भारत का धरातल / प्राकृतिक भाग ( Surface Of India )
भारत को पाँच प्राकृतिक भागों में बाँटा जा सकता है।
भारत का प्राकृतिक भाग निम्न है : –
- उत्तर का पर्वतीय प्रदेश
- उत्तर का विशाल मैदान
- दक्षिण का प्रायद्वीपीय पठार
- समुद्रतटीय मैदान
- थार मरुस्थल भारत का प्राकृतिक भाग
हिमालय पर्वत – Himalayas
- हिमालय (हिम + आलय) का अर्थ है ‘हिम का घर’ (Abode of snow)|
- इसकी कुल लम्बाई लगभग 5000 किमी. है तथा इसकी औसत ऊँचाई 2000 मीटर है। इसकी औसत चौड़ाई 240 किमी. है तथा क्षेत्रफल लगभग 5 लाख वर्ग किमी. का है।
भारत की भू-आकृतिक इकाइयां मानचित्र (Geographical Units of India map)
हिमालय पर्वत श्रेणी को तीन भागों में बाँटा गया है
महान या वृहत हिमालय या हिमाद्रि ( The Great Himalayas or The Himadri )
- इसकी औसत ऊँचाई 6000 मीटर है।
- यह हिमालय पर्वत की सबसे उत्तरी एवं सबसे ऊँची श्रेणी है। हिमालय के सभी सर्वोच्च शिखर इसी श्रेणी में हैं, जैसे- एवरेस्ट (8850 मी.), कंचनजंगा (8598 मी.), मकालू (8481 मी.), धौलागिरी (8172 मी.), चो ओऊ (8153 मी.), नंगा पर्वत (8126 मी.), अन्नपूर्णा (8078 मी.), नन्दा देवी (7817 मी.) आदि। इनमें कंचनजंगा, नंगापर्वत और नन्दादेवी भारत की सीमा में हैं और शेष नेपाल में हैं।
- इस श्रेणी में भारत के प्रमुख दर्रे अवस्थित हैं। इनमें शिपकी ला और बारालाचा ला हिमाचल प्रदेश में, बर्जिला और जोजिला कश्मीर में, नीति ला, लिपुलेख और थाग ला उत्तरांचल में तथा जेलेप ला और नाथू ला सिक्किम में स्थित हैं।
- माउन्ट एवरेस्ट-8850 मीटर (इसे नेपाल में सागर माथा व चीन में क्योमोलांगमा कहते हैं।) यह दुनिया की सबसे ऊँची चोटी है।
- कंचनजंगा- 8598 मीटर (यह भारत में हिमालय की सबसे ऊँची चोटी है- सिक्किम में)।
लघु हिमालय, मध्य हिमालय या हिमाचल ( Outer Himalayas or The Shiwaliks )
- यह हिमालय की सबसे दक्षिणी श्रेणी है। इसकी औसत ऊँचाई 1000 मी. है। इसमें मिट्टी और कंकड़ के बने ऊँचे मैदान मिलते हैं जिन्हें दुन या द्वार कहते हैं (Dehradun, Haridwar) इसके पश्चात् भारत के विशाल मैदान की शुरुआत होती है।
- नोट- भारत की सबसे ऊँची चोटी के-2 (काराकोरम) या गॉडविन ऑस्टिन है (ऊँचाई : 8611 मी.) जो काराकोरम श्रेणी में है न कि हिमालय में। यह पाक-अधिकृत कश्मीर में है तथा वृहत् हिमालय के उत्तर में स्थित हैं।
- * हिमालय के अलावा उत्तर-पूर्व भारत में कुछ अन्य पर्वत श्रेणियाँ भी हैं
- • जस्कर व लद्दाख श्रेणी- कश्मीर में
- • पटकई, लुशाई, गारो, खासी, जयन्तिया, बुम, मीजो श्रेणी- पूर्वी राज्यों में।
प्रायद्वीपीय पर्वत – peninsular mountain
- » अरावली पर्वत
- यह राजस्थान से लेकर दिल्ली के दक्षिण-पश्चिम तक विस्तृत है। इनकी कुल लम्बाई लगभग 880 किमी. है। यह विश्व की सबसे पुरानी पर्वतमाला है।
- गुरु शिखर 1722 मीटर इनकी सबसे ऊँची चोटी है। इस पर प्रसिद्ध पर्यटन स्थल माउण्ट आबू स्थित है।
- » विन्ध्याचल पर्वत
- • यह पर्वतमाला पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में उत्तर-प्रदेश तक जाती है।
- यह विन्ध्याचल, भारनेर, कैमूर व पारसनाथ पहाड़ियों का सम्मिलित रूप है। विन्ध्याचल पर्वत ही उत्तर व दक्षिण भारत को स्पष्ट रूप से अलग करता है। इसकी औसत ऊँचाई 900 मी. है।
- » सतपुड़ा पर्वत
