बीकानेर के राठौड़ वंश का इतिहास – History of Rathores of Bikaner

बीकानेर के राठौड़ वंश का इतिहास - History Of Rathores Of Bikaner :- में बीकानेर क्षेत्र में राठौड़ राज्य की स्थापना की।

Table of Contents

बीकानेर के राठौड़ का इतिहास – History Of Rathores Of Bikaner

बीकानेर के राठौड़ वंश का इतिहास - History Of Rathores Of Bikaner
बीकानेर के राठौड़ वंश का इतिहास – History Of Rathores Of Bikaner

बीका

  • 1465 ई. में बीकानेर क्षेत्र में राठौड़ राज्य की स्थापना की।
  • 1488 ई. में बीकानेर नगर की स्थापना की।
  • आखातीज (अक्षय तृतीया) बीकानेर का स्थापना दिवस हैं।
  • आखातीज को बीकानेर में पतंगे उडाई जाती हैं।

लूणकरण

  • जैसलमेर के रावल जैतसी को हराया। 
  • बीठू सूजा ने इसे ‘कलयुग का कर्ण’ कहा हैं।

जैतसी

  • 1534 ई. में हुमायूं का भाई कामरान भटनेर पर अधिकार कर लेता हैं। 
  • कामरान बीकानेर पर भी आक्रमण करता हैं, पर रावल जैतसी उसे रातीघाटी के युद्ध में हरा देता हैं। इस
  • युद्ध की जानकारी हमें ‘बीठू सुजा’ की पुस्तक ‘राव जैतसी रो छन्द’ से मिलती हैं।

रायसिंह

  • रायसिंह (1574-1612 ई.) (अकबर के समय चार हजारी मनसबदार जहांगीर के समय 5000) 
  • 1572 ई. में अकबर इसे जोधपुर का प्रशासक नियुक्त करता हैं। और महाराजा की उपाधि देता हैं। 
  • 1577 ई. में अकबर ने इकावन (51) परगने रायसिंह को दिये। 
  • खुसरों के विद्रोह के समय जहांगीर रायसिंह को राजधानी आगरा की जिम्मेदारी सौंप के जाता हैं। 
  • 1589-1594 ई. के बीच बीकानेर में जूनागढ़ किले का निर्माण करवाया। बीकानेर के जूनागढ़ में सूरजपोल के पास रायसिंह प्रशस्ति लिखी हुयी हैं, जिसकी रचना ‘जइता’ नामक जैनमुनि ने लिखी थी। 
  • जूनागढ़ का निर्माण कर्मचन्द की देखरेख में हुआ। 
  • मुंशी देवी प्रसाद ने रायसिंह को ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा। 
  • रायसिंह ने ‘रायसिंह महोत्सव’ नामक पुस्तक लिखी। 
  • श्रीपति की ‘ज्योतिष रत्नमाला’ पर ‘बाल बोधिनी’ नाम से रायसिंह ने टीका लिखी। 
  • ‘जयसोम’ रायसिंह के दरबार में था जिसने- कर्मचन्दवंशोत्कीर्णकंकाव्यम् नामक पुस्तक लिखी। 
  • रायसिंह के छोटे भाई का नाम पृथ्वीराज राठौड़ था, जो अकबर के नवरत्नों में से एक हैं। अकबर ने इसे गागरोन का किला दिया था। 

राठौड़ की प्रमुख रचनाएं

  • वेलिक्रिसण रूक्मणि री: दुरसा अढ़ा ने इसे 5 वां वेद और 19 वां पुराण कहा हैं।
  • कर्नल जेम्स टॉड ने इस रचना में ‘दस सहस्त्र घोड़ो का बल’ बताया हैं। 
  • यह पुस्तक उत्तरी राजस्थानी में लिखी गई हैं। 
  • L.P. टेस्सीटोरी ने पृथ्वीराज राठौड़ को ‘डिंगल का होरेस’ कहा हैं।

