भारत का राष्ट्रपति कौन है – who is the president of india
भारत के राष्ट्रपति » President of India
भारत में संसदीय शासन प्रणाली को ब्रिटेन से अपनाया गया है, जिसमें राष्ट्रपति औपचारिक प्रधान के रूप में कार्य करता है और वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद् में निहित होती है, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है।
अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है लेकिन अनुच्छेद 74 में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राष्ट्रपति अपनी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सहायता और मंत्रणा से ही करेगा।
भारत के राष्ट्रपतियों की सूची | List of Presidents of India
वर्ष | निर्वाचित प्रत्याशी | द्वितीय स्थान प्राप्त प्रत्याशी |
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26 January 1950 – 13 May 1962 | राजेन्द्र प्रसाद | के. टी. शाह |
26 January 1950 – 13 May 1962 | राजेन्द्र प्रसाद | एन. एन. दास |
13 May 1962 – 13 May 1967 | राधाकृष्णन | सी. एच. राम |
13 May 1967 – 3 May 1969 | जाकिर हुसैन (मृत) | के. सुब्बाराव |
24 August 1969 – 24 August 1974 | वी. वी. गिरि (ट्रेड यूनियन या मजदूर संघ) | नीलम संजीव रेड्डी |
24 August 1974 – 11 February 1977 | फखरुद्दीन अली अहमद (कार्यकाल में मृत) | टी. चौधरी |
25 July 1977 – 25 July 1982 | नीलम संजीव रेड्डी | निर्विरोध(सर्वसम्मति से) (पहले ये लोक सभा अध्यक्ष भी थे) |
25 July 1982 – 25 July 1987 | ज्ञानी जैल सिंह | एच. आर. खन्ना |
25 July 1987 – 25 July 1992 | आर. वेंकिटरमन | वी. आर. कृष्ण अय्यर |
25 July 1992 – 25 July 1997 | शंकर दयाल शर्मा | जी. जी. स्वेल |
25 July 1997 – 25 July 2002 | के आर. नारायण | टी. एन. शेषन |
25 July 2002 – 25 July 2007 | डॉ. ए.पी.जे. कलाम | लक्ष्मी सहगल |
25 July 2007 – 25 July 2012 | श्रीमती प्रतिभा पाटिल | भैरो सिंह शेखावत |
25 July – 25 July 2017 | श्री प्रणव मुखर्जी | पी. ए. संगमा |
25 July 2017 – 25 July 2022 | राम नाथ कोविन्द | |
25 जुलाई 2022 | द्रौपदी मुर्मू | यशवंत सिन्हा |
भारत का राष्ट्रपति कौन है – श्रीमती द्रौपदी मुर्मू भारत की वर्तमान राष्ट्रपति है
1. डॉ राजेन्द्र प्रसाद | Dr. Rajendra Prasad
भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने दो कार्यकालों तक राष्ट्रपति पद पर कार्य किया. वे संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे और भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के प्रमुख नेता. उनको 1962 में भारत रत्न दिया गया था.
2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन | Dr Sarvepalli Radhakrishnan
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितम्बर 1888 को हुआ था और इसी दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनको 1954 में भारत रत्न दिया गया था.
3. डॉ जाकिर हुसैन | Dr. Zakir Hussain
डॉ जाकिर हुसैन भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति बनें और इनकी मृत्यु पद पर रहते ही हुई थी. तात्कालिक उपराष्ट्रपती वी.वी गीरि को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्लाह 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. यह भारत के सबसे प्रसिद्ध तबला वादक थे.
मोहम्मद हिदायतुल्लाह को 2002 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. इनको भारत में शिक्षा की क्रांति लाने के लिए भी याद किया जाता है. इनके नेतृत्व में राष्ट्रीय मुस्लिम विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया स्थापित किया गया था.
4. वी वी गिरि | V V Giri
वी. वी गिरी भारत के चौथे राष्ट्रपति थे. इनका पूरा नाम वराहगिरी वेंकटगिरी है. इनके समय में दुसरे चक्र की मतगणना करनी पड़ी थी. यह पहले भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति रहे थे. 1975 में उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
5. फखरुद्दीन अली अहमद | Fakhruddin Ali Ahmed
फखरुद्दीन अली अहमद भारत के पांचवे राष्ट्रपति थे. दुसरे राष्ट्रपति जिनकी मृत्यु राष्ट्रपति के पद पर ही हो गई थी. बी.डी जत्ती को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था.
