Jhunjhunu District – झुंझुनु
Jhunjhunu झुंझुनु जिले की स्थापना किसके द्वारा की गई इसके निश्चित प्रमाण उपलब्ध नहीं है किंतु यह माना जाता है कि झूझा नामक जाट के नाम पर 1451 से 1485 के मध्य झुंझुनू बसाया था।
Jhunjhunu झुंझुनु जिले में एकमात्र कांतली नदी बहती है जिसका प्रवाह क्षेत्र तोरावाटी के नाम से जाना जाता है।
Jhunjhunu झुंझुनुमें अजीतसागर बांध, पन्नालालशाह का तालाब, समय तालाब स्थित है।
सती प्रथा को महिमा मण्डित करने वाला राणी सती का मंदिर Jhunjhunu झुंझुनु में स्थित है।
राणीसती का वास्तविक नाम नारायणी अग्रवाल था।
राज्य सरकार ने सती प्रथा निवारण अधिनियम, 1987 के अनुसार सती प्रथा के महिमा मण्डन पर रोक लगा दी गयी है।
नवलगढ़. : Jhunjhunu झुंझुनु से 40 किमी. दूर स्थित यह स्थल शेखावाटी की स्वर्ण नगरी कहलाता है। यहाँ पौद्दार और भगेरिया की हवेलियाँ, भगतों की हवेली, पाटोदिया, भगत आदि की हवेली, आठ हवेली कॉम्प्लेक्स, रूपनिवास महल, गंगामाता का मंदिर आदि प्रसिद्ध है। |
झुंझुनु रघुनाथ चूड़ावत मंदिर
खेतड़ी में स्थित इस प्रसिद्ध मंदिर में भगवान श्रीराम व लक्ष्मण की मूंछों वाली मूर्तियाँ स्थापित हैं। लगभग 150 वर्ष पूर्व इस मंदिर का निर्माण राजा बख्तावर की रानी चूंडावती ने करवाया था। यह खेतड़ी का सबसे बड़ा एवं प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर के अलावा पूरे भारत में किसी भी मंदिर में श्रीराम एवं लक्ष्मण की मूंछों वाली मूर्तियाँ स्थापित नहीं है।
– राजस्थान सरकार की शहरों को अन्तर्राष्ट्रीय मानदण्डों के अनुरूप बनाने की योजना के तहत Jhunjhunu झुंझुनु जिले के पिलानी को मॉडल सिटी बनाने की घोषणा की गयी। |
भोपालगढ़ : भोपाल सिंह ने वि.सं. 1812 में पहाड़ी की चोटी पर एक गढ़ बनवाया जो भोपालगढ़ के नाम से प्रसिद्ध है।
– खेतड़ी में स्थित रामकृष्ण मिशन मठ (राजस्थान में सर्वप्रथम, इसे लगभग 130 वर्ष पूर्व फतेहसिंह की रानी चूड़ावत जी ने 1859 ई. में दीवान खाने के लिये बनवाया था तथा 1958 ई. में राजा सरदारसिंह द्वारा रामकृष्ण मिशन को दे दिया गया) बागोर का किला, भटियानी का मंदिर इत्यादि दर्शनीय स्थल है।
ज्ञातव्य है कि 1893 के शिकागो धर्म सम्मेलन में जाने से पूर्व स्वामी विवेकानन्द खेतड़ी आये थे। स्वामी जी को विवेकानन्द नाम खेतड़ी शासक |अजीतसिंह की ही देन है। * अजीतसागर तालाबःखेतड़ी में निर्मित (महाराज अजीतसिंह द्वारा 1889-91 के दौरान निर्मित)।
खेतड़ी महल : Jhunjhunu झुंझुनु के 9 महलों के क्षेत्र में अवस्थित खेतड़ी महल अपने प्रकार का प्राचीन और आकर्षक महल है जिसे खेतड़ी के राजा भोपालसिंह ने सन् | 1760 में ग्रीष्म ऋतु के विश्राम के लिए बनाया था। शेखावाटी में बेजोड़ स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध यह महल राजस्थान का दूसरा हवामहल कहलाता है। |
लोहार्गल : झुन्झुनूं से 60 किमी. दूर अरावली पर्वत श्रृंखला में मालकेतु पर्वत की शंखाकार घाटी में यह प्रसिद्ध तीर्थ अवस्थित है। इस सुरम्य स्थल में लगभग 70 मंदिर स्थित है जिनमें सूर्यकुण्ड व मालकेतु मंदिर विशेष प्रसिद्ध है। – इस तीर्थ की चौबीस कौसी परिक्रमा प्रसिद्ध है। इसे मालखेत जी की परिक्रमा भी कहा जाता है।
किरोड़ी झुन्झुनूं से 60 किमी. दूर स्थित, यहाँ राधा-कृष्ण का मंदिर, पीर बाबा की मस्जिद तथा उदयपुरवाटी के दानवीर शासक टोडरमल और वित्त मंत्री मुनशा के स्मारक स्थित है।
