विश्व स्थलाकृति विकास ( World topography development )

विश्व स्थलाकृति विकास - पृथ्वी की सतह अत्यंत ही विषम है और इन विषमताओं का निर्माण भी अलग-अलग प्रक्रियाओं द्वारा हुआ है।

Table of Contents

विश्व स्थलाकृति विकास ( World Topography Development )

विश्व स्थलाकृति विकास
विश्व स्थलाकृति विकास

पृथ्वी की सतह अत्यंत ही विषम है और इन विषमताओं का निर्माण भी अलग-अलग प्रक्रियाओं द्वारा हुआ है। पृथ्वी की सतह पर पाई जाने वाली इन्हीं विषमताओं को स्थलाकृति कहते हैं। इन्हें निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है : 

1. प्रथम श्रेणी : महाद्वीप और महासागरीय बेसीन 2

. द्वितीयक श्रेणी : पर्वत, पठार, मैदान आदि 

3. तृतीय श्रेणी : झील, नदी, घाटी, गार्ज, जल प्रपात, मौरेन, बालुकास्तूप ।

महाद्वीप एवं महासागर

पृथ्वी पर सात महाद्वीप और चार प्रमुख महासागर हैं।

महाद्वीप 

पृथ्वी की सतह पर स्थित विशाल भू-भाग को महाद्वीप कहते हैं । पृथ्वी के अधिकांश शुष्क क्षेत्र महाद्वीपों पर पाए जाते हैं। पृथ्वी पर कुल सात महाद्वीप हैं जो क्षेत्रफल के घटते क्रम में निम्न हैं : 1. एशिया 2. अफ्रीका 3. उत्तरी अमेरिका 4. दक्षिणी अमेरिका 5. अन्टार्कटिका 6. यूरोप 7. ऑस्ट्रेलिया

महासागर 

पृथ्वी की सतह पर पाये जाने वाले विशाल जलीय भूभाग को महासागर कहा जाता है | सभी जलीय भाग आपस में जुड़े हुए हैं तथापि इन्हे पांच मुख्य भागों में विभाजित किया गया है जो आकार के घटते क्रम में निम्न

1. प्रशान्त महासागर 3. हिन्द महासागर 2. अटलांटिक महासागर 4. आर्कटिक महासागर ।

पर्वत (Mountains)

पर्वत द्वितीय क्रम का उच्चावच कहलाता है। यह पृथ्वी की सतह का ऐसा ऊंचा उठा भाग होता है जिसकी ढाल तीव्र व शिखर क्षेत्र संर्कीण होता है। ये सामान्यतः 600 मी से अधिक ऊंचे उठे क्षेत्र होते हैं। कुछ पहाड़ 8000 मीटर से भी ऊंचे होते हैं। कुछ पर्वतों में स्थाई रूप से जमी हुई बर्फ की नदी होती है जिसे ग्लैसियर (Glacier) कहते हैं। कुछ पर्वत ऐसे हैं जो दृश्य नहीं है क्योंकि वे समुद्र के भीतर हैं।

पर्वतों का अध्ययन ओरोलॉजी (Orology) कहलाता है।

पर्वतों के प्रकार 

1. वलित पर्वत : जब संपीडन बल के द्वारा चट्टानों में वलन का निर्माण होता है तो उसे वलित पर्वत कहते हैं। विश्व में वलित पर्वतों का सर्वाधिक विस्तार पाया जाता है। हिमालय, आल्पस, रॉकी, एंडीज, यूराल आदि वलित पर्वत के उदाहरण हैं |

