पुरुषार्थ किसे कहते हैं
पुरुषार्थ दो शब्दों पुरुष और अर्थ से मिलकर बना है जिसका अर्थ है विवेकशील प्राणी का लक्ष्य । पुरुषार्थ का एक अर्थ उद्योग अथवा प्रयत्न करने से भी है, अर्थात अपने अभीष्ट | (मोक्ष) को प्राप्त करने के लिये उधम करना। पुरुषार्थ 4 हैं धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।।
धर्म : religion
व्यक्ति को कर्त्तव्य मार्ग पर आगे बढ़ने और अपने | दायित्वों का निर्वाह करने की प्रेरणा देता है। धर्म ही मनुष्य | तथा समाज के अस्तित्व को अक्षुण्ण रखता है। प्रत्येक आश्रम | में व्यक्ति को धर्म के अनुरूप कार्य करने को कहा गया है।
अर्थ : Meaning
इसका प्रयोग व्यापक अर्थ में किया गया हैं अर्थ | भौतिक सुखों की सभी आवश्यकताओं और साधनों का द्योतक है। इसके अंतर्गत वार्ता (कृषि, पशुपालन, वाणिज्य) तथा राजनीति को भी सम्मिलित किया गया है।
काम : work
इसका तात्पर्य उन सब इच्छाओं से है जिनकी | पूर्ति करके मनुष्य सांसारिक सुख प्राप्त करता है। भारतीय धर्म दर्शन में काम का मुख्य उद्देश्य संतानोत्पत्ति द्वारा वंश वृद्धि करना माना गया है।
मोक्ष : Salvation
इसका तात्पर्य हृदय की अज्ञानता का नाश करके | जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त करना। इसका संबंध आत्मा | से है। बौद्ध दर्शन में इसे निर्वाण और जैन दर्शशन में इसे कैवल्य कहा गया है।