मापनी के प्रकार | सरल मापनी | विकर्ण मापनी | तुलनात्मक मापनी

मापनी के प्रकार का सामान्य परिचय – General Introduction To Maps

सामान्य परिचय एवं परिभाषा ( General Introduction and Definition ) मापनी वह युक्ति है जिसकी सहायता से समस्त प थ्वी अथवा उसके किसी भू-भाग को आवश्यकता के अनुसार छोटा अथवा बड़ा आकार देकर मानचित्र बनाया जा सकता है। अर्थात मापनी पथ्वी एवं मानचित्र के बीच वह अनुपात है जिसके द्वारा रातल पर किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की वास्तविक दूरी को मानचित्र पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की दूरी के द्वारा दर्शाया जा सके।

मापन – दो बिन्दुओं के बीच की मानचित्र पर दूरी/उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच की धरातल पर दूरी

एफ.जे. मांक हाऊस ( F.J. Monk House ) के अनुसार : ‘मापनी द्वारा वह सम्बन्ध व्यक्त किया जाता है जो मानचित्र पर किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच तथा धरातल पर उन्हीं दो बिन्दुओं के बीच होता है।’ 

राबिन्सन, रैंडल तथा मौरिसन ( Robinson, Randall and Morrison ) के अनुसार :- ‘वास्तविकता तथा प्रतिनिधित्व के बीच पाए जाने वाले सम्बन्ध को मापनी कहते हैं।’

मापनी व्यक्त करने की विधियाँ ( Methods of Expressing the Scale

मानचित्र पर मापनी प्रदर्शित करने की तीन विधियाँ होती हैं। 

1. साधारण कथन विधि (Simple Statement Method) 

2. निरूपक भिन्न विधि (Representative Fraction Method) 

3. रैखिक मापक विधि (Linear Scale Method) 

(1) साधारण कथन विधि ( Simple Statement Method )

इस विधि द्वारा शाब्दिक विवेचन से किसी मानचित्र की मापनी का विवरण दिया जाता हैं। अर्थात मानचित्र पर मापनी को शब्दों में लिख दिया जाता है। जैसे 1 इंच : 1 मील या 1 सेमी. : 1 किमी. आदि। मापनी व्यक्त करने की यह सबसे सरल विधि है। प्रायः भूसम्पति मानचित्र इस विधि से मापनी को प्रदर्शित करते है। लेकिन इस विधि का उपयोग काफी सीमित है। क्योंकि एक तो इस मापक विधि को केवल वहीं लोग समझ सकते है जो माप प्रणाली से परिचित हो। तथा दूसरे मानचित्र के आकार में परिवर्तन करने पर मापनी अशुद्ध हो जाती है। 

(2) निरूपक भिन्न विधि ( Representative Fraction (R.E.) Method )

इस विधि द्वारा मापक एक भिन्न द्वारा दर्शाया जाता है। दर्शाया गया भिन्न मानचित्र तथा धरातल पर मापी गई दूरी को प्रकट करता है। इस भिन्न में अंश का मान सदैव 1 होता है जबकि हर का मान मापक के अनुसार बदलता रहता है।

निरूपक भिन्न में अंश तथा हर सदैव एक ही इकाई में व्यक्त किये जाते हैं। निरूपक भिन्न (R.F.) = मानचित्र पर दूरी/धरातल पर दूरी भारत का भूगोल एवं प्रयोगात्मक भूगोल उदाहरणार्थ, यदि किसी मानचित्र का निरूपक भिन्न 1 : 40, 000 है तो इसका अर्थ होगा कि मानचित्र एवं धरातल की दूरियों में 1 तथा 40,000 का अनुपात है दूरियाँ चाहे इंचों में हो अथवा सेमी. में हो।

जैसे 1 सेमी. : 40,000 सेमी. का अर्थ होगा मानचित्र पर 1 सेमी. की दूरी धरातल पर 40,000 सेमी. दूरी को व्यक्त करेगी। साधारण कथन विधि की तरह इस विधि में भी मानचित्र का आकार परिवर्तित करने पर दर्शाई गई मापनी अशुद्ध हो जाती है। 

(3) रैखिक मापक विधि ( Linear Scale Methed )

इस विधि में मापक को एक सरल रेखा द्वारा दर्शाया जाता है जिसकी लम्बाई, धरातल पर ली गई वास्तविक दूरी को किसी निश्चित अनुपात में दर्शाती है। फिर इस सरल रेखा को प्राथमिक एवं गौण भागों में विभक्त कर दिया जाता है तथा उन भागों पर धरातल की वास्तविक दूरियों के मान अंकित कर दिए जाते हैं।

