पृथ्वी की आंतरिक संरचना ( Earth’s Inner Structure )
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भूपटल (Crust)
- यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जिसकी औसत गहराई 33 किमी है।
- महाद्वीपीय भागों में इसकी मोटाई लगभग 40 किमी जबकि महासागरीय क्रस्ट की मोटाई 5-10 किमी है।
- क्रस्ट के ऊपरी भाग का निर्माण अवसादी चट्टानों से हुआ है।
- महाद्वीपीय क्रस्ट का निर्माण ग्रेनाइट चट्टानों से जबकि महासागरीय क्रस्ट का निर्माण बेसाल्ट से हुआ है।
- ऊपरी क्रस्ट में मुख्यतः सिलिका एवं अल्युमिनियम की प्रचुरता है तथा औसत घनत्व 2.7 है। यह भाग सिअल (Silica+Aluminium) कहलाता है।
- निचले क्रस्ट में सिलिका एवं मैग्नीशियम की प्रधानता है। यह बेसाल्ट चट्टानों से युक्त है। इसे ‘सीमा’ (Silica + Magnesium) परत भी कहा जाता है। इसका औसत घनत्व 3 ग्राम/सेमी’ है।
- सिअल सीमा से हल्की परत है।
- इस प्रकार सिअल सीमा के ऊपर तैर रही है।
- इसे लिथोस्फेयर भी कहते हैं और इसके दो भाग-बाहरी क्रस्ट व आंतरिक क्रस्ट हैं।
मेंटल (Mantle)
- इसकी गहराई लगभग 2900 किमी है।
- पृथ्वी के सम्पूर्ण आयतन का 83% तथा सम्पूर्ण द्रव्यमान के 63% का प्रतिनिधित्व मेंटल करता है।
- मेंटल को भी दो भागों में बांटा जाता है-ऊपरी मेंटल को एस्थेनोस्फीयर (Asthenosphese) कहते हैं जिसका विस्तार 400 किमी तक है जो मैग्मा का मुख्य स्रोत है।
- इसका घनत्व क्रस्ट से अधिक (3.4 ग्राम/सेमी’) है।
- क्रस्ट एवं ऊपरी मेंटल के सम्मिलित भाग को लिथोस्फीयर (Lithosphere) कहते हैं |
- यह मुख्यतः 10-200 किमी तक विस्तृत है।
- 100 किमी के नीचे एवं 200 किमी की गहराई तक पदार्थ पिघली हुई अवस्था में हैं जहां भूकंपीय तरंगों के वेग में कमी आती है।
- यह प्रदेश ‘निम्न गति का मंडल’ कहलाता है।
- मेंटल का निर्माण अधिकांशतः सिलिकेट खनिजों से हुआ है जिसमें लोहे एवं मैग्नीशियम की प्रधानता होती है।
क्रोड (Core)
- मेंटल के नीचे पृथ्वी के आन्तरिक भाग को क्रोड कहते हैं।
- यह मुख्यतः निकेल एवं लोहा से निर्मित है, इसलिए यह निफे (Ni + Fe) कहलाता है।
- क्रोड दो भागों में बांटा गया है-आन्तरिक क्रोड एवं बाहरी क्रोड। बाहरी क्रोड का विस्तार 2900 किमी से 5150 किमी तक है।
- यह द्रव अवस्था में है। 5150 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक के भाग को आंतरिक क्रोड कहते हैं।
- यह अत्यधिक दवाब के कारण ठोस अवस्था में है।
- क्रोड का घनत्व एवं तापमान क्रमशः 13 ग्राम/सेमी तथा 5500° से. है।
- पृथ्वी में गहराई के साथ तापमान में वृद्धि होती है। अनुप्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि प्रत्येक 32 मीटर की गहराई पर तापमान में 1° से. की वृद्धि होती है।
- तापमान में वृद्धि के कारण क्रोड में अवस्थित सभी पदार्थों को पिघली अवस्था में होना चाहिए था, लेकिन गहराई के साथ दाब में इतनी वृद्धि हो जाती है कि पदार्थों का गलनांक (Melting Point) अति उच्च हो जाता है।
- अतः क्रोड का पदार्थ ठोस अवस्था में है।
- बाहरी क्रोड में जहां अपेक्षाकृत कम दाब है, पदार्थ द्रवित अवस्था में हैं ।
तत्व | भार (%) |
---|---|
ऑक्सीजन | 46.6 |
सिलिकॉन | 27.72 |
अल्युमिनियम | 8.13 |
लोहा | 5.00 |
कैल्शियम | 3.63 |
सोडियम | 2.83 |
मैग्नीशियम | 2.09 |
अन्य | 1.41 |
तत्व | भार (%) |
---|---|
ऑक्सीजन | 30 |
सिलिकॉन | 15 |
अल्युमिनियम | 1.1 |
लोहा | 35 |
कैल्शियम | 1.1 |
मैग्नीशियम | 13 |
निकेल | 2.4 |
सल्फर | 1.9 |
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