Golden Thoughts Of Life In Hindi » 500+ Golden Thoughts
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना
पाव बख्शें है तो तौफीक ए सफर भी देना
गुफ़्तुगू तूने सिखाई में तो गुंगा था
अब में बोलूंगा तो बातो में असर भी देना
मेरे थाली से कोई भी छीन सकता है
लेकिन नसीब से किसी के बाप में जोर नहीं
बाज की तरह उड़ान भरनी हो तो
तितलियों का साथ छोड़ना पड़ेगा
मैं जी भर जिया , मैं मन से मरूं, लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं
: – अटल बिहारी वाजपेयी
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए.
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भंवरों की बांहों में मेहमान है.
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ां का, तेवरी तन गई.
मौत से ठन गई.
-भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी साहब
न मांजी न रहबर,न हक़ में हवाएँ ,है
कश्ती भी जर्जर,ये कैसा सफ़र है ??
में आदि पुरुष निर्भयता का वरदान लिए आया भू-पर
भय पीकर सब मरते आये मैं अमर हुआ लो विष पीकर
हमे मिटाने वालो से कहदो
चिंगारी का खेल बुरा होता है
औरो के घर आग लगाने के सपना
अपने ही घर में सदा खरा होता है
रोती है आँखे जलता है दिल ये
जब अपने घर के फेंके दिए से आँगन पराया जग मगाता है
आदमी मुसाफिर है आता है जाता है
जो रात दिन मेरे मरने की कर रहे थे दुआ
वो रो रहे है हिचकिया ले कर
जो तमाशा देख रहे थे डुबने का मेरे
अब मेरी तलाश में निकले है कस्तिया ले कर
मेने रंगा बसंती चोला मेरे यार के लिए
दिल दीवानों का डोला दिलदार के लिए
उन आँखों का हँसना ही क्या जिन आँखों में पानी न हो
वो जवानी जवानी नही जिसकी कोई कहानी न हो
हमको मिली है ये गड़िया नसीब से जी भर के देख लीजिए हमको करीब से
फिर आपके नसीब में ये रात हो न हो सायद इस जन्म में मुलाकात हो न हो
में पल दो पल का सायर हु
खबर नही है पल की बात करते है कल की
अपने ही हाथो तुम अपनी कब्र ना खोदो
अपने ही हाथ तुम अपने पैर कुल्हाड़ी न चलाओ
ओ नादान परिंदो ये आजादी है अनमोल ना इसका मोल लगाओ
पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है
तुम्हें मुफ्त में मिली न कीमत गई चुकाई
लोगो के बल पर गर के दो टुकड़े पाए है
मा को खंडित करते तुम को लाज ना आयी