खिलजी वंश का इतिहास | अलाउद्दीन खिलजी | 1290-1320 ई.
खिलजी वंश
- जलालुद्दीन खिलजी (1290 ई. से 1296 ई.)
- अलाउद्दीन खिलजी (1296 ई. से 1316 ई.)
- कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी (1316 ई. से 1320 ई.)
- नासिरुद्दीन खुसरूशाह (1320 ई.)
अलाउद्दीन खिलजी का विजय अभियान
मालवा | 1292 ई. सुल्तान बनने से पूर्व |
देवगिरी | 1296 ई. |
गुजरात | 1297 ई |
रणथम्भौर | 1301 ई |
चित्तौड़ | 1301 ई |
मालवा | 1305 ई. |
सिवाना | 1308 ई. |
जालौर | 1311 ई. |
– सल्तनत कालीन भूमि निम्नलिखित व्यवस्था के अधीन थी
(1) इक्ता भूमि : भूमि का वह टुकड़ा जो राजकीय अधिकारियों को उनके नगद वेतन के एवज में दिया जाता था। इस भूमि से होने वाली आय अधिकारी के वेतन के बराबर होती थी।
(2) खलीसा भूमि : इसे सुल्तान की भूमि (Crown Lands) कहा जाता था। इस भूमि की आय सुल्तान के लिए सुरक्षित रहती थी।
(3) अमलाक भूमि : लगान रहित भूमि जैसे- मिल्क, वक्फ और इनाम। धर्म संबंधी तथा अन्य दान कार्यों के लिये दी जाती थी।
(4) इतलाक : वह भूमि जिसका प्रबंध सुल्तान अपने द्वारा नियुक्त किये हुये कर्मचारियों से करवाता था।
- खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन फिरोज खिलजी(1290-96 ई.) था।
- उसने अपनी राजधानी दिल्ली के निकट किलोखरी में बनाई।
- जलालुद्दीन फिरोज दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था जिसने राजत्व का आधार प्रजा का समर्थन माना।
- अलाउद्दीन खिलजी (1296-1316 ई.) का मूल नाम अली गुरशास्प था। उसने सिकन्दर द्वितीय सानी की उपाधि धारण की।
- अलाउद्दीन खिलजी प्रथम मुस्लिम सुल्तान था, जिसने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और उसे अपने अधीन किया।
- उसके सेनानायक मलिक काफूर को दक्षिण विजय का श्रेय दिया जाता है।
- अलाउद्दीन की नीतियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण ‘बाजार नियन्त्रण नीति’ थी, जिसका उद्देश्य अपनी विशाल सेना की आवश्यकताओं को पूरा करना था।
- अलाउद्दीन ने इनाम, मिल्क तथा वक्फ भूमि को खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया।
- वह प्रथम सुल्तान था जिसने भूमि की माप के आधार पर लगान निर्धारित किया।
- अलाउद्दीन ने सैनिकों की सीधी भर्ती तथा नकद वेतन देने की प्रथा की शुरुआत की।
- उसने सैनिकों के लिए ‘चेहरा’ तथा उनके घोड़ों के लिए ‘दाग’ प्रथा की शुरुआत की।
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