16 संस्कार के नाम | 16 संस्कार क्या है | 16 संस्कारों को बताइए

16 संस्कार के नाम » गर्भाधान संस्कार, पुसवन संस्कार, सीमन्तोन्नयन संस्कार, जात कर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चौलकर्म संस्कार, कर्णवेधन संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, उपनयन संस्कार, वेदारंभ संस्कार, केशान्त संस्कार, समावर्तन संस्कार, विवाह संस्कार, अंत्येष्टि संस्कार

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16 संस्कार के नाम | 16 संस्कार क्या है | 16 संस्कारों को बताइए

16 संस्कार | 16 संस्कार के नाम | 16 संस्कार क्या है
16 संस्कार | 16 संस्कार के नाम | 16 संस्कार क्या है

16 संस्कार के नाम ( 16 संस्कारों के नाम ) » 16 संस्कार ( sacraments )का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धता’ अथवा ‘परिष्कार’ से है। इनका मुख्य उद्देश्य अशुभ शक्तियों के प्रभाव से व्यक्ति को बचाना है। इसके भौतिक उद्देश्य में सांसारिक समृद्धि प्रापत करना प्रमुख है । यद्धपि वैदिक साहित्य में संस्कारों का विधिवत उल्लेख नहीं है, फिर भी यह माना जाता है कि इसका उदय उत्तर वैदिक काल में हो चुका था। संस्कारों का शास्त्रीय विवेचन सर्वप्रथम ‘वृहदारण्यकोपनिषद्’ से प्राप्त होता है। संस्कारों ( sacraments ) की संख्या भी अलग-अलग बताई गई है, परंतु अधिकांश विद्वान 16 संस्कारों ( 16 sacraments ) को ही मान्यता देते हैं। ये 16 संस्कार के नाम ( 16 sacraments ) हैं|

  • 1. गर्भाधान संस्कार
  • 2. पुसवन संस्कार
  • 3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
  • 4. जात कर्म संस्कार
  • 5. नामकरण संस्कार
  • 6. निष्क्रमण संस्कार
  • 7. अन्नप्राशन संस्कार
  • 8. चौलकर्म संस्कार
  • 9. कर्णवेधन संस्कार
  • 10. विद्यारंभ संस्कार
  • 11. उपनयन संस्कार
  • 12. वेदारंभ संस्कार
  • 13. केशान्त संस्कार
  • 14. समावर्तन संस्कार
  • 15. विवाह संस्कार
  • 16. अंत्येष्टि संस्कार

(1) गर्भाधान संस्कार : Conception sacraments

उत्तर वैदिक काल में प्रचलित हुये इस संस्कार में संतान प्राप्ति के उद्देश्य से स्त्री के गर्भ में पुरुष बीजारोपण करता था। |

(2) पुंसवन संस्कार : Pusvan sacraments

गर्भाधान से बाद तीसरे माह पुत्र संतान की प्राप्ति के लिय यह संस्कार किया जाता था। 

(3) सीमन्तोन्नयन संस्कार : Marginal promotion sacraments

गर्भवती स्त्री की रक्षा के तथा गर्भस्थ शिशु की दीर्घायु के लिये किया जाता था।

(4) जातकर्म संस्कार : Castration sacraments

बालक के जन्म के तुरंत बाद पिता बालक को स्पर्श कर उसके कान में आशीवर्चन बोलता था। इसका उद्देश्य संतान पर पड़ने वाली अनिष्टकारी बाधाओं से बचाना था। 

(5) नामकरण संस्कार : Nomenclature sacraments

जन्म के 11वें दिन शिशु का नाम रखा जाता था। 

(6) निष्क्रमण संस्कार : Evacuation sacraments

बालक के पहली बार घर से बाहर जाने पर इस संस्कार का आयोजन होता था। 

(7) अन्नप्राशन संस्कार : Annaprashan sacraments

इस संस्कार के अंतर्गत पहली बार शिशु को अन्न खिलाया जाता था। यह संस्कार जन्म के 5वें अथवा 6वें माह में किया जाता था।

(8) चौलकर्म संस्कार ( चूड़ाकरण ) : Chaulakram sacraments ( Chudakaran )

शिशु के 1 वर्ष या 3 वर्ष का होने पर इस संस्कार का संपादन होता था जिसमें पहली बार शिशु के बाल काटे जाते थे। 

(9) कर्ण वेधन संस्कार : Aural drilling sacraments

शिशु के 3 वर्ष या 5 वर्ष का होने पर उसके कान को छेदा जाता था। 

(10) विद्यारंभ संस्कार : Start sacraments

शिशु के 5 वर्ष का होने पर गुरू द्वारा अक्षर ज्ञान कराया जाता था। 

(11) उपनयन संस्कार : Upanayana sacraments

इस संस्कार के अंतर्गत बालक गुरू के पास रहकर गुरू, वेद, यम, नियम का व्रत और देवता के सामीप्य के लिये दीक्षित किया जाता था। उपनयन संस्कार ब्राह्मण का 8वें वर्ष में, क्षत्रिय का 11वें वर्ष में, वैश्य का 12वें वर्ष में, किया जाता था। इस संस्कार के बाद व्यक्ति का दूसरा जन्म माना जाता था, इसीलिये उसे द्विज कहा जाता था। शूद्रों एवं महिलाओं के लिये यह संस्कार वर्जित था। 

