शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi

शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi
शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi - जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

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शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi

Shiv Chalisa In Hindi

शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi

Shiv Chalisa Lyrics

|| शिव चालीसा दोहा ||

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

|| शिव चालीसा चौपाई ||

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

|| शिव चालीसा दोहा ||

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥

|| श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ||

शिव चालीसा हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

अर्थ – हे गिरजा-पुत्र अर्थात पार्वती के नंदन श्री गणेश, आप ही समस्त शुभता और बुद्धि का कारण हो। अतः आपकी जय हो। अयोध्यादास जी प्रार्थना करते हैं कि आप ऐसा वरदान दें कि सभी भय दूर हो जाए।

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

अर्थ – हे पार्वती ( गिरिजा) के पति, आप सबसे दयालु हो, आपकी जय हो, आप हमेशा साधु-संतों की रक्षा करते हो।

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अर्थ – आप त्रिशूल रखते हो और मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित हैं, आपने कानो में नागफनी के समान कुण्डल पहन रखे हो।

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

अर्थ – आपका रंग श्वेत हैं, आपकी जटाओं से गंगा नदी बहती हैं, आपने गले में राक्षसों के सिरो की माला पहन रखी हैं और शरीर पर चिताओं की भस्म लगा रखी है।

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

अर्थ – आपने बाघ की खाल को वस्त्र के रूप में पहना हुआ हैं, आपके रूप को देखकर साँपो भी आकर्षित हो जाते हैं।

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

अर्थ – मैना की दुलारी अर्थात् उनकी पुत्री पार्वती भी आपकी पत्नी के रूप में पूजनीय हैं, उनकी छवि भी मन को सुख देने वाली हैं।

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

अर्थ – हाथों में त्रिशूल आपकी छवि को ओर भी शोभायमान बनाता है। क्योंकि उससे सदैव शत्रुओं का विनाश होता हैं।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

अर्थ – आपके पास में आपकी सवारी नंदी व पुत्र गणेश इस तरह दिखाई दे रहे है जैसे कि समुंद्र के मध्य में दो कमल खिल रहे हो।

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

अर्थ – कार्तिकेय और अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है कि कोई उनका बखान नहीं कर सकता।

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

अर्थ – जब कभी भी देवताओं ने संकट के समय में आपको पुकारा हैं, आपने सदैव उनके संकटों का निवारण किया हैं।

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

अर्थ – जब ताड़कासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्यधिक अत्याचार किये तब सभी देवतागण उससे छुटकारा पाने के लिए आपकी शरण में चले आये।

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

अर्थ – देवताओं के आग्रह पर आपने तुरंत अपने बड़े पुत्र कार्तिक ( षडानन) को वहां भेजा और उन्होंने बिना देरी किये उस पापी राक्षस का वध कर दिया।

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

अर्थ – आपने जलंधर नामक राक्षस का संहार किया जिस कारण आपका यश संपूर्ण विश्व में व्याप्त हुआ।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

अर्थ – त्रिपुरासुर नामक राक्षस से भी आप ही ने युद्ध कर उसका वध किया और आपकी कृपा से ही देवताओं के मान की रक्षा हुई।

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

अर्थ- जब भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तप किया तब आपने ही अपनी जटाओं से गंगा के प्रवाह को अपनी जटाओं में समाहित कर लिया।

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

अर्थ – आपके समान दानदाता इस संसार में कोई नही हैं, भक्तगण हमेशा आपकी स्तुति करते रहते हैं।

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

अर्थ – समस्त वेद भी आपकी महिमा का बखान करते हैं लेकिन आप रहस्य हैं, इसलिए आपका भेद कोई भी नही जान पाया हैं।

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

अर्थ – समुद्र मंथन के दौरान विष का घड़ा निकलने पर देवता और असुर भय से कांपने लगे थे।

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

अर्थ – तब आपने सभी पर दया कर उस विष को कंठ में धारण कर लिया, और उसी समय से आपका नाम “नीलकंठ” पड़ गया।

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

अर्थ – लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व श्रीराम ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में आपकी पूजा की थी और उसके बाद उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त कर विभीषण को वहां का राजा बनाया था।

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

अर्थ – जब श्रीराम आपकी पूजा-अर्चना कर रहे थे और आपको कमल के पुष्प अर्पित कर रहे थे, तब आपने उनकी परीक्षा लेनी चाही।

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

अर्थ – आपने उन कमल पुष्पों में से एक कमल का पुष्प छुपा दिया, तब श्रीराम ने अपने नेत्र रूपी कमल से आपकी पूजा शुरू की।