- सतपुड़ा पश्चिम में राजपीपला से आरम्भ होकर छोटा नागपुर के पठार तक विस्तृत है।
- महादेव और मैकाल पहाड़ियाँ भी इस पर्वतमाला का हिस्सा हैं। 1350 मी. ऊँची धूपगढ़ चोटी इसकी सबसे ऊँची चोटी है।
- पश्चिमी घाट या सह्याद्रि
- इसकी औसत ऊँचाई 1200 मीटर है और यह पर्वतमाला 1600 किमी. लम्बी है।
- इस श्रेणी में दो प्रमुख दर्रे हैं- थालघाट (यह नासिक को मुम्बई से जोड़ता है) एवं भोरघाट (इससे मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग गुजरता है)।
- तीसरा दर्रा पालघाट (इससे तमिलनाडु व केरल जुड़ते हैं) इस श्रेणी के दक्षिणी हिस्से को मुख्य श्रेणी से अलग करता है
- पूर्वी घाट
- इसकी औसत ऊँचाई 615 मीटर है और यह श्रेणी 1300 किलोमीटर लम्बी है।
- पूर्वी घाट के अंतर्गत दक्षिण से उत्तर की और पहाड़ियों को पालकोंडा, अन्नामलाई, जावादा। और शिवराय की पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है।
- इस शृंखला की सबसे ऊँची चोटी महेन्द्रगिरी
- (1501 मीटर) है।
- नीलगिरि या नीले पर्वत
- नीलगिरि की पहाड़ियाँ, पश्चिमी घाट व पूर्वी घाट की मिलन स्थली है।
- नीलगिरि की सबसे ऊँची चोटी दोद्दाबेट्टा (Doddabetta) है।
- नोट :-
- सुदूर-दक्षिण में इलायची की पहाड़ियाँ हैं।। इन्हें इल्लामलाई पहाड़ी भी कहते हैं।
- प्रायद्वीपीय भारत का सबसे ऊँची चोटी अन्नाईमुडी (2695 मीटर) है जो अन्नामलाई पहाड़ियों में है।
पर्वत चोटी | देश | समुद्रतल से ऊँचाई (मीटर में) |
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माउण्ट एवरेस्ट | नेपाल | 8,850 |
कंचनजंगा | भारत | 8,598 |
मकालू | नेपाल | 8,481 |
धौलागिरि | नेपाल | 8,172 |
नंगा पर्वत | भारत | 8,126 |
अन्नपूर्णा | नेपाल | 8,078 |
नन्दा देवी | भारत | 7,817 |
नामचबरवा | तिब्बत | 7,756 |
भारत के प्रमुख दर्रे
- कराकोरम दर्रा– यह जम्मू-कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में कराकोरम श्रेणियों में स्थित है। इसकी समुद्र तल से ऊँचाई 5,654 मीटर है।
- जोजिला दर्रा– यह जम्मू-कश्मीर राज्य के जासकर श्रेणी में स्थित है। श्रीनगर से लेह जाने का मार्ग इसी दर्रे से गुजरता है। इसकी ऊँचाई 3529 मीटर है।
- पीरपांजाल दर्रा– यह जम्मू-कश्मीर राज्य के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह पीरपांजाल के मध्य 3494 मीटर ऊँचा है।
- बानिहाल दर्रा– यह जम्मू-कश्मीर राज्य के दक्षिण-पश्चिम में | पीरपांजाल श्रेणियों में स्थित है। इसकी ऊँचाई 2882 मीटर है। | जम्मू से श्रीनगर का मार्ग इसी दर्रे से गुजरता है।
- शिपकीला दर्रा- यह दर्रा हिमाचल प्रदेश राज्य के जास्कर | श्रेणी में स्थित है। इस दर्रे से होकर शिमला से तिब्बत जाने का मार्ग है।
- रोहतांग दरा- हिमाचल प्रदेश में पीरपांजाल श्रेणियों में | यह दर्रा स्थित है। इसकी ऊँचाई 4631 मीटर है।
- बाड़ालाचा दर्रा- यह हिमाचल प्रदेश में जासकर श्रेणी में | स्थित है। इसकी ऊँचाई 4512 मीटर है। मंडी से लेह जाने | वाला मार्ग इसी दर्रे से होकर गुजरता है।
- माना दर्रा- यह उत्तराखण्ड के कुमायूं श्रेणी में स्थित है। | इस दर्रे से होकर भारतीय तीर्थयात्री मानसरोवर झील और कैलाश पर्वत के दर्शन हेतु जाते हैं।
- नीति दर्रा- यह दर्रा भी उत्तराखण्ड के कुमायूं श्रेणी में | स्थित है। यह 5389 मीटर ऊँचा है। यहाँ से भी मानसरोवर झील व कैलाश घाटी जाने का रास्ता खुलता है।
