पृथ्वी की उत्पत्ति / संकल्पनाएं ( Earth Origin / Concepts )

पृथ्वी की उत्पत्ति - पृथ्वी का आकार एक गोले के रूप में है जो ध्रुवों पर चिपटा है। यह ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर हल्की फुली हुई प्रतीत होती है।

Table of Contents

पृथ्वी की उत्पत्ति / संकल्पनाएं ( Earth Origin / Concepts )

विश्व भूगोल परिचय
विश्व भूगोल परिचय
सिद्धांत/संकल्पनाएंवैज्ञानिक/दार्शनिक
गैसीय परिकल्पनाइमैनुअल कांट
निहारिका परिकल्पनालाप्लास
ग्रहाणु परिकल्पनाचैम्बरलिन एवं मॉल्टन
ज्वारीय परिकल्पनाजीन्स एवं जेफरीज
द्वैतारक परिकल्पनारसेल
सुपरनोवा परिकल्पनाहोयल
अन्तरतारक धूल परिकल्पनाऑटोश्मिड
शीफिड परिकल्पनाए सी बनर्जी
बृहस्पति-सूर्य द्वैतारक परिकल्पनाड्रोबोशेवस्की
बिग बैंग सिद्धान्तजार्ज लेमेटेयर

पृथ्वी का आकार

  • पृथ्वी का आकार एक गोले के रूप में है जो ध्रुवों पर चिपटा है। यह ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर हल्की फुली हुई प्रतीत होती है। 
  • यह चिपटापन पृथ्वी के अभिकेन्द्रीय बल के कारण है। 
  • पृथ्वी का वास्तविक आकर ‘जीऑड’ ( Geoid ) है, जिसका अर्थ है- पृथ्वी Earth के आकार का ।

उपसौर (Perihelion)

सूर्य से निकटतम स्थिति। पृथ्वी 3 जनवरी को प्रत्येक वर्ष इस स्थिति में आती है। यह दूरी सूर्य से लगभग 147 मिलियन किमी है।

अपसौर (Aphelion)

  • सूर्य से सबसे दूरस्थ स्थिति । पृथ्वी प्रति वर्ष 4 जून को इस स्थिति में आती है जब यह सूर्य से 152 मिलियन किमी दूरी पर होती है।
  • पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा, अर्थात् घड़ी की विपरीत दिशा में घूमती है। यह एक घूर्णन पूरा करने में 23 घंटे, 56 मिनट और 4.09 सेकेण्ड का समय लेती है। 
  • दैनिक गति के कारण पृथ्वी पर दिन और रात होते हैं। 
  • अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण ही पृथ्वी का आकार एक सम्पूर्ण गोले के रूप में नहीं है। 
  • ध्रुवीय अक्षों पर धूर्णन की अवधि को नक्षत्र दिन कहते हैं।

परिक्रमण (वार्षिक गति)

  • पृथ्वी, सूर्य के चारों तरफ 1,00,000 किमी/घंटे की रफ्तार से घूमती है। यह एक चक्कर पूरा करने में यह 365 दिन और 6 घंटे का समय लेती है। 
  • 6 घंटे का यह अतिरिक्त समय फरवरी महीने में जोड़ दिया जाता है जिससे प्रत्येक चार वर्ष पर फरवरी का महीना 29 दिन का होता है। इस तरह प्रत्येक चार वर्ष पर 366 दिन का एक वर्ष होता है, जिसे लीप वर्ष (Leap year) कहते हैं। 
  • पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए चार क्रान्तिक स्थितियों को प्राप्त करती है। 
  • यह पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके होने के कारण होता है। 
  • इसे अयनांत (Solstices) तथा विषुव (Equinoxes) कहते 21 जून को कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ती हैं। इसे ग्रीष्म अयनांत कहते हैं। 
  • इस समय उत्तरी ध्रुव पर लगातार दिन तथा दक्षिणी ध्रुव पर लगातार रात होती है। 
  • 22 दिसंबर को सूर्य की लम्बवत् किरणें मकर रेखा पर पड़ती हैं। इसे शीत अयनांत कहते हैं | चूंकि पृथ्वी का परिक्रमण पथ अण्डाकार है, अतः पृथ्वी व सूर्य के बीच की दूरी बदलती रहती है। 
  • 21 मार्च और 23 सितम्बर को पृथ्वी की स्थिती ऐसी होती है जब विषुवत रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् पढ़ती हैं। इस तिथि को पूरे विश्व में दिन तथा रात बराबर होते हैं। यह स्थिति विषुव (Equinoxes) कहलाती है। 
  • 21 मार्च को बसंत विषुव (Vernal Equionox) तथा 23 सितंबर को शरद विषुव (Autumnal Equinox) होता है।
5/5 - (1 vote)

Related Posts

Recent Posts

Scroll to Top