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

अर्थ – श्रीराम की ऐसी कठोर भक्ति को देखकर आप अत्यधिक प्रसन्न हुए और आपने उन्हें मनचाहा वरदान दिया।

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

अर्थ – हे भोलेनाथ ! आपकी जय हो, जय हो, जय हो, आपका कोई आदि-अंत नही हैं, आपका विनाश नही किया जा सकता हैं, आप सभी के ऊपर अपनी कृपा दृष्टि ऐसे ही बनाये रखो।

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

अर्थ – बुरे विचार हमेशा मेरे मन को कष्ट पहुंचाते हैं और जिससे मेरा मन हमेशा भ्रमित रहता है और मुझे क्षणमात्र भी चैन नहीं मिलता।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

अर्थ – इस संकट की स्थिति में मैं आपका ही नाम पुकारता हूँ, इस संकट के समय आप ही मेरा उद्धार कर सकते हैं।

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥

अर्थ – आप अपने त्रिशूल से मेरे शत्रुओं का नाश कर दो और मुझे संकट से बहार निकालो।

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

अर्थ – माता, पिता, भाई आदि सभी सुख के ही साथी हैं, लेकिन संकट आने पर हमे कोई नही पूछता।

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

अर्थ – इसलिए हे भोलेनाथ ! मुझे केवल आप से ही आशा हैं कि आप आकर मेरे संकटों का निवारण करेंगे।

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अर्थ – आप हमेशा निर्धन व्यक्तियों को धन देकर उनकी आर्थिक समस्या को दूर करते हैं, जो कोई आपकी जैसी भक्ति करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है।

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

अर्थ – आपकी पूजा करने की विधि क्या है, इसके बारे में हमे कम ज्ञान हैं, इसलिए यदि हमसे किसी प्रकार की कोई भूल हो जाये तो कृपया करके हमारी भूल को माफ़ कर दे।

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

अर्थ – हे भगवान शंकर, आप ही सभी संकटों का नाश करने वाले हो , आप ही सभी का मंगल करने वाले हो, आप ही विघ्नों का नाश करने वाले हो।

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

अर्थ – सभी योगी-मुनि आपका ही ध्यान करते हैं और नारद व माँ सरस्वती आपके सामने अपना शीश नवाते हैं।

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

अर्थ – आपका ध्यान करने का मूल मंत्र “ऊं नमः शिवाय“ है। इस मंत्र का जाप करके भी सभी देवता और भगवान ब्रह्मा भी पार नही पा सकते हैं।

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

अर्थ – जो भी भक्त सच्चे मन से इस पाठ को कर लेते हैं उन पर भोलेनाथ की कृपा अवश्य होती हैं।

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥

अर्थ – जो भी भक्त Shiv Chalisa का पाठ करता हैं वह सभी प्रकार के ऋणों से मुक्त हो जाता हैं और वह तनाव मुक्त महसूस करता है।

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

अर्थ – यदि किसी दम्पति को संतान प्राप्ति नही हो रही हैं, तो निश्चय ही शिव की कृपा से उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

अर्थ – प्रत्येक माह की त्रयोदशी के दिन अपने घर में पंडित को बुलाकर Shiv Chalisa का पाठ व हवन करवाना चाहिए।

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

अर्थ – जो भी भक्त त्रयोदशी के दिन आपका व्रत करता हैं, उसका तन हमेशा निरोगी रहता हैं।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

अर्थ – भगवान शिव को पूजा में धूप, दीप व नैवेद्य चढ़ाना चाहिए और उनके सम्मुख बैठकर Shiv Chalisa का पाठ सुनाना चाहिए।

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

अर्थ -Shiv Chalisa का पाठ करके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे शिव जी के शिवपुर धाम में शरण मिलती हैं।

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

अर्थ – अयोध्यादास आपके सामने यह आस लगाकर विनती करता हैं कि आप मेरे सभी दुखों का निवारण कर दे।

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥

अर्थ – रोजाना प्रातःकाल Shiv Chalisa का पाठ करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव से अपनी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने की अर्जी लगाना चाहिए।

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥

अर्थ – माघ मास की छठी तिथि को हेमंत ऋतु में संवत चौसठ में इस Shiv Chalisa के लेखन कार्य पूर्ण हुआ।

शिव चालीसा इन हिंदी अर्थ सहित » Shiv Chalisa In Hindi
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Shiv Chalisa In English

Jai Ganesh Girija Suvan

Mangal Mul Sujan

Kahat Ayodhya Das

Tum Dey Abhaya Varadan

Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay…

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Bhala Chandrama Sohat nike

Rs 1 Trial
Kanan kundal nagaphani ke

Kanan kundal nagaphani ke…

Anga Gaur shira ganga bahaye

Mundamala tan chhara lagaye

Mundamala tan chhara lagaye..

