सम्बन्ध में अपनी सिफारिश दे सकती है। यह लोकसभा पर निर्भर करता है कि वह राज्यसभा की सिफारिश को स्वीकार करे या न करे।
- यदि लोकसभा, राज्यसभा की किसी सिफारिश को स्वीकार करती है या अस्वीकार करती है, तो दोनों स्थिति में विधेयक को पारित किया गया माना जाएगा। उसके अतिरिक्त राज्यसभा धन विधेयक को अपने यहां 14 दिन से अधिक नहीं रोक सकती। यदि राज्यसभा धन विधेयक को 14 दिन से अधिक रोकती है, तो विधेयक को उस रूप में पारित माना जाएगा, जिस रूप में लोकसभा ने पारित किया था।
विनियोग विधेयक संसद विनियोग विधेयक पारित करके भारत सरकार को भारत की संचित निधि से धन निकालने की अनुमति देती है। इस विधेयक को केवल लोकसभा में ही पेश किया जाता है। इस विधेयक पर विचार-विमर्श केवल उन्हीं मदों तक सीमित होता है, जिन्हें अनुदानों और आगणनों के विचार-विमर्श में शामिल न किया गया हो।
विनियोग विधेयक के पूर्व लोकसभा ने जिन अनुदानों को स्वीकार कर लिया हो। उन पर न तो कोई-संशोधन पेश किया जा सकता है औन न ही अनुदान के लक्ष्य को बदला जा सकता है तथा न ही उस धनराशि में परिवर्तन किया जा सकता है, जिसकी अदायगी भारत की संचित निधि से की जानी होगी। लोकसभा द्वारा विधेयक को पारित किये जाने पर इसे राज्यसभा को भेजा जाता है।
राज्यसभा विनियोग विधेयक को अपने यहां 14 दिनों से अधिक रोक नहीं सकती और न ही उसमें कोई संशोधन कर सकती है लेकिन सिफारिश कर सकती है, किन्तु यह लोकसभा पर निर्भर करता है कि वह राज्यसभा की सिफारिश को स्वीकार करे या न करे। इसके बाद विधेयक को पारित मान करके राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाता है।
कार्यकारी अध्यक्ष (Protem Speaker)– शपथ हेतु वरिष्ठ सदस्य।
प्रथम लोकसभाध्यक्ष – गणेश वासुदेव मावलंकर (1952-56)
लोकसभा की शक्तियाँ व कार्य
संविधान संशोधन सम्बन्धी शक्ति।
- लोकसभा तथा राज्यसभा मिलकर राष्ट्रपति तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग का प्रस्ताव पास कर सकती है।
- राज्यसभा द्वारा पारित उपराष्ट्रपति को पदच्युति के प्रस्ताव पर लोकसभा का अनुमोदन आवश्यक है।
- राष्ट्रपति द्वारा की गई संकटकाल की घोषणा को एक | माह के अन्दर संसद से स्वीकृत होना आवश्यक है।
लोक सभा अध्यक्ष कौन है
वर्तमान मे लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला है।
लोक सभा क्या है
संघीय संसद का निम्न अथवा लोकप्रिय सदन है। लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या (530 + 20 + 2) = 552 हो सकती है।
भारत में लोक सभा की कितनी सीट है
लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या (530 + 20 + 2) = 552 हो सकती है।
लोकसभा में कितने सदस्य होते हैं
लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या (530 + 20 + 2) = 552 हो सकती है।
लोक सभा सीट कितनी है
लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या (530 + 20 + 2) = 552 हो सकती है।