इस विधि की विशेषता यह है कि मानचित्र का आकार परिवर्तित करने पर भी दशाई गई मापनी शुद्ध रहती है क्योंकि मानचित्र के आकार के अनुपात में मापनी का आकार बड़ा अथवा छोटा हो जाता है।

मापनियों का रूपांतरण ( Conversion of Scales

(1) साधारण कथन मापक को निरूपक भिन्न में परिवर्तित अथवा रूपांतरित करना

उदाहरण : एक मानचित्र का साधारण कथन मापक 1 से०मी० : 10 कि०मी० है इसका निरूपक भिन्न ज्ञात करो। दिया गया है साधारण कथन मापक = 1 से०मी० : 10 कि०मी० अर्थात मानचित्र पर दूरी 1 से०मी० = धरातल पर दूरी 10 कि०मी०

हम जानते है कि निरूपक भिन्न = मानचित्र पर दूरी धरातल पर दूरी 

अर्थात R.E =1 सैमी०/10 कि०मी०

क्योंकि प्रदर्शक भिन्न में अंश तथा हर एक ही इकाई में व्यक्त किये जाते है इसलिए यहां पर किमी. को सेमी. में परिवर्तित करना होगा।

हम जानते है 1 कि०मी० = 1,00,000 से०मी०

इसलिए R.E=

क्योंकि निरूपक भिन्न में किसी मापक प्रणाली का प्रयोग नहीं किया जाता, इसलिए

निरूपक भिन्न (R.E.)= 1/10000 या 1 : 10,00,000

(2) प्रदर्शक भिन्न को साधारण कथन मापक में परिवर्तित अथवा रूपांतरित करना

उदाहरण : एक प्रदर्शक भिन्न 1 : 633600 है तो उसे मील में दर्शाने के लिए साधारण कथन मापक में परिवर्तित करो। दिया गया प्रदर्शक भिन्न = 1:633600 क्योंकि यहां पर प्रदर्शक भिन्न को मील में परिवर्तित करना है इसलिए दिया गया प्रदर्शक भिन्न इंच में मानना होगा अर्थात 1 इंच : 633600 इंच जिसका अभिप्राय है 

मानचित्र पर 1 इंच दूरी धरातल के 633600 इंच दूरी को प्रदर्शित करती है। 

क्रिया – 1 इंच : 633600 

इंच यहाँ पर हमें इंच को मील में परिवर्तित करना है। 

हम जानते है 1 मील = 63360 इंच

मापनी = 1 इंच : – 633600/ 63360 मील 

अथवा 1 इंच : 10 मील 

अतः साधारण कथन मापक = 1 इंच : 10 मील

सरल रेखा का समान भागों में विभाजन करना ( Division of a Straight Line into Equal Parts )

रैखिक मापक बनाने के लिए सर्वप्रथम दर्शाई गई सरल रेखा को समान भागों में विभक्त करना अनिवार्य होता है। सरल रेखा को समान भागों में विभक्त करने की दो ज्यामितीय विधियाँ है। 

प्रथम विधि मान लो एक सरल रेखा PQ दी गई है जिसको 6 समान भागों में विभक्त करना है। सर्वप्रथम P बिन्दु पर परकार की सहायता से एक न्यून कोण बनाती हुई सरल रेखा खींचो। फिर P बिन्दु से परकार की सहायता द्वारा इस रेखा पर 6 बिन्दु A,B,C,D,E,F समान दूरी पर अंकित करो।

F बिन्दु को Q बिन्दु से मिलाओ। फिर सेट-स्क्यर की सहायता से FQ रेखा के समानान्तर A, B, C, D तथा E बिन्दुओं से E-1, D-2, C-3, B-4 तथा A-5 रेखायें खींचो जो PQ रेखा को P-5, 5-4, 4-3, 3-2, 2-1 तथा 1Q,6 समान भागों में विभक्त करेगी।

दूसरी विधि मान लिया एक सरल रेखा PQ दी गई है। जिसको 6 समान भागों में विभक्त करना है सर्वप्रथम PQ एक सरल रेखा लो फिर P बिन्दु से ऊपर की तरफ तथा Q बिन्दु से नीचे की तरफ दो समान न्यून कोण बनाती हुई रेखाएं खींचो। इन दोनों रेखाओं पर परकार की सहायता से समान दूरी पर A,B,C,D,E,F तथा G,H,IJ,K,L चिन्ह अंकित करो।

