तुगलक वंश | ग्यासुद्दीन तुगलक | मुहम्मद बिन तुगलक
ग्यासुद्दीन तुगलक (1320 ई. से 1325 ई.) मुहम्मद बिन तुगलक (1325 ई. से 1351 ई.) फिरोजशाह तुगलक (1351 ई. से 1388 ई.) ग्यासुद्दीन तुगलक द्वितीय (1388 ई. से 1389 ई.) नासिरुद्दीन महमूद शाह (1394 ई. से 1414 ई.)
तुगलक वंश का संस्थापक ग्यासुद्दीन तुगलक (1320-25 ई.) था।
ग्यासुद्दीन तुगलक ने नहरों तथा कुओं का निर्माण करवाया तथा डाक-व्यवस्था को संगठित किया।
मुहम्मद बिन तुगलक (1325-51 ई.) का मूल नाम जौना खाँ था।
कुछ इतिहासकारों ने मुहम्मद बिन तुगलक को ‘पागल’, ‘रक्त-पिपासु’ कहा है।
मुहम्मद तुगलक द्वारा चार प्रयोग किये गये, ये राजधानी परिवर्तन, दोआब क्षेत्र में कर वृद्धि, सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन तथा कराचिल एवं खुरासान विजय की योजना थी।
उसने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद (देवगिरि) स्थानान्तरित की। पर बाद में पुनः दिल्ली ही राजधानी बनी।
सांकेतिक मुद्रा के प्रचलन के लिए उसने ताँबे तथा इससे मिश्रित काँसे के सिक्के चलाए थे। पर यह योजना भी कतिपय कारणों से असफल रही।
‘रेहला’ पुस्तक का रचयिता मोरक्को का यात्री इब्नबतूता था, जो मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में भारत आया था।
मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए एक नवीन कृषि विभाग ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ की स्थापना की।
फिरोजशाह तुगलक (1351-88 ई.) अपने कल्याणकारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।
फिरोजशाह ने सिंचाई की सुविधा के लिए कई नहरों का निर्माण करवाया। वह पहला सुल्तान था जिसने प्रजा से सिंचाई कर ‘शर्ब’ वसूला।
फिरोजशाह ने एक दान विभाग ‘दीवान-ए-खैरात’ की स्थापना की। उसने एक दास विभाग ‘दीवान-ए-बन्दगान’ की भी स्थापना की थी।
वह पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर भी ‘जजिया कर’ लगाया।
फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा ‘फुतूहात-ए-फिरोजशाही’ की रचना की।
नासिरूद्दीन महमूद ‘तुगलक वंश’ का अन्तिम शासक था, जिसके शासनकाल में तैमूरलंग का दिल्ली पर आक्रमण (1398 ई.) हुआ।
सैयद वंश (1414-51 ई.) का संस्थापक खिज्र खाँ था।