भारत की नागरिकता » Citizenship Of India
- संविधान के भाग-II, अनुच्छेद-5 से 11 तक में नागरिकता Citizenship के संबंध में प्रावधान किया गया है।
- अनुच्छेद-5 के अनुसार संविधान के आरंभ होने पर प्रत्येक व्यक्ति भारत का नागरिक होगा, जिसका भारत में अधिवास है।
- अनुच्छेद-6 पाकिस्तान से प्रवजन करके आये व्यक्तियों की नागरिकता Citizenship के संबंध में प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद-7 में पाकिस्तान को प्रवजन करने वाले लोगों की नागरिकता Citizenship के बारे में उपबंध किया गया है।
- अनुच्छेद-8 भारत में जन्में किन्तु विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों को कुछ शर्तों को पूरा करने पर नागरिकता Citizenship का अधिकार प्रदान करता है।
- अनुच्छेद-9 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य की नागरिकता Citizenship प्राप्त कर लेता है, तो उसकी भारत की नागरिकता Citizenship समाप्त हो जाएगी।
- अनुच्छेद-11 संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता Citizenship से संबंधित राज्य विषयों के संबंध में विधि बनाने की शक्ति प्रदान करता है।
भारत में नागरिकता ( Citizenship Of India ) प्राप्त करने की विधियाँ हैं
* भारत में जन्म तथा माता-पिता में कोई भी भारतीय नागरिक होना चाहिए।
* उत्तराधिकार से, पंजीकरण द्वारा, देशीयकरण (Natualization) द्वारा।
नागरिकता Citizenship समाप्त होने की तीन विधियाँ
- परित्याक (Renunciation) • यह एक स्वैच्छिक कर्म है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति किसी अन्य देश की नागरिकता Citizenship प्राप्त करने के पश्चात् अपनी भारतीय नागरिकता का परित्याग करता हैं यह प्रावधान कुछ शर्तों पर निर्भर करता है।
- पर्यवसान (Termination) यह कानूनी प्रक्रिया द्वारा सम्भव होता है, जब कोई भारतीय नागरिक स्वच्छापूर्वक किसी दूसरे देश की नागरिकता ग्रहण कर लेता है। उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।
- वंचित किया जाना (Deprivation) पंजीकरण (registration) अथवा देशीयकरण (natualisation) द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए अनचित साधनों के प्रयोग का आरोप होने पर, यह भारत सरकार द्वारा नागरिकता की अनिवार्य रूप से की जाने वाली समाप्ति है।
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