अब F को Q से, E को G से, D को से, C को I से, B को J से, A को K से तथा P को L से इस प्रकार मिलाओ ताकि वे QR रेखा को 1, 2, 3, 4, 5 पर काटे। इस प्रकार P-5, 5-4, 4-3, 3-2, 2-1 तथा LQ, PQ रेखा के 6 समान भाग होगें।

मापनियों के वर्ग ( Categories of Scales )

रचना विधि एवं उद्देश्यों के आधार पर मापनियों को 5 वर्गों में रखा जाता है। 

1. बड़ी मापनी (Large Scale) 

2. छोटी मापनी (Small Scale) 

3. सरल मापनी (Simple Scale) 

4. विकर्ण मापनी (Diagonal Scale) 

5. तुलनात्मक मापनी (Comparative Scale) 

(1) बड़ी मापनी ( Large Scale ) –

वह मापनी जिसके द्वारा धरातल की छोटी दूरियाँ मानचित्र की लम्बी दूरियों द्वारा दर्शाई जाती हैं बड़ी मापनी कहलाती है अर्थात जिस मापनी का निरूपक भिन्न (R.E) बड़ा होगा वह बड़ी मापनी होती है।

उदाहरण के तौर पर 20 से०मी० : 1 कि०मी० (R.E. 1 : 5,000) जिसका अर्थ है मानचित्र पर 20 से०मी० लम्बी रेखा धरातल की मात्र 1 कि०मी० दूरी को दर्शाती है। इस मापनी द्वारा बनाए गए मानचित्र दर्शाए गए क्षेत्र की विस्त त जानकारी प्रदान करते है। इनमें गौण लक्षणों को भी प्रदर्शित किया जाता है। भू-सम्पति मानचित्र एवं स्थलाक तिक मानचित्र बड़ी मापनी पर बने होने के कारण विस्त त जानकारी प्रदान करते हैं। 

(2) छोटी मापनी ( Small Scale ) –

वह मापनी जिसके द्वारा धरातल की लम्बी दूरियों को मानचित्र पर छोटी दूरियों द्वारा दर्शाया जाता है छोटी मापनी कहलाती है। छोटी मापनी का निरूपक भिन्न (R..) भी छोटा होता है। उदाहरणार्थ : 1 से०मी० : 20 कि०मी० जिसका अर्थ है मानचित्र पर 1 से०मी० लम्बी रेखा धरातल की 20 कि०मी० दूरी को दर्शाती है।

छोटी मापनी पर बने मानचित्र विस्त त क्षेत्रफल को दर्शाते हैं लेकिन इन मानचित्रों में गौण लक्षणों को दर्शाना सम्भव नहीं होता। एटलस एवं दीवारी उनमें मानचित्र छोटी मापनी पर बनाए जाते हैं। 

(3) सरल मापनी ( Plain Scale ) –

जैसा कि नाम से विदित है यह मापनी बनाने में बहुत सरल है। इस मापनी को एक सरल रेखा के द्वारा दर्शाया जाता है जिसकी लम्बाई 5 से 8 इंच या 12 से 20 से०मी० के मध्य होती है। सर्वप्रथम इस रेखा को आवश्यकता के अनुसार समान प्राथमिक भागों (Primary Divisions) में बाँट दिया जाता है जो धरातल की लम्बी दूरियों को दर्शाते हैं।

इसके बाद छोटी दूरियों को पढ़ने के लिए मापनी के बाईं ओर के प्रथम प्राथमिक भाग को समान गौण भागों (Secondary Divisions) में बाँट दिया जाता है जो धरातल की छोटी दूरियों को दर्शाते हैं। रेखा के प्राथमिक एवं गौण भागों पर धरातलीय दूरियों को अंकित किया जाता है। शून्य सदैव बाईं ओर के प्राथमिक भाग को छोड़कर अंकित किया जाता है। 

मापक पर अंकित धरातलीय दूरियाँ पूर्णाक संख्या (Round Figure) में होनी चाहिए। सरल मापनी के साथ साधारण कथन मापक या निरूपक भिन्न अवश्य लिखा जाना चाहिए। इस मापनी को रैखिक मापनी (Linear Scale) या आलेखी मापनी (Graphic Scale) के नाम से भी जाना जाता है। 

उदाहरण : एक मानचित्र का निरूपक भिन्न 1 : 20,00,000 है किलोमीटर में दूरी पढ़ने के लिए सरल मापनी की रचना कीजिए। रचना विधि- दिया गया निरूपक भिन्न (R.E.) = 1 : 20,00,000 अर्थात मानचित्र पर 1 से०मी० लम्बी रेखा धरातल की 20,00,000 से०मी० लम्बी रेखा को दर्शाती है। 