6. नीलम संजीव रेड्डी | Neelam Sanjiv Reddy
भारत के छठे राष्ट्रपति बने और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे हैं. वे भारत के ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति के उम्मीदवार होते हुए प्रथम बार विफलता प्राप्त हुई और दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वह राष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुए थे.
7. ज्ञानी जैल सिंह | Gyani Zail Singh
राष्ट्रपति बनने से पहले वे पंजाब के मुख्यमंत्री और केंद्र में भी मंत्री रहे थे. भारतीय डाक घर से संबंधी विधेयक पर उन्होंने पॉकेट वीटो का भी प्रयोग किया था. उनके राष्ट्रपति कार्यकाल में बहुत सी घटनाये घटी जैसे ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गाँधी की हत्या और 1984 में सिख विरोधी दंगा.
8. आर. वेंकटरमण
आर. वेंकटरमण 1984 से 87 तक भारत के उपराष्ट्रपति रहे थे. वे एक भारतीय वकील, स्वतंत्रता संग्रामी और महान राजनेता थे. उन्होंने अपने राष्ट्रपति काल में सर्वाधिक प्रधानमंत्री को उनकी पद की शपथ दिलाई थी.
9. डॉ शंकर दयाल शर्मा
वे अपने राष्ट्रपति पद से पहले, भारत के आठवें उप राष्ट्रपति थे. 1952 से 56 तक वे भोपाल के मुख्य मंत्री रहे थे और 1956 से 67 तक कैबिनेट मिनिस्टर. इंटरनेशनल बार एसोसिएशन ने उनको लीगल प्रोफेशन में बहु-उपलब्धियों के कारण ‘लिविंग लीजेंड ऑफ़ लॉ अवार्ड ऑफ़ रिकग्निशन’ दिया था.
10. के. आर. नारायणन
के. आर. नारायणन भारत के प्रथम दलित राष्ट्रपति तथा प्रथम मलयाली व्यक्ति थे जिन्हें देश का सर्वोच्च पद प्राप्त हुआ था. वे लोकसभा चुनाव मतदान करने वाले तथा राज्य की विधानसभा को सम्बोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति थे.
11. डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम | Dr A. P.J. Abdul Kalam
डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के मिसाईल मेन नाम से भी जाने जाते हैं. वे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने राष्ट्रपति पद को संभाला और भारत के पहले राष्ट्रपति जो सर्वाधिक मतों से जीते थे. उनके निर्देशन में रोहिणी-1 उपग्रह, अग्नि और पृथ्वी मिसाइलो का सफल प्रक्षेपण किया गया था. यहा तक कि 1974 एवं 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा था. 1997 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
12. श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल | Smt. Pratibha Singh Patil
वह राष्ट्रपति बनने से पहले राजस्थान की राज्यपाल रहीं थी. 1962 से 85 तक वह पांच बार महाराष्ट्र की विधानसभा की सदस्य रही और 1991 में लोकसभा के लिए अमरावती से चुनी गई थी. इतना ही नहीं वह सुखोई विमान उड़ाने वाली पहली महिला राष्ट्रपति भी हैं.
13. प्रणब मुखर्जी. | Pranab Mukherjee.
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से पहले केंद्र सरकार में वित्त मंत्री के पद पर थे. उनको 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार एवं 2008 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा असैनिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया था.
14. राम नाथ कोविंद | Ram Nath Kovind
राम नाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर, 1945 को उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था. वह एक वकील और राजनेता हैं. वे भारत के 14वें और वर्तमान राष्ट्रपति हैं. राम नाथ कोविंद 25 जुलाई, 2017 को राष्ट्रपति बने और भारतीय जनता पार्टी के सदस्य रहे. राष्ट्रपति बनने से पहले वे बिहार के पूर्व गवर्नर थे. राजनीतिक समस्याओं के प्रति उनके दृष्टिकोण ने उन्हें राजनीतिक स्पेक्ट्रम में प्रशंसा दिलाई. एक राज्यपाल के रूप में, उनकी उपलब्धियां विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की जांच के लिए न्यायिक आयोग का निर्माण करना था.