कर्णसिंह

उपाधिः- जागंलधर बादशाह 

कर्णसिंह ने अन्य कुछ साहित्यकारों के साथ मिलकर ‘साहित्य कल्पद्रुम’ की रचना की। 

‘गगांधर मैथिल’ कर्णसिंह का एक दरबारी था, उसने निम्न पुस्तक लिखी

(1) कर्णभूषण 

(2) काव्य डाकिनी

अनूपसिंह

  • औरंगजेब ने इनके दक्षिण अभियानों से खुश होकर माही भरातिव’ की उपाधि दी। 
  • संस्कृत के दूर्लभ ग्रन्थों का · अनूप पुस्तकालय’ में संकलन किया। 
  • कुम्भा के संगीत ग्रन्थों का संकलन किया। हिन्दू देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियों को एकत्रित कर उन्हें जूनागढ़ के 33 करोड़ देवी – देवताओं के मंदिर में रखवाया। 

विभिन्न साहित्यिक ग्रन्थों का राजस्थानी में अनुवाद करवाया।

  1. सुककारिका
  2. बेताल पचीसी – (सुककारिका फारसी में अनुवादित संस्कृत की पहली पुस्तक थी) 
  3. गीता का राजस्थानी में अनुवाद आनन्दराम ने किया। 

अनूपसिंह की पुस्तकें

  • अनूप विवेक 
  • काम प्रबोध 
  • श्राद्ध प्रयोग चिन्तामणि
  • अनूपोदय- गीत गोविन्द पर लिखी टीका 

‘भाव भट्ट’ अनूपसिंह के दरबार में था, उसके द्वारा रचित पुस्तके:

  1. संगीत अनूप अंकुश 
  2. अनूप संगीत रत्नाकार 
  3. अनूप संगीत विलास 

सूरतसिंह

  • 1805 ई. में भटनेर पर आक्रमण कर उस पर अधिकार कर लिया। चूंकि उस दिन मंगलावार था, इसीलिये भटनेर का नाम हनुमानगढ़ कर दियां 
  • 1814 ई. में चुरू को अपने अधिकार में ले लाता हैं। इस समय चुरू का शासक ठाकुर स्योजी (शिव जी) सिंह था। इसी युद्ध के समय चुरू के किले से चांदी के गोले चलाये गये। 
  • 1818 ई. में सूरतसिंह ने अंग्रेजो से सन्धि कर ली।

रतनसिंह

  • 1836 ई. में गया (बिहार) में अपने सभी सरदारों से कन्यावध नहीं करने शपथ दिलायी। 
  • दयालदास सिढ़ायच- ‘बीकानेर रा राठौडा री ख्यात’ इसमें राव बीका से लेकर महाराजा सरदारसिंह का वर्णन हैं। यह राजस्थान की अन्तिम ख्यात हैं। 

महाराजा गंगासिंह

  • 1899 ई. में चीन के बॉक्सर विद्रोह में अग्रेजो की मदद की। इसलिए अंग्रेजो ने ‘केसर ए हिन्द’ पदक दिया। 
  • 1913 ई. में ‘प्रजा प्रतिनिधि सभा’ की स्थापना की। 
  • बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के निर्माण में सर्वाधिक आर्थिक सहायता महाराजा गंगासिंह ने दी थी। इसलिए B.H.U. के आजीवन कुलपति रहे। 
  • पेरिस शांति सम्मेलन (I world war के बाद) में महाराजा गंगासिंह ने भाग लिया (एकमात्र राजा जो रियासतों की तरफ से गया था) 
  • 1921 ई. में स्थापित नरेन्द्र मंडल के पहले अध्यक्ष थे। 
  • 1927 ई. में अपनी रियासत में गंगनहर का निर्माण करवाया। गंग नहर का उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने किया।
  • इसीलिए गंगासिंह को ‘राजस्थान’ का भागीरथ कहते हैं। 
  • तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लेने वाला राजस्थान का एकमात्र राजा था। 
  • महाराजा गंगासिंह की ऊँटों की सेना को ‘गंगा रिसाला’ कहते थे। 
  • बीकानेर रियासत के रामदेवरा, गोगामेड़ी तथा देशनोक के मंदिरों को वर्तमान स्वरूप दिया। 
  • इसने अपने सिक्को पर ‘विक्टोरिया इम्प्रेस’ लिखवाया। 
  • आजादी के समय बीकानेर का शासक सार्दुलसिंह था। 
  • भारत में विलय की घोषणा करने वाला पहला रियासती शासक सार्दुलसिंह था।
4.8/5 - (19 votes)

Related Posts

Recent Posts

Scroll to Top