पाचन तंत्र क्या है | पाचन तंत्र का कार्य | पाचन तंत्र अंग, परिभाषा व चित्र

पाचन तंत्र क्या है | पाचन तंत्र का कार्य | पाचन तंत्र अंग, परिभाषा व चित्र
पाचन तंत्र 'मुख' से प्रारम्भ होकर 'गुदा' तक होता है। इसके निम्नलिखित भाग हैं- मुख, ग्रसनी, आमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँत, मलाशय अंगों है

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पाचन तंत्र क्या है | पाचन तंत्र का कार्य | पाचन तंत्र अंग, परिभाषा व चित्र

पाचन तंत्र का नामांकित चित्र | पाचन तंत्र के प्रमुख अंग व कार्य

पाचन तंत्र का नामांकित चित्र – Digestion in humans ‘मुख’ से प्रारम्भ होकर ‘गुदा‘ ( Anus ) तक होता है। इसके निम्नलिखित भाग हैं- (i) मुख ( Mouth ) (ii) ग्रसनी ( Oesophagous ) (iii) आमाशय ( Stomach ) (jv) छोटी आँत ( Small Intestine ) (v) बड़ी आँत ( Large Intestine ) (vi) मलाशय ( Rectum ) उपर्युक्त अंगों में पाचन निम्नवत् होता है

पाचन तंत्र – मुख

इसमें लार ग्रन्थि ( Saliva Gland ) से लारनिकलकर भोजन से मिलकर भोजन को अम्लीय रूप प्रदान करती हैं तथा लार में पायी जाने वाली एनजाइम ‘इमाइलेज‘ ( Amylase ) अथवा टायलिन मंड ( Starch ) को

आंशिक रूप से पचाने का कार्य करते हैं। मुख में गरम भोजन का स्वाद बढ़ जाता है, क्योंकि जीभ का पृष्ठ क्षेत्र (Surface Area) बढ़ जाता है। मुख में पाया जाने वाला एक एन्जाइम- ‘लाइसोजाइम‘ बैक्टीरिया को मारने का कार्य करता है। भोजन मुख से आगे के पाचन तन्त्र में क्रमाकुंचन (Contractile or Peristalsis) गति से बढ़ता है।

पाचन तंत्र ग्रसनी

इस भाग में कोई पाचन क्रिया नहीं होती। यह सिर्फ मुख और आमाशय ( Stomach ) को जोड़ने का कार्य करती है।

पाचन तंत्र – आमाशय

आमाशय में भोजन का पाचन अम्लीय माध्यम में होता है।

मनुष्य के आमाशय में जठर ग्रन्थियाँ ( Gastric Glands ) पायी जाती हैं जो जठर रस का स्रावण करती हैं।

जठर रस के रासायनिक संगठन में सर्वाधिक मात्रा में जल पाया जाता है।

इसके अतिरिक्त HCl तथा विभिन्न प्रकार के एन्जाइम पाये जाते हैं।

आमाशय में निम्न एन्जाइम पाये जाते हैं जिनके कार्य इस प्रकार हैं

(a) पेप्सिन एन्जाइमPepsin enzyme : इसके द्वारा प्रोटीन का पाचन -Digestive होता है।

(b) रेनिन एन्जाइमRenin enzyme : इसके द्वारा दूध में पायी जाने वाली केसीन प्रोटीन का पाचन – Digestive होता है।

(c) लाइपेज़ एन्जाइमlipase enzyme : इसके द्वारा वसा का पाचन – Digestive होता है।

(d) एमाइलेज़ एन्जाइमAmylase enzyme : इसके द्वारा मण्ड का पाचन होता है। HCl आमाशय में भोजन के पाचन के माध्यम को अम्लीय बनाता है। भोजन के साथ आये हानिकारक जीवाणुओं तथा कंकड़ तथा पत्थर जैसे कणों को गला देता है।

पाचन तंत्र – छोटी आँत

छोटी आँत में भोजन का पाचन क्षारीय माध्यम में होता है क्योंकि आंतीय रस का pH मान 8.0 से 8.3 होता है।