15. द्रौपदी मुर्मू | Draupadi Murmu
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं. द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में एक संथाली आदिवासी परिवार बिरंची नारायण टुडू के घर हुआ था. वह झारखंड की पूर्व राज्यपाल रही हैं. उन्हें वर्ष 2007 में, ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक (विधान सभा सदस्य) के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
भारत के राष्ट्रपति पद की अर्हताएँ – Qualifications for the post of President of India
अनुच्छेद 58 के अनुसार राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के लिए किसी व्यक्ति में निम्नलिखित अर्हताएँ होनी चाहिए।
- 1. वह भारत का नागरिक हो
- 2. वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका होस
- 3. वह लोकसभा का सदस्य चुने जाने की अर्हता रखता हो
- 4. वह भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन अथवा उक्त सरकारों में से किसी के अधीन नियंत्रित किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन किसी लाभ के पद पर न हो।
यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या किसी राज्य के राज्यपाल अथवा संघ या किसी राज्य का मंत्री हो तो उसे अयोग्य नहीं माना जाएगा।
लाभ के पद का निर्धारण संसद करती है।
भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति – Manner of election of the President of India
राष्ट्रपति का निर्वाचन एक ऐसे निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जाता है जिसमें (क) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा (ख) राज्य की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के निर्वाचन के लिए बने निर्वाचक मण्डल में संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभा के मनोनीत सदस्य तथा राज्य विधान परिषद् के सदस्य सम्मिलित नहीं होते।
वर्तमान में लोकसभा में कल 543 निर्वाचित सदस्य तथा राज्यसभा में कुल 233 निर्वाचित सदस्य और समस्त राज्यों की विधान सभाओं में कुल 4120 निर्वाचित सदस्य हैं।
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली- सभी राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्यों के मत मूल्यों का योग संसद के सभी निर्वाचित सदस्यों के मतमूल्यों के योग के बराबर होगा।
- एक संक्रमणीय (हस्तांतरणीय) प्रणाली- यदि निर्वाचन में एक से अधिक उम्मीदवार हों तो मतदाताओं को वरीयताक्रम से वोट दिया जाए। इस प्रणाली को हेयर पद्धति भी कहा जाता है।
- राज्य की विधानसभा के एक सदस्य का मतमूल्य = राज्य की कुल जनसंख्या / राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या x 1000 (यदि शेषफल 500 से अधिक आये तो प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या में 1 और जोड़ दिया जाता है।)
- संसद सदस्य का मतमूल्य = भारत के समस्त राज्य विधानसभाओं के निवाचित सदस्यों के मतमूल्यों का योग / संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों का योग
भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है।
राष्ट्रपति पद के लिए 10,000 रु. जमानत राशि, 50 मतदाता प्रस्तावक और 50 मतदाता अनुमोदक होना अनिवार्य है।
राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित विवादों को सर्वोच्च न्यायालय देखता है।
- शपथ- राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शपथ दिलवाते हैं। (शपथ का प्रावधान तीसरी अनुसूची में मिलता है)
- कार्यकाल- अपने शपथ ग्रहण (पद ग्रहण) की तिथि से राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- इस्तीफा- यह अपना इस्तीफा लिखित रूप में उपराष्ट्रपति को सम्बोधित करके दे सकता है। किन्तु उपराष्ट्रपति को इसकी सूचना लोकसभा अध्यक्ष को देनी होगी। राष्ट्रपति पद के निर्वाचन के लिए कोई भी व्यक्ति चाहे जितनी बार लड़ सकता है।
भारत के राष्ट्रपति की उपलब्धियाँ और भत्ते – Achievements and Allowances of the President of India
- संविधान के अनुच्छेद 59 में राष्ट्रपति की उपलब्धियों और भत्तों का वर्णन किया गया है।
