राजस्थान के प्रमुख मंदिर | राजस्थान के मंदिर | Temple of Rajasthan
राजस्थान के मंदिर – किराडू के मंदिर, अधुना के मंदिर, कपुर के जैन मंदिर, रणकपुर के जैन मंदिर, सिरोही विमलसहि मंदिर, पुष्कर के मंदिर, एकलिंगनाथ जी के मंदिर, रावण मंदिर, स्वर्ण मंदिर
राजस्थान के किराडू के मंदिर
- – माहवार (बाड़मेर) के समीप।
- – किराडू का पुराना नाम किरात कूप हैं जो परमार राजाओं की राजधानी थी।
- – मुख्य मंदिर – सोमेश्वर – किराडू के मंदिरों को राजस्थान का खजुराहों कहते हैं
- – यह मंदिर नागर शैली में बने हुये हैं। सूर्य मंदिर:- झालरापाटन (झालावाड़)
- – इसे सात सहेलियों का मंदिर कहते हैं।
- – कर्नल जेम्स टॉड ने चारभुजा मंदिर भी कहा हैं।
- – इसे पद्मनाभ मंदिर भी कहते हैं।
राजस्थान के अधुना के मंदिर
- – बांसवाड़ा – अधुना भी परमारों की राजधानी थी।
- – मुख्य मंदिर- हनुमान जी का मंदिर।
- – 11 वीं व 12 वीं शताब्दी के बने हुये हैं।
- – इन्हें वागड का खजुराहों कहते हैं।
राजस्थान के रणकपुर के जैन मंदिर
- – कुम्भा के समय रणकशाह द्वारा निर्मित
- – मुख्य मंदिर- चौमुखा मंदिर (वास्तुकार-देपाक)
- – इस मंदिर में 1444 खम्भे हैं, अतः इसे खम्भों का अजायबघर कहते हैं।
- – इस मंदिर के पास ही नेमिनाथ मंदिर हैं, जिसे वेश्याओं का मंदिर भी कहते हैं
राजस्थान के देलवाड़ा के जैन मंदिर
- – सिरोही विमलसहि मंदिर
- – इसका निर्माण 1031ई. में भीमशाह (गुजरात) के चालुक्य राजा का मंत्री ने करवाया था।
राजस्थान का नेमिनाथ मंदिर
- – चालुक्य राजा धवल के मंत्री तेजपाल एवं वास्तुपाल ने इसका निर्माण करवाया।
- – इसे देवरानी-जेठानी का मंदिर भी कहते हैं।
राजस्थान के पुष्कर के मंदिर
- – यहां ब्रह्य जी का मंदिर बना हुआ हैं, जिसका निर्माण गोकुल चन्द पारीक ने करवाया।
- – यहां कार्तिक पूर्णिमा को मेला भरता हैं।
- – यहां सावित्री माता का मंदिर भी हैं।
- – यहां रंगनाथ मंदिर भी बना हुआ हैं, जो द्रविड़ शैली का हैं।
- – पुष्कर को कोंकण तीर्थ भी कहा जाता हैं।
- – ब्रह्य जी के अन्य मंदिर:- आसोतरा (बाड़मेर) छींछ (बांसवाड़ा)
राजस्थान के एकलिंगनाथ जी के मंदिर
- – कैलाशपुरी (उदयपुर)
- – नागदा के समीप ।
- – 8वीं सदी में बापा रावल ने इसका निर्माण करवाया था।
राजस्थान का सहस्त्रबाहु का मंदिर
- – नागदा (उदयपुर)
- – इसे सास-बहु का मंदिर भी कहते हैं।
राजस्थान का नौ-ग्रहों का मंदिर
– किशनगढ़ (अजमेर)
राजस्थान का सावलिया जी का मंदिर
– मंडफिया (चित्तौड़गढ़) – इसे चोरों का मंदिर भी कहते हैं।
हर्षद माता का मंदिर
राजस्थान का मुनि का मंदिर
- – कार्तिक पूर्णिमा को मेला भरता हैं।
- – कपिल मुनि सांख्य दर्शन के प्रणेता थे।
राजस्थान का अम्बिका माता
- – जगत (उदयपुर)
- – इसे मेवाड़ का खजुराहों कहते हैं।
- – इसे राजस्थान का मिनी खजुराहों कहते हैं।
राजस्थान का कसुंआ मंदिर :- कोटा
- – मौर्य राजा धवल ने शिव मंदिर बनवाया था, जिसमें 1000 शिवलिंग हैं।
- – यहां गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर भी हैं, जिसके दर्शन नहीं किये जाते हैं।