छोटी आँत को आहार नाल का सबसे लम्बा भाग माना जाता है।

जिसकी लम्बाई लगभग 6 से 7 मीटर होती है।

कार्य तथा संरचना के आधार पर छोटी आँत के तीन भाग होते हैं जिन्हें क्रमशः ग्रहणी, मध्यान्त्र तथा शेषान्त्र कहा जाता है।

छोटी आँत के ग्रहणी भाग में भोजन के पाचन में पित्तरस और अगन्याशिक रस सहायक होते हैं।

पित्त रस का निर्माण यकृत में और अगन्याशिक रस का। निर्माण अगन्याशय में होता है।

यकृत ( Liver ) : यकृत मनुष्य के शरीर की सबसे बड़ी वाह्य स्रावी ग्रन्थी होती है।

भार के आधार पर यकृत को शरीर को सबसे बड़ा अंग माना जाता है जिसका भार लगभग 1500 ग्राम होता है।

लम्बाई के आधार पर शरीर का सबसे बड़ा अंग त्वचा को माना जाता है।

मनुष्य में एक यकृत पाया जाता है जो दो पिण्डों में विभाजित होता है जिसमें दाएँ पिण्ड में नीचे की ओर एक थैलीनुमा संरचना पायी जाती है जिसे पित्ताशय कहते हैं।

पित्ताशय ( Gall Bladder ) में पित्त रस का संचयन होता है जबकि पित्तरस का निर्माण यकृत में होता है।

कुछ स्तनधारी प्राणियों में पित्ताशय नहीं पाया जाता है। जैसेघोड़ा, जेब्रा, गधा, खच्चर तथा चूहा आदि।

यकृत में बना पित्त रस क्षारीय प्रकृति का होता है जिसका pH मान लगभग 7.7 होता है।

पित्त रस में एन्जाइम नहीं पाये जाते हैं फिर भी इसके द्वारा वसा का पाचन होता है जिसे एमल्शीकरण कहा जाता है।

एमल्शीकरण क्रिया का सम्बन्ध यकृत से होता है।

पाचन तंत्र – अगन्याशय

अगन्याशय मनुष्य के शरीर का ऐसा अंग है जो मिश्रित ग्रंथि (Mixed Glands) की तरह कार्य करता है। अगन्याशय में वाह्य स्रावी भाग के रूप में अगन्याशिक नलिका पायी जाती है जबकि अन्तःस्रावी भाग के रूप में लैंगरहँस की द्वीपकाएं (Isleit of Langerhans) पायी जाती हैं। लैंगरहैंस की द्वीपकाओं का निर्माण तीन प्रकार की कोशिकाओं से होता है जिन्हें क्रमशः अल्फा, बीटा और गामा कोशिकाएँ कहा जाता है।

अल्फा कोशिका : अल्फा कोशिकाओं से ग्लूकेगॉन हार्मोन का स्रावण होता है। ये हार्मोन रुधिर में ग्लूगोज़ की मात्रा को बढ़ाता है।

बीटा कोशिका : ये कोशिकाएँ इन्सुलिन हार्मोन का स्रावण करती हैं जो रुधिर में ग्लूकोज़ की मात्रा को नियंत्रित करता है।

इन्सुलिनinsulin हार्मोन के अल्पस्रावण से रुधिर में ग्लूकोज़ की मात्रा बढ़ जाता हैं जिसे मधुमेह रोग ( Sugar Diabetes Malletus ) कहा जाता है।

अगन्याशय में अगन्याशिक रस का निर्माण होता है जिसे पूर्ण पाचक रस के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्वों को पूर्णतया पचाने वाले एनजाइम पाये जाते हैं।

जैसे प्रोटीन के पाचन के लिए ट्रिप्सिन एन्जाइम पाया जाता है।

छोटी आँत में पाये जाने वाली आंतीय ग्रन्थियाँ जिन्हें ब्रुनर्स ग्रन्थियाँ कहा जाता है।