नोट : भारत की अरावली श्रृंखला विश्व के सबसे प्राचीन वलित पर्वतों में से एक है। 

2. ब्लॉक पर्वत : इस पर्वत का निर्माण तनावमूलक बल द्वारा होता है। तनावमूलक बल के द्वारा भूपटल का कुछ भाग ऊपर उठ जाता है एवं कुछ भाग नीचे धस जाता है। ऊपर उठे भाग को ब्लॉक पर्वत और बीच में धंसे भाग को रिफ्ट घाटी कहते हैं। वॉसजेस (फ्रांस), ब्लैक फॉरेस्ट (जर्मनी), सियरा नेवादा, साल्ट रेंज आदि इसके उदाहरण हैं। 

3. ज्वालामुखी पर्वत : इन्हें संग्रहीत पर्वत (Mountain of accumulation) भी कहा जाता है। इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के परिणामस्वरूप निःसृत पदार्थों के जमाव से हुआ है। जैसे-माउंट किलिमंजारों (अफ्रीका), फ्यूजीयामा (जापान) आदि । 4. अवशिष्ट पर्वत : इनका निर्माण प्रांरभिक पर्वतों (वलित, ब्लॉक या ज्वालामुखी) के अपरदन एवं घर्षण से होता है। अरावली पर्वत अवशिष्ट पर्वत का उदाहरण है। इसके अलावा नीलगिरि, पार्श्वनाथ, गिरनार, राजमहल, सिएरा (स्पेन) और कॉस्कील (न्यूयार्क) इसके उदाहरण हैं।

श्रृंखलास्थान
एंडीजदक्षिण अमेरिका
हिमालय-काराकोरम-हिंदुकुशदक्षिण मध्य एशिया
रॉकीउत्तरी अमेरिका
ग्रेट डिवाइडिंग रेंजपूर्वी ऑस्ट्रेलिया
पश्चिमी घाटपश्चिमी भारत
कॉकेशसयूरोप, एशिया
अलास्काअमेरिका
आल्पसयूरोप
अपेनाईनयूरोप
उरालएशिया

पठार (Plateaus)

  • पठार द्वितीय श्रेणी का उच्चावच है। यह भूपटल के एक तिहाई भाग पर विस्तृत है। सागरतल से कम से कम 300 मीटर ऊपर उठी हुई उच्च भूमि जिसका शिखर सपाट व चपटा होता है, पठार कहलाता है। पठार के किनारे वाले ढाल खड़े होते हैं। 
  • पर्वतों के समान पठार भी नए या पुराने हो सकते हैं। भारत का दक्कन का पठार सबसे पुराने पठारों में से एक है। पूर्वी अफ्रीकी पठार (केन्या, तंजानिया व यूगांडा) और ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी पठार अन्य उदाहरण हैं।
  • तिब्बत विश्व का सबसे ऊंचा पठार है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 4000-6000 मीटर है। 
  • पठार काफी उपयोगी हैं क्योंकि ये खनिजों के भंडार हैं। यही कारण है कि विश्व में खनन के अधिकांश क्षेत्र पठारी क्षेत्र में स्थित हैं। अफ्रीकी पठार सोने और हीरे की खान के लिए प्रसिद्ध हैं। भारत में लोहा, कोयला और मैंगनीज के विशाल भंडार छोटानागपुर पठार में पाए जाते हैं।
रेगिस्तानक्षेत्रफल (किमी)विस्तार क्षेत्र
सहारा84,00,000अल्जीरिया, चाड, लीबिया, माली, मारितानिया, नाइजर, सूडान, ट्यूनीशिया, मिस्र और मोरक्को
ऑस्ट्रेलियन15,50,000ग्रेट सैन्ड्री, ग्रेट विक्टोरिया, सिम्पसन, गिब्सन तथा स्टुअर्ट रेगिस्तानी क्षेत्र
अरेबियन13,00,000सऊदी अरब, यमन, सीरिया, एवं नाफुद क्षेत्र
गोबी10,40,000मंगोलिया और चीन
कालाहारी5,20,000बोत्सवाना (मध्य अफ्रीका)
टाकला माकन3,20,000सीक्यांग (चीन)
सोनोरन3,10,000एरीजोना एवं कैलिफोर्निया (अमेरिका तथा मैक्सिको)
नामिब3,10,000दक्षिणी अफ्रीका (नामीबिया)
कराकुम2,70,000तुर्कमेनिस्तान
थार2,60,000उत्तरी-पश्चिमी भारत और पाकिस्तान
सोमाली2,60,000सोमालिया (अफ्रीका)
अटाकामा1,80,000उत्तरी चिली (दक्षिणी अमेरिका)
काजिलकुम1,80,000उज्बेकिस्तान, कजाखिस्तान
दस्ते-ए-लुट52,000पूर्वी ईरान
मोजाब35,000दक्षिणी कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य अमेरिका)
सेचूरा26,0000उत्तरी-पश्चिमी पेरू (दक्षिणी अमेरिका)

