शेर शाह सूरी | शेरशाह सूरी | शेरशाह का इतिहास
शेर शाह सूरी | शेरशाह सूरी का इतिहास » शेर शाह का असली नाम फरीद खाँ था। उसके पिता हसन खाँ सासाराम के जमींदार थे।
1540 ई. में कन्नौज के युद्ध में विजयी होने के बाद उसने शेरशाह की उपाधि धारण की। उसने पुराने सिक्कों की जगह शुद्ध सोने-चांदी के सिक्के जारी किये।
उसने ‘जब्ती’ प्रणाली लागू की, जिसके अन्तर्गत लगान का निर्धारण भूमि की माप के आधार पर किया जाता था।
शेर शाह ने रुपया का प्रचलन शुरू किया, जो 178 ग्रेन चाँदी का होता था।
उसने दिल्ली में पुराने किले का निर्माण करवाया।
उसके अन्दर ‘किला-ए-कुहना मस्जिद’ का निर्माण करवाया।
उसके शासनकाल में मलिक मुहम्मद जायसी ने ‘पद्मावत’ की रचना की।
शेरशाह का मकबरा सासाराम में स्थित है। कालिंजर विजय अभियान के दौरान शेरशाह की तोप फटने से मृत्यु हो गई।
शेरशाह ने सड़क-ए-आजम’ ( ग्राण्ड-ट्रंक रोड ) का निर्माण करवाया, जो सोनारगाँव से पेशावर तक जाती थी।