वायरस बैक्टीरिया के प्रकार | वायरस रोग

वाइरस - VIRUS तंबाकू के मोजाइक रोक का अध्ययन करने के दौरान रूसीवैज्ञानिक इवानोवस्की ने 1892 ई. में 'विषाणु' की खोज की।

Table of Contents

वायरस बैक्टीरिया के प्रकार | वायरस रोग

विषाणु VIRUS तंबाकू के मोजाइक रोक का अध्ययन करने के दौरान रूसीवैज्ञानिक इवानोवस्की ने 1892 ई. में ‘विषाणु’ की खोज की।

इनकी प्रकृति सजीव एवं निर्जीव दोनों से मिलती है अतः इन्हें ‘सजीव-निर्जीव’ के बीच संयोजक कड़ी (connecting link) कहा जाता है।

वाइरस‘ शब्द Virum शब्द से बना है जिसका अर्थ विष होता है।

वाइरस मुक्त अवस्था में निर्जीव की तरह व्यवहार करते हैं परंतु किसी सजीव कोशिका में पहुँचते ही सक्रिय हो जाते हैं तथा एंजाइमों का विश्लेषण करने लगते हैं। परपोषी प्रकृति (Parasitic nature) के आधार पर विषाणुओं का तीन प्रकार माना गया।

जिन विषाणुओं के न्यूक्लियिक अम्ल में RNA होता है, वे पादप विषाणु (Plant Virus) कहलाते हैं।

जिन विषाणुओं में DNA (कभी-कभार RNA भी) पाया जाता है वे जंतु विषाणु (Animal Virus) कहलाते हैं।

ऐसे विषाणु जो सिर्फ जीवाणुओं पर आश्रित रहते हैं तथा जीवाणुओं को मार डालते हैं, जीवाणुभोजी विषाणु (Bacteriophage Virus) कहलाते हैं।

रेट्रो-विषाणुओं में आनुवांशिक पदार्थ RNA होता है।

1898 ई. में लोफलर एवं फ्रोस्य ने जानवरों में विषाणु जनित रोगों के संबंध में जानकारी जुटाने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की, तब इन जीवों को विषाणु (Virus) कहा गया।

Rate this post

Related Posts

Recent Posts

Scroll to Top