- अनुच्छेद 59 के अनुसार राष्ट्रपति को बिना किराया दिये अपने शासकीय निवासों के उपयोग का अधिकार होगा और वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का अधिकारी होगा, जो संसद विधि द्वारा निश्चित करे।
- अनुच्छेद 59 यह भी उपबंध करता है कि राष्ट्रपति की उपलब्धियाँ और भत्ते उसके कार्यकाल में घटाये नहीं जा सकते। (वित्तीय आपात के दौरान इनका वेतन संसद के द्वारा कम किया जा सकता है)
- वर्तमान में राष्ट्रपति को 150000 रुपये मासिक वेतन दिया जाता है। यह वेतन भारत की संचित निधि से दिया जाता है।
भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया – The process of impeachment of the President of India
- अनुच्छेद 61 में राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है।
- राष्ट्रपति पर महाभियोग तब चलाया जा सकता है जब उसने संविधान का उल्लंघन किया हो।
- महाभियोग की प्रक्रिया संसद का कोई भी सदन आरंभ कर सकता है। किसी भी सदन के कम से कम एक चौथाई सदस्य अपने हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति के पास भेजते हैं। इस नोटिस के जारी किये जाने के 14 दिन के पश्चात् उसी सदन में आरोपों पर विचार होता है।
- जिस सदन में संकल्प पेश किया जाता है वही सदन अपने कुल सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से ऐसे संकल्प को पारित कर दे तो महाभियोग का पहला चरण पूरा हो जाता है।
- जब संसद का पहला सदन संकल्प पारित कर देता है तो दूसरा सदन आरोपों की जाँच करता है। दूसरा सदन जाँच या तो स्वयं करता है या किसी न्यायालय या न्यायाधिकरण से कराता है।
- राष्ट्रपति को इस जाँच में स्वयं उपस्थित होकर या अपने वकील के माध्यम से अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार है।
- यदि जाँच के बाद दूसरा सदन अपनी सदस्य संख्या के दो तिहाई बहुमत से पहले सदन द्वारा पारित संकल्प का अनुमोदन कर देता है तो संकल्प पारित किये जाने की तिथि से राष्ट्रपति को अपना पद छोड़ना पड़ता है।
भारत के राष्ट्रपति के विशेषाधिकार – Privileges of the President of India
- राष्ट्रपति अपने पद पर रहते हुए अपने शक्तियों के प्रयोग और अपने कर्तव्यों के पालन के लिए या अपने द्वारा किये गये किसी कृत्य के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है।
- राष्ट्रपति के विरुद्ध उसकी पदावधि के दौरान किसी न्यायालय में किसी भी प्रकार की दाण्डिक कार्यवाही न होतो संस्थित की जा सकती है और न चालू रखी जा सकती है।
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक मात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं, जो इस पद के लिए पुनर्निवाचित किये गए।
- डॉ. जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद दो ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिनकी मृत्यु कार्यकाल के दौरान हुई।
- डॉ. एस. राधाकृष्णन, डॉ. जाकिर हुसैन, वी.पी. गिरि, आर. बेंकटरमन, डॉ. शंकर दयाल शर्मा और के. आर. नारायणन ऐसे राष्ट्रपति हैं जा उपराष्ट्रपति भी रह चुके हैं।
- एम. हिदायतुल्ला भारत के एकमात्र ऐसे मुख्य न्यायाधीश हैं जिन्होंने कार्यकारी राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ – Powers of the President of India
राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च अधिकारी है। संविधान द्वारा उसे | व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गयी हैं जिसे निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है
- (क) कार्यपालिका शक्तियाँ
- (ख) विधायिका शक्तियाँ
- (ग) सैनिक शक्तियाँ
- (घ) कूटनीतिक शक्तियाँ
- (ङ) न्यायिक शक्तियाँ
- (च) आपातकालीन शक्तियाँ
(क) कार्यपालिका शक्तियाँ
- संविधान में राष्ट्रपति को बृहद कार्यपालिका शक्तियाँ दी गयी हैं। लोकसभा के प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात् राष्ट्रपति बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है तथा प्रधानमंत्री के सलाह पर मंत्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