माना मापनी बनाने के लिए एक सरल रेखा 15 से०मी० ली गई जो दिए गए निरूपक भिन्न के अनुसार धरातल की

20,00,000/100000 x 15= 300 कि०मी० को प्रदर्शित करेगी।

मापनी

1 कि०मी० = 1,00,000 से०मी० 

सर्वप्रथम एक सरल रेखा 15 से०मी० लम्बी लो उसके 5 समान प्राथमिक भाग करो। प्रत्येक प्राथमिक भाग धरातल की 60 कि०मी० दूरी को दर्शाएगा। फिर बाईं ओर के पहले प्राथमिक भाग को 5 समान गौण भागों में बाटों प्रत्येक भाग धरातल की 12 कि०मी० दूरी को प्रदर्शित करेगा।

प्रथम प्राथमिक भाग को छोड़कर शून्य अंकित करो शून्य से दाईं तरफ प्राथमिक भागों पर क्रमशः 60, 120, 180 तथा 240 अंकित करो तथा शून्य से बाईं और गौण भागों पर क्रमशः 12, 24, 36, 48 तथा 60 अंकित करो मापनी के दोनों सिरो पर किलोमीटर लिख दो। मापनी के ऊपर दिया गया निरूपक भिन्न (R.F.) लिखो इस प्रकार सरल मापनी तैयार हो जाएगी। 

(4) विकर्ण मापनी ( Diagonal Scale )

जिस मापनी में विकर्णों का प्रयोग करके गौण भागों को और भी छोटे भागों में विभक्त कर दिया जाता है वह विकर्ण मापनी कहलाती है। सरल मापनी में मील फलांग, किलोमीटर, हेक्टोमीटर आदि दो मात्रकों (Units) को ही पढ़ा जा सकता है जबकि विकर्ण मापनी में तीन मात्रकों जैसे मील-फलांग-गज या किलोमीटर-हैक्टोमीटर-डेकामीटर में दूरियाँ पढ़ी जा सकती हैं। विकर्ण मापनी में प्रथम दो मात्रकों को बनाने की रचना विधि सरल मापनी के अनुसार है जबकि तीसरे मात्रक की दूरी को मापनी के गौण भाग पर बनाए गए आयतों (Rectangles) में विकर्ण खींचकर बनाया जाता है। 

उदाहरणार्थ – माना किसी आयत में क्षैतिज रेखा के अतिरिक्त समान अन्तर पर खींची गई समानान्तर रेखाओं की संख्या 5 है तो आयत का विकर्ण पहली रेखा को 1 : 4, दूसरी को 2 : 3, तीसरी को 3 : 2, चौथी को 4 : 1 में विभाजित करेगा। तथा पांचवी भुजा आयत की क्षैतिज भुजा की लम्बाई प्रदर्शित करेगी। मान लो गौण भाग (क्षैतिज भुजा) की लम्बाई 1 से०मी० है तो समान अन्तर पर खींची गई रेखाओं पर क्रमशः 0.2, 0.4, 0.6, 0.8 से०मी० की दूरियाँ आसानी से पढ़ी जा सकती हैं। अन्तिम अर्थात पांचवी रेखा को विकर्ण विभाजित नहीं करेगा अतः इसका मान 1 से०मी० व

1 c.m. होगा। यहाँ विशेष बात यह है कि गौण भाग को जितने भागों में बाँटना हो आयत की क्षैतिज भजा के समानान्तर उतनी ही संख्या में सरल रेखाएँ खींची जाती हैं।

उदाहरण : एक मानचित्र का निरूपक भिन्न 1 : 5,00,000 है। 

इसके लिए विकर्ण मापक बनाओ जिसमें 1 कि०मी० तक की दूरी पढ़ी जा सके। 

रचना विधि- दिया गया निरूपक भिन्न = 1 : 5,00,000

अर्थात मानचित्र पर 1 से०मी० = धरातल पर 5,00,000 सै०मी० अथवा 1 सै०मी० = 5 कि०मी०

12 से०मी० लम्बी रेखा दूरी प्रकट करेगी = 5 x 12 = 60 कि०मी० 

सर्वप्रथम एक सरल रेखा AZ 12 से०मी० लम्बी लो। इसको 5 समान प्राथमिक भागों में विभक्त करो प्रत्येक भाग 12 कि०मी० दूरी को दर्शाएगा फिर बाईं ओर की प्रथम प्राथमिक भाग AB को 3 समान गौण भागों में विभक्त करो।