द्वीप (Islands) द्वीप स्थलखंड का ऐसा भाग है जो जलीय भागों द्वारा चारों तरफ से घिरा रहता है। उत्पत्ति के आधार पर द्वीपों को पांच भागों में बांटा जा सकता है:

विवर्तनिक द्वीप (Tectonic Island) ऐसे द्वीपों का निर्माण भूगर्भिक क्रियाओं के द्वारा भूमि के निम्मजन, उत्थान, भ्रंश घाटियों के निर्माण होने अथवा महाद्वीपीय भूभागों के अलग हो जाने से होता है। अटलांटिक एवं प्रशान्त महासागर में इस प्रक्रिया से अधिक द्वीपों का निर्माण हुआ है।

निक्षेपजनित द्वीप (Depositional Island) विभिन्न कारकों (जैसे-नदियां, ग्लेसियर, महासागरीय धाराएं) के द्वारा अवसादों के जमाव से इन द्वीपों का निर्माण होता है।

अपरदनात्मक द्वीप (Erosional Island) जब मुलायम चट्टानों का अपरदन हो जाता है तथा कठोर चट्टानें यथावत् रह जाती हैं तो इसके चारों ओर जल जमाव से द्वीप का निर्माण होता है, जिसे अपरदनात्मक द्वीप कहते हैं। ग्रीनलैंड द्वीप का निर्माण हिमानी अपरदन से हुआ है।

ज्वालामुखी द्वीप (VolcanicIslands) जब लावा का जमाव समुद्री सतह से बाहर हो जाता है तो इससे द्वीप का निर्माण होता है। हवाई द्वीप, अल्यूशियन द्वीप, आदि इसके उदाहरण हैं।

प्रवाल द्वीप (Coral Islands) प्रवाल कीटों के अस्थि-पंजरों से निर्मित द्वीप प्रवाल द्वीप कहलाता है। लक्षद्वीप, मालदीप, बरमूडा, आदि इसके उदाहरण हैं

द्वीपस्थानक्षेत्र (वर्ग किमी)
ग्रीनलैंडआर्कटिक महासागर21,75,000
न्यू गुआना महासागरपश्चिमी प्रशांत789,900
बोर्निआहिन्द महासागर (हिन्द महासागर में सबसे बड़ा)(751,000)
मेडागास्करहिन्द महासागर(587,041)
बैफिन द्वीप, कनाडाआर्कटिक महासागर(5,07,451)
सुमात्रा, इंडोनेशियाहिन्द महासागर(4,22,200)
होंशु, जापानउत्तरी प्रशांत(2,30,092)
ग्रेट ब्रिटेनउत्तरी अटलांटिक(2,29,849)
विक्टोरिया द्वीप, कनाडाआर्कटिक महासागर(2,17,290)
इलेसमेयर द्वीप, कनाडाआर्कटिक महासागर(1,96,236)

जलसंधियां (Straits)

जलसंधि दो अलग-अलग जलीय भागों को जोड़ती है एवं दो स्थलखंडों को अलग करती है। इसका अपना अलग व्यापारिक एवं सामरिक महत्त्व है।

