भारत के प्रधानमंत्री – Prime Minister Of India
1. जवाहर लाल नेहरू | 1950-1964 |
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2. गुलजारी लाल नंदा (कार्यवाहक) | 1964 |
3. लाल बहादुर शास्त्री | 1964-1966 (ताशकन्द में मृत्यु) |
4. गुलजारी लाल नंदा (कार्यवाहक) | 1966 |
5. इंदिरा गाँधी | 1966-1977 |
6. मोरार जी देसाई | 1977-1979 |
7. चौधरी चरण सिंह | 1979-1980 |
8. इंदिरा गाँधी (हत्या हो गई) | 1980-1984 |
9. राजीव गाँधी | 1984-1989 |
10. विश्वनाथ प्रताप सिंह | 1989-1990 |
11. चन्द्रशेखर | 1990-1991 |
12. पी. वी. नरसिंह राव | 1991-1996 |
13. अटल बिहारी वाजपेयी (13 दिन तक) | 1996 |
14. एच. डी. देवगौड़ा | 1996-1997 |
15. इन्द्र कुमार गुजराल | 1997-1998 |
16. अटल बिहारी वाजपेयी | 1998-2004 |
17. मनमोहन सिंह | 2004-2014 |
18 नरेंद्र मोदी | 2014-2019 |
19 नरेंद्र मोदी | 2019-2024 |
तीन प्रधानमंत्रियों की मृत्यु उनके कार्यकाल के दौरान ही हो गई- (1) जवाहर लाल नेहरू, (2) लाल बहादुर शास्त्री, (3) इंदिरा गाँधी
विश्वनाथ प्रताप सिंह पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो लोकसभा में विश्वास मत नहीं प्राप्त कर सके इसलिए उनकी सरकार गिर गई। अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनकी सरकार अविश्वास प्रस्ताव के दौरान 1 मत से गिर गई थी।
भारत जैसे संसदीय शासन व्यवस्था वाले देशों में प्रधानमंत्री का पद अत्यंत महत्व का होता है, क्योंकि संसदात्मक व्यवस्था में वास्तविक शक्तियाँ मंत्रिपरिषद् के पास होती हैं, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है।
संविधान के अनुच्छेद 75(1) में यह प्रावधान किया गया है कि प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करेगा लेकिन राष्ट्रपति किसे प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा, यह स्पष्ट नहीं किया गया है। सामान्य परम्परा यह है कि लोकसभा में किसी भी दल के पास स्पष्ट बहुमत न हो, तो राष्ट्र अपने विवेक का प्रयोग करता है। सामान्यतः वह सबसे बड़े दल के नेता को अथवा सबसे बड़े गठबंधन वाले दलों क नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता हो।
प्रधानमंत्री के लिए वही योग्यताएँ होनी चाहिए, जो लोकसभा का सदस्य बनने के लिए होती हैं क्योंकि प्रधानमंत्री संसद का सदस्य और बहुमत प्रापत दल का नेता होता है।
यह अनिवार्य नहीं है कि प्रधानमंत्री लोकसभा का सदस्य हो। राज्यसभा का सदस्य भी प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जा सकता है बशर्ते उसे लोकसभा के सदस्य बहुमत से अपना नेता चुन लें।
प्रधानमंत्री पद पर ऐसा भी व्यक्ति नियुक्त किया जा सकता है जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य न हो, बशर्ते उसे लोकसभा में बहुमत प्रापत दल के सदस्य अपना नेता चुन लें लेकिन उसे 6 माह के अंदर संसद का सदस्य बनना अनिवार्य होता है।
प्रधानमंत्री, राष्ट्रसपति तथा मंत्रिपरिषद् के बीच सेतु का कार्य कर सकता है। वह मंत्रिपरिषद् के निर्णयों की सूचना राष्ट्रपति को देता है। राष्ट्रपति के माँगे जाने पर अन्य सचनाएँ भी वह उस तक पहँचाता है।