प्रत्येक गौण भाग 4 कि०मी० दूरी को प्रदर्शित करेगा। प्रत्येक प्राथमिक एवं गौण भाग पर उसका मान अंकित करो। प्रत्येक 1c.m. प्राथमिक भाग पर लम्ब खींचो। बाईं और के लम्ब AD पर समान दूरी पर 4 समान भाग काटो तथा उन भागों से AZ रेखा के समानान्तर रेखाएं खींचो। बाईं और के प्राथमिक भाग पर बनी आयत ABCD की भुजा CD को भी AB की भांति 3 समान भूगोल गौण भागों में विभक्त करो। तथा उनका मान अंकित करो अब भुजा CD के 4 कि०मी० वाले बिन्दु को AB के 0 कि०मी० वाले बिन्दु से, 8 कि०मी० वाले बिन्दु को 4 कि०मी० वाले बिन्दु तथा 12 कि०मी० वाले बिन्दु को 8 कि०मी० वाले बिन्दु से मिलाकर विकर्ण खींचो। इस प्रकार विकर्ण मापनी तैयार हो जाएगी।

मानचित्र मापनी के प्रकार | विकर्ण मापनी | सरल मापनी | तुलनात्मक मापनी
मानचित्र मापनी के प्रकार | विकर्ण मापनी | सरल मापनी | तुलनात्मक मापनी

5) तुलनात्मक मापनी ( Comparative Scale )

जिस मापनी के द्वारा एक से अधिक मापक प्रणालियों में दूरियों को प्रदर्शित किया जा सके वह तुलनात्मक मापनी कहलाती है। जैसे मील तथा किलोमीटर, मीटर तथा गज आदि। कई बार इस मापनी द्वारा समय एवं दूरी का तुलनात्मक प्रदर्शन भी किया जाता है। 

तुलनात्मक मापनी की विशेषताएँ

1. तुलनात्मक मापनियाँ एक ही निरूपक भिन्न पर बनाई जाती है। 

2. तुलनात्मक मापनियों का शून्य अंक सदैव एक उर्ध्वाधर सरल रेखा में होता है। कई बार तुलनात्मक मापनियाँ अलग-अलग न बनाकर एक ही सरल मापनी को इस प्रकार विभाजित कर दिया जाता है कि मापनी का एक ही भाग दो विभिन्न मापों को सुगमता से दिखा सके। 

उदाहरण- एक मानचित्र के लिए किलोमीटर तथा मील में दूरियाँ दर्शाने के लिए तुलनात्मक मापनी की रचना कीजिए। जिसका निरूपक भिन्न 1 : 6,33,600 से। 

क्रिया- किमी. मापनी के लिए : दिए गए उदाहरण के अनुसार मानचित्र पर 1 से०मी० लम्बी रेखा धरातल के 6,33,600 से०मी० दूरी को दर्शाती है।

अथवा मानचित्र पर 15 से०मी० लम्बी रेखा धरातल पर =95.04 कि०मी० को दशाएंगी।

परन्तु 95.04 एक पूर्ण संख्या नहीं है इसलिए हम एक पूर्ण संख्या 100 कि०मी० लेते है।

धरातल की 100 कि०मी० दूरी मानचित्र पर

100/95.04 x 15 = 15.8 से०मी० लम्बी रेखा द्वारा दर्शाई जाएगी।

सर्वप्रथम 15.8 से०मी० लम्बी एक सरल रेखा लो उसको 5 समान प्राथमिक भागों में बांटो प्रत्येक भाग धरातल की 20 कि०मी० दूरी को प्रदर्शित करेगा। फिर बाईं ओर के प्रथम प्राथमिक भाग को 5 समान गौण भागों में बांटो प्रत्येक भाग धरातल की 4 कि०मी० दूरी को प्रदर्शित करेगा। मापनी के दोनों सिरों पर कि०मी० लिख दो। प्रत्येक भाग का मान अंकित करो क्रिया- मीलों की मापनी के लिए दिए गए 

मानचित्र पर मापनी प्रदर्शित करने की कितनी विधियाँ होती हैं।

मानचित्र पर मापनी प्रदर्शित करने की तीन विधियाँ होती हैं। 

1. साधारण कथन विधि (Simple Statement Method) 

2. निरूपक भिन्न विधि (Representative Fraction Method) 

3. रैखिक मापक विधि (Linear Scale Method) 

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