राजस्थान का शीतलेश्वर महादेव
- – झालावाड़ (कर्नल टॉड ने झालरापाटन को घंटियों का शहर कहा हैं।)
- – इसका निर्माण 689 ई. में हुआ।
- – यह राजस्थान का प्राचीनतम तिथि युक्त मंदिर हैं।
राजस्थान का महामंदिर :- जोधपुर
- – राजा मानसिंह द्वारा निर्मित
- – ना सम्प्रदाय का सबसे बड़ा मंदिर।
राजस्थान का सिरे मंदिर
- – जालौर (जोधपुर के राजा मानसिंह ने इसका निर्माण करवाया था)
- – बीकानेर – यह 5 वें जैन तीर्थकर सुमतिनाथ का मंदिर हैं।
- – इसके निमा ‘ण में पानी की जगह घी का उपयोग किया गया था।
राजस्थान का सतवीस मंदिर
– चित्तौड़गढ़ – 11वीं शताब्दी के जैन मंदिर।
राजस्थान का थंडदेवरा मंदिर
– अटरू (बारां) – इसे हाड़ौती का खजुराहों कहते हैं। (राजस्थान का मिनि खजुराहों)
राजस्थान का फुलदेवरा मंदिर :- बारां
– इसे माम-भान्जा मंदिर भी कहते हैं।
राजस्थान के सोनी जी की नसियां
- – अजमेर – इसे लाल मंदिर भी कहते हैं।
- – 1864 में मूलचन्द सोनी ने इसका निर्माण करवाया।
खड़े गणेश का मंदिर :- कोटा बाजणा
गणेश मंदिर :- सिरोही सारण
श्वर महादेव मंदिर : – सिरोही
नाचणा गणेश मंदिर :- रणथम्भौर
राजस्थान का हेरम्ब गणपति मंदिर
- – बीकानेर (जूनागढ़ किले में।)
- – गणपति शेर पर सवार हैं।
राजस्थान का रावण मंदिर
- – मण्डौर (जोधपुर)
- – श्रीमाली ब्राह्यण पूजा करते हैं।
विभीषण मंदिर :- कैथून (कोटा)
खोड़ा गणेश : – अजमेर
रोकड़िया गणेश : – जैसलमेर
सालासर बाजाली :- चुरू (बालाजी के दाढ़ी – मूंछ हैं।) ,
72 जिनालय – भीनमाल (जालौर)
मेहन्दीपुर बाजाली – दौसा (N.H.-11 आगरा से जयपुर)
पावापुरी जैन मंदिर – सिरोही
नारेली के जैन मंदिर – अजमेर
बालापरी – नागौर (कुम्हारी) यहां खिलौने चढ़ाये जाते हैं।
मूछाला महावीर – घाघेराव (पाली)
33 करोड़ देवी-देवताओं का मंदिर – बीकानेर (जूनागढ़)
33 करोड़ देवी-देवताओं की साल – मंडौर (अभयसिंह द्वारा निर्मित)
नीलकण्ड महादेव मंदिर – अलवर (अजयपाल द्वारा निर्मित)
मालासी भैरू जी का मंदिर – मालासी (चुरू) . यहां भैरू जी की उल्टी मूर्ति लगी हैं।
खाटू श्याम जी का मंदिर – खाटू (सीकर)
– बर्बरीक का मंदिर कल्याणजी का मंदिर:- डिग्गी (टोंक)
अन्य मंदिर
1. ऋषभदेव जी का मंदिर :- उदयपुर – पूरे देश में एकमात्र यही ऐसा मंदिर हैं जहां सभी सम्प्रदाय व जाति (श्वताम्बर, दिगम्बर, जैन, शैव, वैष्णव, भील) के लोग आते हैं।
2. सिरयारी मंदिर– पाली – जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के प्रथम आचार्य री भिक्षु की निर्वाण स्थली।
3. मुकन्दरा का शिवमंदिर – कोटा
4. स्वर्ण मंदिर– पाली – जिसे ‘Gateway of Golden and Mini umbai’ के नाम से जाना जाता हैं।
5. सुन्धा माता का मंदिर– जालौर – राजस्थान का प्रथम रोप-वे बनाया गया हैं।
6. नागर शैली का अंतिम व सबसे भव्य मंदिर– सोमेश्वर (किराडू) (पुर्जर – प्रतिहार कालीन)
7. पंचायतन शैली का प्रथम उदाहरण राजस्थान में – औसियां का ‘हरिहर मंदिर’ (भारत में प्रथम उदाहरण,देवगढ़ (झांसी) का दशावतार मंदिर) – नाकोड़ा भैरव जी – बालोतरा।