Nutrition In Plants – पौधों में पोषण ( भोजन-निर्माण )
Nutrition In Plants – पौधों में पोषण 2 प्रकार से होता है- (1) स्वपोषण, (2) परपोषण।
(1) स्वपोषण- स्वपोषण पौधे के हरे भाग में होता है। स्वपोषी अपना भोजन स्वयं बनाते हैं। स्वपोषी पौधे अपना भोजन प्रकाश प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा बनाते हैं। इस क्रिया के दौरान मंड (Starch) का यनिक अभिक्रिया द्वारा प्रदर्शित करते हैं
सूर्य-ऊर्जा कार्बनडाई ऑक्साइड + जल → मंड + ऑक्सीजन
पर्णहरिम = 6CO) + 6HO → CH2O + 60,
अर्थात् इस क्रिया में 1 अणु मंड के निर्माण के लिए 6 अणु कार्बनडाई ऑक्साइड तथा 6 अणु जल क्रिया करते हैं तथा इस क्रिया के फलस्वरूप 6 अणु ऑक्सीजन के वायु मण्डल में उत्सर्जित होते हैं।
जब 2 भिन्न या समान मंड के अणु आपस में मिलते हैं तो ‘डाइसैकराइड्स (जटिल शर्करा) का निर्माण करते हैं, जैसेसुक्रोज, लैक्टोज और माल्टोज। जब 2 से अधिक मंड (मोनो सैकराइड) के अणु आपस में मिलते हैं तो पाली सैकराइड्स (जटिलतम शर्करा) का निर्माण होता है, जैसे- सेलुलोज । मोनोसैकराइड, डाइसैकराइड्स तथा पाली सैकराइड्स को सम्मिलित रूप से कार्बोहाइड्रेट कहते हैं। वनस्पतियों में वसा, प्रोटीन, खनिज लवण (Mineral Salt) इत्यादि का निर्माण जमीन द्वारा अवशोषित जल से किया जाता है। हरे रंग की अनुपस्थिति में भी पौधे भोजन का निर्माण कैरोटीन और जन्थोफिल नामक पिगमेन्ट (Pigment) से करते हैं।
(2) परपोषण- परपोषी पौधे दूसरे पौधों के ऊपर परजीवी | के रूप में अपना जीवन निर्वाह करते हैं। जैसे-जीवाणु, विषाणु इत्यादि।
जब-जब पौधे एक-दूसरे के साथ सहजीवन यापन करते हैं तो वे पौधे सहजीवी कहलाते हैं। अधिपादपों (epiphytes) में | सह-जीवन पाया जाता है। बाण्डा, अमरवेल, आर्किड अधिपादप
के उदाहरण हैं। बाण्डा में विलामिन कोशिकाएं पायी जाती हैं | जो कि जल अवशोषण का कार्य करती हैं।
कुछ पौधे नाइट्रोजन की कमी वाले स्थानों पर उगते हैं और नाइट्रोजन की प्राप्ति के लिए ये कीटों का भक्षण करते हैं। ये कीटभक्षी पौधे मांसाहारी (Carnivorous) पौधे (Plants) कहलाते हैं। भारत में इनकी कुल 30 तथा विश्व में 440 जातियाँ हैं। ये 4 प्रकार के होते हैं- (i) ग्रन्थिल- जैसेसैन्ड्यू और बटरवर्ट (ii) बीनस फ्लाई ट्रैप- उदाहरण एल्डोवेन्डा (iii) पिचर- जैसे सरासीनिया और पिचर पौधा तथा (iv) ब्लैडर जैसे ब्लैडर वर्ट।