- नाथुला दर्रा- यह सिक्किम राज्य में डोगेक्या श्रेणी में | स्थित है। भारत एवं चीन के बीच युद्ध में यह अपने सामरिक | महत्व के कारण अधिक चर्चा में रहा। यहाँ से दार्जिलिंग और चुंबी घाटी होकर तिब्बत जाने का मार्ग है।
- जेलेपला दर्रा- यह दर्रा भी सिक्किम राज्य में है। भूटान | जाने वाला मार्ग इसी दर्र से होकर गुजरता हैं
- बोमडिला दर्रा- यह अरुणाचल प्रदेश के उत्तर-पश्चिमी | भाग में स्थित है। बोमडिला से तवांग होकर तिब्बत जाने का | मार्ग है।
- यांग्याप दर्रा- अरुणाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्व में स्थित | इस दर्रे के पास से ही ब्रह्मपुत्र नदी गुजरती है। यहाँ से चीन | के लिए भी मार्ग खुलता है।
- दिफू दर्रा- अरुणाचल प्रदेश के पूर्व में भारत-म्यांमार | सीमा पर यह दर्रा स्थित है।
- थाल घाट- यह महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी घाट की श्रेणियों में स्थित है। इसकी ऊँचाई 583 मीटर है। यहाँ से होकर दिल्ली-मुंबई के प्रमुख रेल व सड़क मार्ग गुजरते
- भोरघाट- यह दर्रा भी महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी घाट श्रेणियों में स्थित है। पुणे-बेलगाँव रेलमार्ग और सड़क मार्ग इसी दर्रे से गुजरते हैं।
- पालघाट- यह केरल राज्य के मध्य पूर्व में नीलगिरि की पहाड़ियों में स्थित है। इसकी ऊँचाई 305 मीटर है। कालीकट–त्रिचूर से कोयंबटूर-इंदौर के रेल व सड़क मार्ग इसी दर्रे से होकर गुजरते हैं।
इकाइयाँ | क्षेत्रफल (वर्ग किमी. में) | कुल क्षेत्रफल का प्रतिशत |
---|---|---|
उत्तरी पर्वत श्रेणियाँ | 5,78,000 | 17.9 |
विशाल मैदान | 5,50,000 | 17.7 |
थार मरुस्थल | 1,75,000 | 5.4 |
मध्यवर्ती उच्च भूमि | 3,36,000 | 10.4 |
प्रायद्वीपीय पठार | 12,41,000 | 38.5 |
तटीय मैदान | 3,35,000 | 10.4 |
द्वीपीय समूह | 8,300 | 0.3 |
पठार – Plateau
मध्यवर्ती उच्च भूमि | दक्कन का पठार |
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अरावली श्रेणी | सतपुड़ा श्रेणी |
पूर्वी राजस्थान की उच्च भूमि | महाराष्ट्र का पठार |
मालवा का पठार | महानदी बेसिन |
बुन्देलखण्ड का पठार | उड़ीसा उच्च भूमि |
विन्ध्यालच–बघेलखण्ड | दण्ड कारण्य पठार |
छोटा नागपुर पठार | तेलंगाना (आन्ध्र) पठार |
मेघालय का पठार | तमिलनाडु पठार |
पश्चिमी घाट | |
पूर्वी घाट |
- ‘यह भू–भाग उत्तर में गंगा–सतुलज मैदान से तथा शेष तीनों दिशाओं में समुद्र से घिरा है।
- भ्रंश घाटी में बहने वाली नर्मदा इस पठार को मुख्य रूप से दो भागों में बाँट देती है- उत्तर में मालवा का पठार तथा दक्षिण में दक्कन का पठार ।
- दक्कन का पठार क्रिटेशियस–इओसिना युग (CretaceousEocene Era) में लावा निकलने से निर्मित है।
- बेतवा, पार्वती, काली सिंध, माही आदि नदियाँ मालवा के पठार से होकर बहती हैं।
- मालवा पठार के दक्षिण में विन्ध्य पठार स्थित है।
- बुंदेलखण्ड पठार मालवा पठार के उत्तर व उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- इनके पूर्व में छोटा नागपुर का पठार है जिसका सबसे बड़ा भाग रांची का पठार है। यहाँ खनिजों की भरमार है।
- दक्कन का पठार भारत में सबसे बड़ा पठार है।
- इसके अंतर्गत महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश राज्यों के भू-भाग आते हैं।
