राज्यसभा ( Rajya Sabha ) » राज्यसभा क्या है
राज्यसभा – Rajya Sabha
राज्य | स्थानों की संख्या |
---|---|
1.आंध्र प्रदेश | 18 |
2. तमिलनाडु | 18 |
3. मध्य प्रदेश | 11 |
4. छत्तीसगढ़ | 5 |
5. पश्चिम बंगाल | 16 |
6. उड़ीसा | 10 |
7. राजस्थान | 10 |
8. असम | 7 |
9. बिहार | 16 |
10. झारखण्ड | 6 |
11. गोवा | 1 |
12. गुजरात | 11 |
13. हरियाणा | 5 |
14. केरल | 9 |
15. महाराष्ट्र | 19 |
16. कर्नाटक | 12 |
17. पंजाब | 7 |
18. उत्तर प्रदेश | 31 |
19. उत्तराखण्ड | 3 |
20. जम्मू और कश्मीर | 4 |
21. नागालैण्ड | 1 |
22. हिमांचल प्रदेश | 3 |
23. मणिपुर | 1 |
24. त्रिपुरा | 1 |
25. मेघालय | 1 |
26. सिक्किम | 1 |
27. मिजोरम | 1 |
28. अरुणाचल प्रदेश | 1 |
29. पांडीचेरी | 1 |
30. संघ शासित प्रदेश दिल्ली में | 3 |
- राज्यसभा संसद का उच्च सदन है। धनिको की सभा।
- संविधान के अनुच्छेद 80 के अनुसार राज्यसभा Rajya Sabha के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 (238 निर्वाचित + 12 मनोनीत) हो सकती है परन्तु वर्तमान में यह संख्या 245 (233+12) है।
- इनमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामजद किए जाते हैं। ये ऐसे व्यक्ति होते हैं जिन्हें कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान और अनुभव प्राप्त हो। शेष सदस्य जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से MLA द्वारा निर्वाचित होते हैं। इनके चुनाव विभिन्न राज्यों और संघ क्षेत्रों की
- विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
सदस्यों की योग्यताएं
- वह भारत का नागरिक हो।
- उसकी आयु 30 वर्ष से कम न हो।
- वह किसी लाभ के पद पर न हो, विकृत मस्तिष्क का या दिवालिया न हो।
- ऐसी अन्य योग्यताएँ रखता हो जो संसद के किसी कानून द्वारा निश्चित की जाएं।
- राज्य सभा का उम्मीदवार होने के लिए उस राज्य में संसदीय क्षेत्र का मतदाता होना आवश्यक है जिस राज्य से वह चुनाव लड़ रहा हो।
कार्यकाल
- राज्यसभा Rajya Sabha एक स्थायी सदन हैं यह कभी भंग नहीं होता बल्कि इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद अवकाश ग्रहण कर लेते हैं और इनके स्थान पर नए सदस्यों का चुनाव हो जाता है। इस प्रकार राज्यसभा के प्रत्येक
- सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
पदाधिकारी
भारत का उपराष्ट्रपति राज्यसभा Rajya Sabha का पदेन सभापति होता है तथा राज्यसभा अपने में से किसी एक सदस्य को उपसभापति निर्वाचित करती है। सभापति की अनुपस्थिति में उपसभापति सभापति के कर्तव्यों का पालन करता है।
उपसभापति को राज्य सभा के सदस्यों द्वारा अपने कुल बहुमत से प्रस्ताव पारित कर हटाया जा सकता है।
राज्यसभा के कार्य तथा शक्तियाँ
- संविधान संशोधन की शक्ति
- राज्यसभा Rajya Sabha के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।
- राज्यसभा Rajya Sabha के सदस्य लोकसभा के सदस्यों के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति का चुनाव करते हैं।
- राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों तथा न्य कुछ पदाधिकारियों पर महाभियोग लगा सकती है।
- राज्यसभा लोकसभा के साथ मिलकर बहुमत से प्रस्ताव पास कर उपराष्ट्रपति को उसके पद से हटा सकती है।
- एक माह से अधिक अवधि तक यदि आपातकाल लागू रखना हो तो उस प्रस्ताव का अनुमोदन लोकसभा तथा राज्यसभा Rajya Sabha दोनों से पारित होना आवश्यक है।
- राज्य सूची में दिए गए विषयों पर कानून बनाने का अधिकार- संविधान के अनुच्छेद 249 के अनुसार यदि राज्यसभा उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत स यह संकल्प पारित कर दे कि राष्ट्रीय हित में यह आवश्यक है कि संसद राज्य सूची में वर्णित किसी विषय के सम्बन्ध में कानून बनाये, तो संसद को उस विषय के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार मिल जाता है। इस प्रकार बनाया गया कानून केवल एक वर्ष तक प्रवर्तन में रहता है परन्तु राज्यसभा पुनः संकल्प पारित करके एक वर्ष के समय को और एक वर्ष तक के लिए बढ़ा सकती है तथा बार बार संकल्प पारित करके इस अवधि को असीमित कर सकती है। राज्यसभा ने इस अधिकार का अब तक दो बार प्रयोग किया है
- (क) 1952 में 1952 में राज्यसभा Rajya Sabha ने संकल्प पारित करके संसद को व्यापार, वाणिज्य, उत्पादन, वस्तुओं की उपलब्धि तथा वितरण के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार दिया था।
- (ख) 1986 में 1986 में राज्यसभा Rajya Sabha ने संकल्प पारित करके संसद को अन्तर्राष्ट्रीय सीमा के साथ सुरक्षा क्षे की व्यवस्था करने के सम्बन्ध में कानून बनाने का अधिकार दिया था।
- अखिल भारतीय सेवाओं की व्यवस्था- संविधान के अनुच्छेद 312(1) के अधीन यह प्रावधान किया गया है कि राज्यसभा अपने उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुत से यह संकल्प पारित कर दे कि राष्ट्रीय हित में यह आवश्यक है संसद संघ और राज्यसभा के लिए सम्मिलित एक या अधिक अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन करे तो संसद को ऐसा अधिकार मिल जाता है। इस शक्ति का प्रयोग करके राज्यसभा ने निम्नलिखित अखिल भारतीय सेवा का सुजन किया है
- (क) 1961 में- भारतीय इन्जीनियर्स सेवा, भारतीय वन सेवा, भारतीय चिकित्सा सेवा
- (ख) 1965 में भारतीय कृषि सेवा तथा भारतीय शिक्षा सेवा ।
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