Ganesh Ji Ki Kahani In Hindi » गणेश जी की कहानियां
Ganesh ji ki kahani – गणेश जी की कहानी | जन्म कथा
शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती स्नान करने के लिए जब गुफा के अंदर जा रही थी तो उन्होंने इस नन्हे बालक को आदेश दिया कि गुफा के अंदर किसी को भी प्रवेश ना दिया जाए। माता पार्वती के गुफा के भीतर जाते ही भगवान शिव वहां पहुंच जाते हैं। मां की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने भगवान शिव को भी गुफा के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया जिस पर भगवान शिव क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने त्रिशूल से भगवान श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। सिर कटते ही माता पार्वती की चीख-पुकार और विलाप से पूरी सृष्टि कम्पायमान हो उठी। हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए एक नन्हे हाथी का सिर भगवान गणेश के धड़ से जोड़ दिया। तभी से भगवान श्री गणेश का सिर हाथी और धड़ बालक का बना है और इसी स्वरूप में हम भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।
गणेश जी की बुढ़िया माई लोक की कथा
एक बुढ़िया माई थी। मिट्टी के गणेश जी की पूजा करती थी। रोज बनाए रोज गल जाए। एक सेठ का मकान बन रहा था। वो बोली पत्थर का गणेश बना दो। मिस्त्री बोले। जितने हम तेरा पत्थर का गणेश घड़ेंगे उतने में अपनी दीवार ना चिनेंगे।बुढ़िया बोली राम करे तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। अब उनकी दीवार टेढ़ी हो गई। वो चिनें और ढा देवें, चिने और ढा देवें। इस तरह करते-करते शाम हो गई। शाम को सेठ आया उसने कहा आज कुछ भी नहीं किया।
वो कहने लगे एक बुढ़िया आई थी वो कह रही थी मेरा पत्थर का गणेश घड़ दो, हमने नहीं घड़ा तो उसने कहा तुम्हारी दीवार टेढ़ी हो जाए। तब से दीवार सीधी नहीं बन रही है। बनाते हैं और ढ़ा देते हैं।
सेठ ने बुढ़िया बुलवाई। सेठ ने कहा हम तेरा सोने का गणेश गढ़ देंगे। हमारी दीवार सीधी कर दो। सेठ ने बुढ़िया को सोने का गणेश गढ़ा दिया। सेठ की दीवार सीधी हो गई। जैसे सेठ की दीवार सीधी की वैसी सबकी करना।
Ganesh ji ki kahani – गणेश जी की कहानी | जन्म कथा
शिव पुराण के अनुसार, माता पार्वती स्नान करने के लिए जब गुफा के अंदर जा रही थी तो उन्होंने इस नन्हे बालक को आदेश दिया कि गुफा के अंदर किसी को भी प्रवेश ना दिया जाए। माता पार्वती के गुफा के भीतर जाते ही भगवान शिव वहां पहुंच जाते हैं। मां की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने भगवान शिव को भी गुफा के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया जिस पर भगवान शिव क्रोधित हो उठे और उन्होंने अपने त्रिशूल से भगवान श्री गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। सिर कटते ही माता पार्वती की चीख-पुकार और विलाप से पूरी सृष्टि कम्पायमान हो उठी। हर तरफ त्राहि-त्राहि मच गई जिसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए एक नन्हे हाथी का सिर भगवान गणेश के धड़ से जोड़ दिया। तभी से भगवान श्री गणेश का सिर हाथी और धड़ बालक का बना है और इसी स्वरूप में हम भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करते हैं।