- गोदावरी नदी इसे दो भागों में विभक्त कर देती है
- तेलंगाना पठार व कर्नाटक पठार।
- इसकी उत्तरी सीमा ताप्ती नदी बनाती है।
मैदान – field
- भारत का विशाल मैदान विश्व के सबसे अधिक उपजाऊ व घनी आबादी वाले भू–भागों में से एक है।
- इस विशाल मैदान का निर्माण नदियों द्वारा बहाकर लाये गये निक्षेपों से हुआ है।
- इसकी मोटाई गंगा के मैदान में सबसे ज्यादा व पश्चिम में सबसे कम है।
- इसकी पश्चिमी सीमा राजस्थान मरुभूमि में विलीन हो गयी है।
- केरल में इन मैदानों में समुद्री जल भर जाता है और ये लैगून बन जाते हैं। यहाँ इन्हें कयाल (Kayals or Backwaters) कहा जाता है। इनमें सबसे बड़ा लैगून वैम्बानद झील (Vembanad समद्ध है। जो केरल में स्थित है।
मिट्टी की विशेषता और ढाल के आधार पर इन्हें प्रमुख तौर पर चार भागों में बाँटा गया है
- भाभर प्रदेश- हिमालयी नदियों द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों से टूटकर गिरे पत्थरों-कंकड़ों को लाने से बना मैदान भाभर कहलाता है। इसमें पानी धरातल पर नहीं ठहरता है।
- तराई प्रदेश- भाभर से नीचे तराई प्रदेश फैला रहता है। यह निम्न समतल मैदान है, जहाँ नदियों का पानी इधर-उधर दलदली क्षेत्रों का निर्माण करता है।
- बांगर प्रदेश- यह नदियों द्वारा लाई गयी पुरानी जलोढ़ मिट्टी से निर्मित होता है। इसमें कंकड़ भी पाये जाते हैं जो कैल्शियम से बने होते हैं।
- खादर प्रदेश- यह प्रत्येक वर्ष नदियों द्वारा लाई मिट्टी से निर्मित होता है। इसकी उर्वरा शक्ति सबसे ज्यादा होती है।
भारत के द्वीप – islands of india
भारत में सबसे लंबी तट रेखा (Coast line) गुजरात राज्य की, फिर आन्ध्र प्रदेश राज्य की और फिर महाराष्ट्र राज्य की है।
*भारतीय सीमा में निम्नलिखित द्वीप शामिल हैं
अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह
- यह द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है।
- अण्डमान समूह में 204 द्वीप है, जिनमें मध्य अण्डमान (Middle Andaman) सबसे बड़ा है।
- यह विश्वास किया जाता है कि ये द्वीप समूह देश
- के उत्तर-पूर्व में स्थित पर्वत श्रृंखला का विस्तार है।
- उत्तर अण्डमान में स्थित कैंडल पीक (Sadale
- Peak) सबसे ऊँची (737 मीटर) चोटी है।
- निकोबार समूह में 19 द्वीप हैं जिनमें ग्रेट
- निकोबार सबसे बड़ा है।
- ग्रेट निकोबार सबसे दक्षिण में स्थित है और इण्डोनेशिया के सुमात्रा द्वीप से केवल 147 किमी. दूर हैं
- बेरन (Barren) एवं नारकोन्डम (Narcondam) ज्वालामुखीय द्वीप हैं जो अंडमान निकोबार द्वीप
- समूह में स्थित है।
- डंकन पैसेज (Duncan Passage) दक्षिण अण्डमान एवं लिटिल अण्डमान के बीच है।
- 10 डिग्री चैनल लिटिल अण्डमान एवं कार निकोबार के बीच है। यह अण्डमान को निकोबार से अलग करता है।
लक्ष्यद्वीप समूह
- ये द्वीप अरब सागर में स्थित है।
- इस समूह में 25 द्वीप हैं। ये सभी मूंगे के द्वीप
- (Coral Islands) हैं एवं प्रवाल भित्तियों (Coral
- Reefs) में घिरे हैं।
- इनमें तीन द्वीप मुख्य हैं- लक्षद्वीप (उत्तर में),
- मिनीकॉय (दक्षिण में), कावारत्ती (मध्य में)।
- 9 डिग्री चैनल कावारत्ती को मिनीकॉय से अलग करती है।
- 8 डिग्री चैनल मिनीकॉय द्वीप (भारत) को मालदीव से अलग करता है।
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