कुतुबुद्दीन ऐबक का इतिहास | गुलाम वंश
गुलाम वंश एवं कुतुबुद्दीन ऐबक दिल्ली का पहला मुसलमान तुर्क शासक कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता है तथा भारत में तुर्की राज्य का संस्थापक भी वही था।
कुतुबुद्दीन ऐबक तुर्क था तथा उसके माता-पिता तुर्किस्तान के निवासी थे।
मुहम्मद गौरी के समय ऐबक ने एक योग्य सेनापति के रूप में कार्य करते हुए समस्त युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
1206 ई. में गौरी की मृत्यु हो जाने पर लाहौर की जनता ने ऐबक को दिल्ली से लाहौर आकर शासन सत्ता सम्भालने के लिए आमन्त्रित किया था।
ऐबक ने 25 जून, 1206 ई. को गौरी की मृत्यु के तीन माह पश्चात् अपना राज्याभिषेक करवाया था तथा सुल्तान की जगह मलिक एवं सिपहसालार की पदवियों से ही सन्तुष्ट रहा था।
परन्तु जब ऐबक गौरी द्वारा विजित प्रदेशों का शासक बना उसके सामने अनेकों कठिनाइयाँ थीं, जैसे राजपूत शासक पुनः स्वतन्त्र होने के लिए विद्रोह कर रहे थे।
बंगाल में ऐबक का शासन खिलजी सरदार स्वीकार करने के लिए तैयार न था। गौरी के दो अन्य गुलाम गजनी का ताजुद्दीन यल्दौज व उच्छ का नासिरुद्दीन कुबाचा शासन कर रहे थे।
ऐबक ने 1197 ई. में अन्हिलवाड़ के शासक भीम द्वितीय को पराजित कर गुजरात पर अपना शासन किया।
1202-03 ई. में कालिंजर के राजा परमर्दिदेव को पराजित किया।
1204-05 ई. में बंगाल, बिहार पर आक्रमण कर अधिकार किया।
1210 ई. में ऐबक के मरने से पूर्व उसका साम्राज्य सम्पूर्ण पंजाब, दिल्ली, कोल, बदायूँ, बंगाल, कालिंजर, गुजरात, मेरठ, कन्नौज, झाँसी, ग्वालियर, बनारस, मालवा एवं राजपूताना के अजमेर आदि प्रान्तों तक स्थापित था।
गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक (1206-1210 ई.) था।
कुतुबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के कारण ‘लाखबक्श’ (लाखों का दान करने वाला) कहा गया । ऐबक ने ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण प्रारम्भ करवाया।
1210 ई. में चौगान (पोलो) खेलते समय ऐबक की मृत्यु हो गई।