जिनमें आंतीय रस का निर्माण होता है।

जिसमें सभी प्रकार के पोषक तत्वों को पूर्णतः पचाने वाले एन्जाइम पाये जाते हैं जो इस प्रकार कार्बोहाइड्रेट को पचाने वाले एन्जाइम : सुक्रेज एन्जाइम : इसके द्वारा सुक्रोज़ शर्करा का पाचन होता है।

लैक्टेज एन्जाइमlactase enzyme : इसके द्वारा दूध में पायी जाने वाली लैक्टोज़ शर्करा का पाचन होता है। माल्टेज़ एन्जाइम : इसके द्वारा बीजों में पायी जाने वाली माल्टोज शर्करा का पाचन होता है।

प्रोटीन पाचक एन्जाइम इरेप्सिन एन्जाइमerepsin enzyme : इसके द्वारा प्रोटीन का पूर्ण पाचन होता है। अर्थात् ये एन्जाइम प्रोटीन को अमीनो अम्ल में तोड़ देता है।

वसा पाचक एन्जाइम : लाइपेज़ एन्जाइम : इसके द्वारा वसा का पाचन वसीय अम्ल तथा ग्लीसराल में होता है।

पाचन तंत्र – बड़ी आँत

इस भाग में बचे भोजन का तथा शेष 90% जल का अवशोषण होता है।

बड़ी आंत की लम्बाई 1 से 1.5 मीटर होती है जहाँ पर भोजन का पाचन नहीं होता है।

कार्य तथा संरचना के आधार बड़ी आँत के तीन भाग होते हैं जिन्हें क्रमशः अन्धनाल, कोलोन तथा मलाशय कहा जाता है।

पाचन तंत्र – मलाशय

इस भाग में अवशिष्ट भोजन का संग्रहण होता है।

यहीं से समय-समय पर बाहर निष्क्रमण होता है।

नोट- सेलुलोज (एक प्रकार का जटिल कार्बोहाइड्रेट) का पाचन हमारे शरीर में नहीं होता है।

सेलुलोज का पाचन ‘सीकम‘ ( Ceacum ) में होता है। ‘सीकम’ शाकाहरी जन्तुओं में पाया जाता है।

मनुष्य में सीकम’ निष्क्रिय अंग के रूप में बचा है।

अन्धनाल ( Ceacum ) से जुड़ी नलिका का संरचना को कृमि रूप परिशेषिका ( Vermiform Appendix ) कहा जाता है जो मनुष्य में एक अवशेषी संरचना होती है अर्थात वर्तमान समय में मनुष्य के शरीर में इस संरचना का कोई कार्य नहीं है।

शाकाहारी जन्तुओं में कृमि रूप परिशेषिका सेलुलोज़ के पाचन में सहायता करती है।

मांसाहारी जन्तुओं में ये संरचना नहीं पायी जाती है। कृमि रूप परिशेषिका के बढ़ जाने पर एपेन्डी साइटिस नामक रोग हो जाता है।

Digestive System – पाचन तंत्र के प्रमुख अंग

(i) मुख ( Mouth ), (ii) ग्रसनी ( Oesophagous ), (iii) आमाशय ( Stomach ), (jv) छोटी आँत ( Small Intestine ), (v) बड़ी आँत ( Large Intestine ), (vi) मलाशय ( Rectum ) उपर्युक्त अंगों में पाचन निम्नवत् होता है

सर्पों में पायी जानी वाली विष ग्रन्थियाँ मनुष्य के किस ग्रन्थि की रूपान्तरण होती हैं ?

लार ग्रन्थियों की

Pharynx – ग्रसनी

इस भाग में कोई पाचन क्रिया नहीं होती। यह सिर्फ मुख और आमाशय ( Stomach ) को जोड़ने का कार्य करती है।

मानव की आहार नली लगभग कितने फीट लम्बी होती है ?

30 फीट

निम्न में से कोनसे दांत बच्चो में नहीं होते है –

अग्र चवर्णक

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