जयसिंह राजा | सवाई जयसिंह राजा | मिर्जा राजा जय सिंह
मिर्जा राजा जय सिंह( Raja jaisingh ) प्रथम ( 1621-1667 ई. )
जयसिंह राजा सबसे अधिक समय तक शासन करने वाला जयपुर का राजा (46 वर्ष)
जहांगीर ने इसे दक्षिण में मलिक अम्बर के खिलाफ भेजा था।
शाहजहां ने इसे मिर्जा राजा की उपाधि दी व काबुल अभियान पर भेजा।
जोधपुर महाराजा जसवंतसिंह को भी औरंगजेब की तरफ यही लेकर आता हैं। औरंगजेब ने इसे दक्षिण में शिवाजी को नियंत्रित करने के लिए भेजा।
11 जून 1665
पुरन्दर की संधि – शिवाजी V/s जयसिंह
- मिर्जा राजा जयसिंह के दरबार में हिन्दी के प्रख्यात कवि ‘बिहारी जी’ थे- पुस्तक- बिहारी सतसई – ‘कुलपति मिश्र’ (बिहारी जी के भान्जे) इन्होनें लगभग 52 ग्रन्थों की रचना की थी, जिनसे हमे जयसिंह के दक्षिण अभियानों की जानकारी मिलती हैं।
- जयपुर में जयगढ़ किले का निर्माण करवाया।
सवाई जयसिंह राजा ( Maharaja jaisingh ) द्वितीय (1700-1743 ई.)
सर्वाधिक सात मुगल बादशाहों के साथ काम किया।
औरंगजेब की मृत्यु के बाद उसके पुत्रों में हुये उत्तराधिकार संघर्ष में इन्होनें शहजादे आजम का पक्ष लिया था। चूंकि जीत मुअज्जम (बहादुरशाह) की हुयी, जो बादशाह बनते ही उसने सवाई जयसिंह ( Maharaja Jaisingh ) आमेर के राजा पद से हटा दिया। इसके छोटे भाई विजयसिंह को राजा बना दिया।
आमेर का नाम बदलकर इस्लामाबाद या मोमिनाबाद रख दिया।
1741 ई. में पेशवा बालाजी बाजीराव के साथ धौलपुर समझौता करता हैं। सवाई जयसिंह ( Maharaja Jaisingh ) ‘मालवा’ का 3 बार सूबेदार बना।
सवाई जयसिंह ( Maharaja Jaisingh ) ने अश्वमेध यज्ञ करवाया, इसका पुरोहित ‘पुण्डरीक रत्नाकर’ था।
अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को दीपसिंह कुम्भाणी ने पकड़ लिया व अपने 25 आदमियों के साथ लड़ता हुआ मारा गया।
सवाई जयसिंह ( Maharaja Jaisingh ) के निर्माण कार्य
- 18 नवम्बर 1727 ई.- जयपुर की स्थापना- वास्तुकार- विद्याधर भट्टाचार्य (पुर्तगाली ज्योतिषी जेवियर . डि सिल्वा की मदद ली गई।)
- नाहरगढ़ (सुदर्शनगढ़)
- जलमहल (मानसागर झील)
- सिटी पैलेस (चन्द्र महल)
- गोविन्ददेव जी का मंदिर (गौड़िय सम्प्रदाय का प्रमुख मंदिर) – जयपुर के शासक खुद को गोविन्द देव जी का दिवान मानते थे।
जन्तर-मन्तर ( वैधशाला )
- दिल्ली- सबसे पहले
- जयपुर – सबसे बड़ा- राजस्थान की पहली इमारत जिसे युनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया।
- मथुरा
- उज्जैन
- बनारस
सवाई जयसिंह ( Maharaja Jaisingh ) के दरबारी विद्वान
- पुण्डरीक रत्नाकर- जयसिंह कल्पद्रुम
- पण्डित जगन्नाथ युक्लिड ज्यामिति का संस्कृत अनुवाद किया, सिद्धान्त सम्राट तथा सिद्धान्त कौस्तुभ नामक पुस्तकें लिखी।
- सवाई जयसिंह ने स्वयं ‘जयसिंह कारिका’ नामक ग्रन्थ लिखा।
- नक्षत्रों की शुद्ध सारणी ‘जीज मुहम्मद शाही’ तैयार करवाई।
- सवाई जयसिंह ने सती प्रथा पर रोक लगाने की कोशिश की।