- प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद् के अतिरिक्त राष्ट्रपति अन्य अनेक उच्चाधिकारियों की नियुक्ति करता है जैसेउच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, राज्यों के राज्यपालों, भारत के महान्यायवादी, नियंत्रक तथा महालेखापरीक्षक संघ, लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य, विदेशों में भारतीय राजदूत, उच्चायुक्त तथा अन्य राजनीतिक प्रतिनिधि इत्यादि ।
(ख) विधायी शक्तियाँ
- राष्ट्रपति केन्द्रीय विधान मण्डल का आवश्यक अंग होता है। उसे व्यापक विधायी शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- राष्ट्रपति लोकसभा में 2 तथा राज्यसभा में 12 सदस्यों को मनोनीत करता है।
- राष्ट्रपति संसद का सत्र आहत करता है। वह संसद का सत्रावसान करता है तथा लोकसभा को भंग करता है।
- राष्ट्रपति प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात् संसद में संयुक्त अधिवेशन तथा वर्ष के प्रथम अधिवेशन में अभिभाषण देता है, जिसमें सरकार की नीतियों की रूपरेखा निहित होती है।
- राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों को अथवा किसी एक सदन को अपना संदेश भेज सकता है।
- संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जाता है और राष्ट्रपति की स्वीकृति से ही वह कानून बन सकता है।
- यदि कोई विधेयक धन विधेयक नहीं है, तो राष्ट्रपति उस पर पुनर्विचार के लिए संसद के पास भेज सकता है लेकिन दुबारा राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी ही पड़ती है। चाहे संसद ने पुन: उसी रूप में विधेयक को राष्ट्रपति के पास क्यों न भेजा हो।
- कुछ विधेयक राष्ट्रपति की पूर्व अनुमति से ही संसद में पेश किये जा सकते हैं जैसे धन विधेयक नये राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन से संबंधित विधेयक इत्यादि । जब संसद का अधिवेशन न चल रहा हो और तुरंत किसी कानून की आवश्यकता हो तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है। अनुच्छेद-123
- राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होता है जो संसद द्वारा पारित अधिनियमों का होता है।
- राष्ट्रपति द्वारा जारी अध्यादेश केवल उस समय तक लागू रहता है जब तक संसद का अगला अधिवेशन आरंभ होकर छह सप्ताह न बीत जाए। यदि छह सप्ताह की अवधि के पूर्व ही संसद अध्यादेश को अस्वीकार कर लेता है तो उसका अस्तित्व उसी समय समाप्त हो जाता है।
- राष्ट्रपति द्वारा अध्यादेश को किसी भी समय वापस लिया जा सकता है।
(ग) सैनिक शक्तियाँ
- भारत का राष्ट्रपति भारत के सभी सशस्त्र रक्षा बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है। वह थल सेना, नौ सेना और वायु सेना के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। उसे युद्ध की घोषणा करने तथा शांति स्थापित करने की भी शक्ति प्राप्त है।
(घ) कूटनीतिक शक्तियाँ
- राष्ट्रपति भारत का राष्ट्राध्यक्ष होता है। अतः अन्य देशों में राजदूतों तथा अन्य कूटनीतिक प्रतिनिधियों की नियुक्ति राष्ट्रपति ही करता है।
- विदेशों से संधियाँ तथा अंतर्राष्ट्रीय समझौते राष्ट्रपति के नाम से ही किये जाते हैं।
(ङ) न्यायिक शक्तियाँ
- न्यायिक शक्तियों के अन्तर्गत राष्ट्रपति को क्षमादान की व्यापक शक्तियाँ प्राप्त हैं।
- संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को सभी अपराध के लिए दोषी ठहरा दिए गए व्यक्ति के दण्ड को क्षमा कर देने, उसके लघुकरण, प्रविलम्ब, विराम या परिहार की शक्ति प्रदान करता है।
- राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति मृत्यु दण्डादेश के अतिरिक्त सेना न्यायालय द्वारा दिये गए दण्ड के मामलों में तथा उन सभी मामलों में प्राप्त है जिनमें दण्डादेश ऐसे विषय से संबंधित किसी विधि के विरुद्ध किया गया है जिन पर संघ की शक्ति का विस्तार है।
- अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह सार्वजनिक महत्व के ऐसे विषयों पर उच्चतम न्यायालय की राय माँग सकती है, जिनमें विधि और तथ्य का प्रश्न निहित हो। परंतु वह सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है।
(च) आपातकालीन शक्तियाँ
- संविधान के भाग 18 में राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों का वर्णन किया गया है।