Vastra khala baghambar sohain

Chhavi ko dekha naga muni mohain

Chhavi ko dekha naga muni mohain..

Maina matu ki havai dulari

Vama anga sohat chhavi nyari

Kara trishul sochat chhavi bhari

Karat sada shatrun chhayakari

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Nandi ganesh sohain tahan kaise

Sagar madhya kamal hain jaise

Sagar madhya kamal hain jaise

Kartik shyam aur gana rauo

Ya chhavi ko kahi jata na kauo

Ya chhavi ko kahi jata na kauo

Devan jabahi jaya pukara

Tabahi dukha prabhu apa nivara

Tabahi dukha prabhu apa nivara

Kiya upadrav tarak bhari

Devan sab mili tumahi juhari

Turata shadanana apa pathayau

Luv nimesh mani mari girayau

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Apa Jalandhara asura sanhara

Suyash tumhara vidit sansara

Suyash tumhara vidit sansara

Tripurasur sana yudha machai

Sabhi kripakar lina bachai

Sabhi kripakar lina bachai

Kiya tapahin bhagiratha bhari

Purahi pratigya tasu purari

Purahi pratigya tasu purari

Darpa chod ganga thabb aayee

Sevak astuti karat sadahin

Ved naam mahim thabb gayee

Akatha anadi bhed nahin pai

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Pragati udadhi mantan te jvala

Jarae sura sur bhaye bihala

Jarae sura sur bhaye bihala

Mahadev thab kari sahayee,

Nilkantha tab nam kahai

Nilkantha tab nam kahai

Pujan Ramchandra jab kinha

Jiti ke lanka vibhishan dinha

Jiti ke lanka vibhishan dinha

Sahas kamal men ho rahe dhari

Kinha pariksha tabahin purari

Ek kamal prabhu rakheu joyee

Kamal nain pujan chahain soi

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Kathin bhakti dekhi prabhu shankar

Bhaye prasanna diye-ichchhit var

Bhaye prasanna diye-ichchhit var

Jai jai jai anant avinashi

Karat kripa sabake ghat vasi

Karat kripa sabake ghat vasi

Dushta sakal nit mohin satavai

Bhramat rahe man chain na avai

Bhramat rahe man chain na avai

Trahi-Trahi main nath pukaro

yahi avasar mohi ana ubaro

lai trishul shatrun ko maro

sankat se mohin ana ubaro

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Mata pita bhrata sab hoi

sankat mein puchhat nahin koi

sankat mein puchhat nahin koi

swami ek hai aas tumhari

Ai harahu ab sankat bhari

Ai harahu ab sankat bhari

Dhana nirdhana ko deta sadaa hii

jo koi jaanche so phala paahiin

jo koi jaanche so phala paahiin

astuti kehi vidhi karai tumhari

shambhunath ab tek tumhari

Shankar ho sankat ke nashan

mangal karan vighna vinashan

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Yogi yahi muni dhyan lagavain

sharad narad shisha navavain

sharad narad shisha navavain

Namo Namo jai namah shivaya

Sura Brahmadik par na paya

Sura Brahmadik par na paya

Jo yah patha karai man lai

Ta par hai shambhu sahai

Ta par hai shambhu sahai

Riniyan jo koi ho adhikari

Patha Karai so pavan hari

Putra-hin ichchha kar koi

Nischaya Shiva prasad Tehin Hoi

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Pandit trayodashi koi lavai

dhyan-purvak homa karavai

dhyan-purvak homa karavai

trayodashi vrat kare hamesha

tan nahi take rahe kalesha

tan nahi take rahe kalesha

Dhuupa diipa naivedya chadhaave

shankara sammukha paatha sunnave

shankara sammukha paatha sunnave

Janma janma ke paapa nasave

Anta vaas shivapura men paave

Kahat Ayodhya aas tumhari

jaani sakal dukh harhu hamari

Jai girija pati dinadayala

Sada karat santan pratipala (x2)..

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Om Namah Shivay… Om Namah Shivay…

Dohaa

!!! Nitya Nema Kari Pratahi !!!

!!! Patha Karau Chaalis !!!

!!! Tum Meri Manokamana !!!

!!! Puran Karahu Jagadisha !!!

!!! Magsar Chhathi Hemant Ritu !!!

!!! Sawant Chausath Jaan !!!

!!! Astuti Chalisa Shivhi !!!

!!! Purn Keen Kalyan !!!

Om Namah Shivay

Om Namah Shivay

Om Namah Shivay

Om Namah Shivay (Repeat till end).

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