(12) वेदारंभ संस्कार : Vedambha sacraments

उपनयन संस्कार के 1 वर्ष के अंदर इस संस्कार का संपादन होता था जिसमें वेदों का अध्ययन प्रारंभ किया जाता था। 

(13) केशान्त संस्कार : Keshant sacraments

गुरु के पास रहते हुए 16 वर्ष की आयु में पहली बार विद्यार्थी की दाढ़ी, मूछ बनवाने पर यह संस्कार संपन्न होता था। 

(14) समावर्तन संस्कार : Inclusion sacraments

शिक्षा की समाप्ति पर यह संस्कार संपन्न होता था। इसके बाद वह स्नातक कहलाता था। इस संस्कार की सर्वमान्य आयु 24 वर्ष मानी गई है। 

(15) विवाह संस्कार : marriage sacraments

इस आश्रम के बाद ही व्यक्ति गहस्थाश्रम में प्रवेश करता था। इसका उद्देश्य संतानोत्पत्ति था। इस संस्कार के लिये 25 वर्ष की आयु उपर्युक्त मानी गई है। अधिकांश धर्म सूत्रों में 8 प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है। ये इस प्रकार हैं

  • 1. ब्राह्म : माता-पिता द्वारा उपर्युक्त वर खोज कर उससे अपनी बेटी का विवाह करना।
  • 2. दैव : यज्ञकर्ता पुरोहित के साथ कन्या का विवाह।
  • 3. आर्ष : कन्या के पिता द्वारा वर से एक गाय और एक बैल या एक जोड़ा बैल लेकर अपनी कन्या का विवाह करना। |
  • 4. प्रजापत्य : बिना किसी दान-दहेज के वर को अपनी कन्या सौंपना।
  • 5. आसुर : कन्या के पिता द्वारा वर से धन लेकर अपनी कन्या का विवाह करना।
  • 6 गांधर्व : माता-पिता की इच्छा से विरुद्ध किया गया प्रेम विवाह।
  • 7 राक्षस : कन्या का अपहरण अथवा बलपूर्वक किया गया विवाह।
  • 8 पैशाच : सोती हुई नशे में अथवा पागल कन्या को काम-वासना की तृप्ति के लिये अपनाया जाना।

प्रशंसनीय विवाह

ब्राह्म, दैव, आर्ष और प्रजापत्य विवाह

निंदनीय विवाह

आसुर, गांधर्व, राक्षस और पैशाच विवाह में तलाक या संबंध विच्छेद संभव था। 

(16) अंत्येष्टि संस्कार : Funerals sacraments

व्यक्ति की मृत्यु के उपरांत परलोक में उसके सुख एवं कल्याण के लिय किया जाने वाला संस्कार था।

16 संस्कार के नाम | 16 संस्कार क्या है

https://youtu.be/oDqEu-R196g

16 संस्कार के नाम बताइए

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

16 संस्कार क्या है

16 संस्कार ( sacraments )का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धता’ अथवा ‘परिष्कार’ से है। इनका मुख्य उद्देश्य अशुभ शक्तियों के प्रभाव से व्यक्ति को बचाना है। इसके भौतिक उद्देश्य में सांसारिक समृद्धि प्रापत करना प्रमुख है ।

16 संस्कार हिंदी में

16 संस्कार ( sacraments )का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धता’ अथवा ‘परिष्कार’ से है। इनका मुख्य उद्देश्य अशुभ शक्तियों के प्रभाव से व्यक्ति को बचाना है। इसके भौतिक उद्देश्य में सांसारिक समृद्धि प्रापत करना प्रमुख है ।

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

16 संस्कार के नाम

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

सनातन धर्म के संस्कार

16 संस्कार ( sacraments )का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धता’ अथवा ‘परिष्कार’ से है। इनका मुख्य उद्देश्य अशुभ शक्तियों के प्रभाव से व्यक्ति को बचाना है। इसके भौतिक उद्देश्य में सांसारिक समृद्धि प्रापत करना प्रमुख है ।

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

सोलह संस्कारों को बताइए

16 संस्कार ( sacraments )का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धता’ अथवा ‘परिष्कार’ से है। इनका मुख्य उद्देश्य अशुभ शक्तियों के प्रभाव से व्यक्ति को बचाना है। इसके भौतिक उद्देश्य में सांसारिक समृद्धि प्रापत करना प्रमुख है ।

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

हिंदू धर्म में सोलह संस्कार कौन से हैं

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

हिंदू धर्म में कितने संस्कार होते हैं

16 संस्कार ( sacraments )का शाब्दिक अर्थ ‘शुद्धता’ अथवा ‘परिष्कार’ से है। इनका मुख्य उद्देश्य अशुभ शक्तियों के प्रभाव से व्यक्ति को बचाना है। इसके भौतिक उद्देश्य में सांसारिक समृद्धि प्रापत करना प्रमुख है ।

1. गर्भाधान संस्कार
2. पुसवन संस्कार
3. सीमन्तोन्नयन संस्कार
4. जात कर्म संस्कार
5. नामकरण संस्कार
6. निष्क्रमण संस्कार
7. अन्नप्राशन संस्कार
8. चौलकर्म संस्कार
9. कर्णवेधन संस्कार
10. विद्यारंभ संस्कार
11. उपनयन संस्कार
12. वेदारंभ संस्कार
13. केशान्त संस्कार
14. समावर्तन संस्कार
15. विवाह संस्कार
16. अंत्येष्टि संस्कार

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