शेखावाटी क्षेत्र (सीकर, चुरू, झुन्झुनूं को ओपन आर्ट गैलेरी के नाम से जाना जाता है, अपनी भित्ति चित्रों से युक्त हवेलियों के लिए विख्यात हैं। मण्डावा, मुकन्दगढ़, फतेहपुर, रामगढ़ आदि प्रमुख स्थल है। वहां की हवेलियाँ भित्ति चित्रों के लिए विख्यात है।
झुन्झुनूं जिला भारत का ताम्र जिला कहलाता है। इस जिले में स्थित खेतड़ीनगर को ताम्र नगरी कहा जाता है। केन्द्र सरकार का उपक्रम हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड, खेतड़ी (1967) की स्थापना यू.एस.ए. की की सहायता से की गयी है।
राजस्थान के प्रथम परमवीर चक्र विजेता पीरुसिंह (1948) तथा मेजर शैतान सिंह (1962) झुन्झुनूं निवासी है। श्री घनश्याम दास बिड़ला राज्य में पद्म विभूषण पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम राजस्थानी थे।
जिले के चिड़ावा में नहरड़ की दरगाह (हजरत शक्कर पीर बाबा की दरगाह) स्थित है। शेख सलीम चिश्ती शक्कर पीर बाबा के शिष्य थे। ये बांगड़ के धणी कहलाते है। शेख सलीम चिश्ती शक्कर पर बाबा के शिष्य थे।
जिले के शार्दुल सिंह के निधन के बाद उनके पांच पुत्रों के बीच झुन्झुनूं ठिकाने का विभाजन हुआ, यही पंचपाना कहलाता है।
नरोत्तमदयाल जोशी राजस्थान की विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष व झुन्झुनूं जिले के स्वतंत्रता सैनानी रहे हैं।
राजस्थान की 12वीं विधानसभा की प्रथम महिला अध्यक्षा सुमित्रासिंह झुन्झुनूं निवासी है जो 9वीं बार विधायक चुनी गई, जिसको 22 जून, 2006 को इण्डिया इन्टरनेशनल फ्रेंडशिप सोसायटी, दिल्ली द्वारा ग्लोरी ऑफ इण्डिया अवार्ड देने की घोषणा की गयी। यह झुन्झुनूं जिले के किसारी गांव की मूल निवासी है।
झुन्झुनूं के पिलानी में सिरी (CEERI) केन्द्रीय इलेक्ट्रोनिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान केन्द्र, राज्य का प्रथम निजी नर्सिंग कॉलेज स्वीकृत किया गया तथा राज्य का प्रथम निजी नर्स कम्पाउण्डर प्रशिक्षण केन्द्र स्थित है।
बीट्स (पिलानी) भारत का पहला प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान जिसने सत्र 2005 -06 के लिए प्रवेश कम्प्यूटर परीक्षा के माध्यम से करने की घोषणा की है। यह झुन्झुनूं जिले में है।
झुंझुनु जिले के टीबाबसई क्षेत्र में बाबा रामेश्वरदास का मंदिर दर्शनीय है।
पत्रकारिता के भीष्म पितामह झाबरमल शर्मा का संबंध झुंझुनु जिले से है।
जिले का महणसर भित्ति चित्रों की स्वर्णिम पॉलिस के लिए प्रसिद्ध है जिसे सोने की दुकान भी कहते हैं। मण्डावा कस्बा में ओपन आर्ट गैलेरी के नाम से प्रसिद्ध भित्ति चित्रों से युक्त हवेलियां स्थित हैं, मण्डवा रेत के धोरों के लिए प्रसिद्ध है।
महणसर झुन्झुनूं जिले का कस्बा जो शराब का मुख्य उत्पादक है व हैरिटेज शराब के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। जहां बनने वाली शराब कई आयुर्वेदिक आसवों का कॉकटेल हुआ करती है। इनमें से कुछ नुस्खे ऐसे भी थे जिनमें वन्य जीवों के अंगों का उपयोग किया जाता था। तोलाराम मसखरा का महफिलखाना | भी यहीं स्थित है।
झुन्झुनूं के गौरीर में राजस्थान इलेक्ट्रोनिक्स एण्ड इंस्टुमेन्ट्स लिमिटेड (रील) की ओर से यहां राज्य का पहला 100 किलोवाट क्षमता वाला सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया गया है।