- राष्ट्रपति को तीन प्रकार के आपात स्थिति की घोषणा करने की शक्ति प्राप्त है।
- 1. युद्ध, बाह्य आक्रमण या आंतरिक अशांति की स्थिति में राष्ट्रीय आपात की घोषणा (352)- (1978 में 44वें संविधान संशोधन के द्वारा आंतरिक अशांति शब्द को हटाकर उसके स्थान पर सशस्त्र विद्रोह शब्द जोड़ा गया। इस घोषणा का अनुमोदन एक माह के अन्दर संसद के द्वारा होना अनिवार्य है अन्यथा इसका प्रभाव समाप्त हो जाएगा। इस प्रकार यह अनिश्चित समय तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।)
- > जब अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपात) प्रभावी होता है तो अनुच्छेद 19 स्वतः निलम्बित हो जाता है।
- अनुच्छेद 20 और 21 कभी भी निलम्बित नहीं हो सकते। इसके अलावा यदि किसी मौलिक अधिकार को निलम्बित करना हो तो राष्ट्रपति को अनुच्छेद 359 के तहत आदेश जारी करना पड़ेगा।
- अब तक भारत में तीन बार राष्ट्रीय आपात घोषित किया गया है- (क) पहली बार 1962 ई. में (चीन के साथ युद्ध के समय), (ख) दूसरी बार 1971 ई. में (पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय), (ग) तीसरी बार 26 जून, 1975 ई. को आन्तरिक अशांति के आधार पर राष्ट्रीय आपात लागू किया गया था।
- 2राज्यों में संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर राष्ट्रपति शासन की घोषणा (अनुच्छेद 356)– इस घोषणा का अनुमोदन 2 माह के अन्दर संसद द्वारा हो जाना चाहिए अन्यथा इसका प्रभाव समाप्त हो जाएगा। एक बार में इसे 6 माह तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसकी अधिकतम सीमा 3 वर्ष है। (अपवाद में पंजाब में 57 माह तक राष्ट्रपति शासन लगा था।)
- भारत में सर्वप्रथम पंजाब राज्य में 1951 ई. में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
- सर्वप्रथम पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगभग 5 वर्ष तक (1987 ई. से 1992 ई. तक) लगा था।
- जम्मू और कश्मीर में 1990 ई. से 1996 ई. के बीच लगभग 6 वर्ष तक राष्ट्रपति शासन लगा था।
- भारत में अब तक सबसे अधिक बार राष्ट्रपति शासन उत्तर प्रदेश में (10 बार) लगा है।
- 3. भारत की साख या वित्तीय स्थायित्व को खतरा पैदा
- होने की स्थिति में वित्तीय आपात स्थिति की घोषणा (अनुच्छेद 360)- इसका अनुमोदन 2 माह के अन्दर संसद द्वारा हो जाना चाहिए। इसकी भी समय सीमा असीमित है। यह भारत में कभी भी लागू नहीं हुआ
भारत के राष्ट्रपति की वीटो शक्तियाँ
संसद द्वारा पारित अधिनियमों पर राष्ट्रपति तीन प्रकार से वीटो शक्ति का प्रयोग कर सकता है
- 1. आत्यंतिक वीटो : यदि राष्ट्रपति यह घोषित करता है कि वह अनुमति रोक लेता है तो विधेयक का अस्तित्व समाप्त हो जाता है इसे आत्यंतिक वीटो कहते हैं।
- 2. निलंबकारी वीटो : राष्ट्रपति यदि विधेयक को पुनर्विचार के लिए भेज देता है। पुनर्विचार के लिए लौटाये जाने का प्रभाव निलंबन मात्र होता है क्योंकि संसद द्वारा पुनः पारित किये जाने पर राष्ट्रपति अपनी अनुमति देने के लिए बाध्य है। अतः इसे इनलंबनकारी वीटो कहते हैं।
- 3. जेबी वीटो : संविधान विधेयक पर राष्ट्रपति का मत व्यक्त करने के लिए कोई समय सीमा निश्चित नहीं करता। । अतः राष्ट्रपति विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया ही न व्यक्त करे तो इसे जेबी वीटो कहते हैं।
- → 1986 ई. में राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने डाकघर (संशोधन) विधेयक के मामले में जेबी वीटो का प्रयोग किया था।
1. डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (दो बार लगातार निर्वाचित) | 1952-1962 |
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2. डा. जाकिर हुसैन | 1962-1967 |
3. वी. वी. गिरि | 1967-1969 |
4. गोपाल स्वरूप पाठक | 1969-1974 |
5. बी. डी. जत्ती | 1974-1979 |
6. मोहम्मद हिदायतुल्ला | 1979-1984 |
7. आर. वेंकिटरमन | 1984-1987 |
8. डा. शंकर दयाल शर्मा | 1987-1992 |
9. के. आर. नारायणन | 1992-1997 |
10. कृष्ण पाल | 1997-2002 |
11. भैरो सिंह शेखावत | 2002-2007 |
12. हामिद अंसारी | 2007-2012/2012-2017 |
संविधान का अनुच्छेद 63 उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रावधान करता है।
उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होने के लिए निम्नलिखित अर्हताएँ रखी जाती हैं
- 1. वह भारत का नागरिक हो
- 2. उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो
- 3. वह राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो
- 4. संसद के किसी सदन अथवा विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य न हो, और यदि वह उक्त में से किसी सदन का सदस्य हो तो उसे सदस्यता छोड़नी पड़ती है।
- 5. वह संघ सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद पर न हो।
- उपराष्ट्रपति का चुनाव एक ऐसे निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जाता है, जो संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनता है।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधान सभा और राज्य विधान परिषद् के सदस्य भाग नहीं लेते।
- जबकि राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते उपराष्ट्रपति के चुनाव में वे भी भाग लेते हैं।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित सभी विवादों और शंकाओं का समाधान सर्वोच्च न्यायालय में ही किया जा सकता है और तत्संबंधी उच्चतम न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है।
- भारत का उपराष्ट्रपति पाँच वर्ष की अवधि के लिए चुना जाता है किन्तु इस अवधि के पहले भी राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर अपना पद त्याग सकता है।
- यदि राज्यसभा बहुमत से संकल्प पारित कर दे, जिसे लोकसभा अपने साधारण बहुमत स्वीकृत कर ले तो उपराष्ट्रपति को अपना पद त्यागना पड़ता है।
- उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया | राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया से अत्यंत सरल है। जबकि राष्ट्रपति को हटाने के लिए संविधान में महाभियोग की प्रक्रिया विहित की गई है, जिसके पारित होने के लिए लोकसभा और राज्यसभा का दो-तिहाई बहुमत होना आवश्यक है, उपराष्ट्रपति को दोनों सदनों के साधारण बहुमत से पारित संकल्प द्वारा ही हटाया जा सकता है।
- जबकि राष्ट्रपति को एकमात्र संविधान के उल्लंघन के आधार पर ही हटाया जा सकता है, उपराष्ट्रपति को किसी भी आधार पर हटाया जा सकता है।
- संविधान के अनुच्छेद 64 के अनुसार उपराष्ट्रपति को राज्यसभा का पदेन सभापित बनाया गया है। राज्यसभा के बैठकों की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति ही करता है।
- यदि भारत के राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाये अथवा वह त्यागपत्र दे दे अथवा महाभियोग प्रक्रिया द्वारा अपना पद छोड़ना पड़े अथवा अनुपस्थिति या बीमारी के कारण वह अपने कृत्यों को करने में असमर्थ हो तो उपराष्ट्रपति ही उसके कार्यों का निर्वहन करता है।
प्रधानमंत्री में शक्ति केन्द्रीकरण
संवैधानिक व्यवस्था के माध्यम से/दल के माध्यम से :– लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के नागरिक>निर्वाचकगण या मतदाता>व्यवस्थापिका>सत्तारूढ़ बहुमत प्राप्त दल>मत्रिमंडल>प्रधानमंत्री
द्रौपदी मुर्मू कौन है
भारत के वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु है | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं. द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के उपरबेड़ा गांव में एक संथाली आदिवासी परिवार बिरंची नारायण टुडू के घर हुआ था. वह झारखंड की पूर्व राज्यपाल रही हैं. उन्हें वर्ष 2007 में, ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक (विधान सभा सदस्य) के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
भारत के राष्ट्रपतियों की सूची
1. डॉ राजेन्द्र प्रसाद
2. डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
3. डॉ जाकिर हुसैन
4. वी वी गिरि
5. फखरुद्दीन अली अहमद
5. फखरुद्दीन अली अहमद
7. ज्ञानी जैल सिंह
8. आर. वेंकटरमण
9. डॉ शंकर दयाल शर्मा
10. के. आर. नारायणन
11. डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
12. श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल
13. प्रणब मुखर्जी
14. राम नाथ कोविंद
15. द्रौपदी मुर्मू