जलसंधिजोड़ती हैस्थिति
मलक्का जलसंधिअंडमान सागर एवं दक्षिण चीनसागरइंडोनशिया-मलेशिया
पाक जलसंधिपाक खाड़ी एवं बंगाल की खाड़ीभारत-श्रीलंका
सुंडा जलसंधिजावा सागर एवं हिंद महासागरइंडोनेशिया
यूकाटन जलसंधिमैक्सिको की खाड़ी एवं कैरीबियन सागरमैक्सिको-क्यूबा
मेसिना जलसंधिभूमध्यसागरइटली-सिसली
ओरटो जलसंधिएड्रियाटिक सागर एवं आयोनियन सागरइटली अलबानिया
बाब-एल-मंडेब जलसंधिलाल सागर-अदन की खाड़ीयमन जिबूती
कुक-जलसंधिदक्षिण प्रशांत महासागरन्यूजीलैंड
मोजाम्बिक चैनलहिन्द महासागरमोजाम्बिक मालागासी
नार्थचैनलआयरिश सागर एवं अटलांटिक महासागरआयरलैंड-इंग्लैंड
टॉरेस जलसंधिअराफुरा सागर एवं पपुआ की खाड़ीपपुआ न्यूगिनी-आस्ट्रेलिया
बास जलसंधिटस्मान सागर एवं दक्षिण सागरऑस्ट्रेलिया
बेरिंग जलसंधिबेरिंग सागर एवं चुकची सागरअलास्का-रूस
बोनी-फैसियोभूमध्य सागरकोर्सिका-सार्डीनिया
बास्पोरस जलसंधिकाला सागर एव मरमरा सागरतुर्की
डर्डेनलेत्र जलसंधिमरमरा सागर एवं एजियन सागरतुर्की
डेविस जलसंधिबैफिनखाड़ी एवं अटलांटिक महासागरग्रीनलैड-कनाडा
डेनमार्क जलसंधिउत्तर अटलांटिक एवं आर्कटिक महासागरग्रीनलैंड-आइसलैंड
डोबर जलसंधिइंग्लिश चैनल एवं उत्तरी सागरइंग्लैंड-फ्रांस
फ्लोरिडा जलसंधिमैक्सिको की खाड़ी एवं अटलांटिक महासागरसं रा अमेरिका-क्यूबा
हॉरमुज जलसंधिफारस की खाड़ी एवं ओमान की खाड़ीओमान-ईरान
हडसन जलसंधिहडसन की खाड़ी एवं अटलांटिक महासागरकनाडा
जिब्राल्टरजलसंधि भूमध्य सागर एवं अटलांटिक महासागरस्पेन मोरक्को
मैगेलन जलसंधिप्रशांत एवं दक्षिण अटलांटिक महासागरचिली
मकास्सार जलसंधिजावा सागर एवं सेलीबीनसागरइंडोनेशिया
सुंगारू जलसंधिजापान सागर एवं प्रशांत महासागरजापान
तातार जलसंधिजापान सागर एवं ओखोटस्क सागररूस
फोवेकस जलसंधिदक्षिणी प्रशांत महासागरन्यूजीलैंड
फार्मोसा जलसंधिद. चीन सागर-पू. चीन सागरचीन-ताइवान

झील (Lakes)

  • वह जलीय भाग जो पृथ्वी की सतह पर गर्त में संचित है तथा चारों तरफ से स्थलखंड से आवृत है, झील कहलाता है। 
  • विवर्तनिक झीलें : टिटिकाका झील, कैस्पियन सागर |
  •  रिफ्ट घाटी झीलें : टंगानका, मलावी, रूडोल्फ, एडवर्ड, अल्बर्ट, मृत सागर।
  • ज्वालामुखी क्रिया से संबद्ध झीलें (क्रेटर झील, कॉल्डेरा झील) : ओरेगन झील, टोबा झील । 
  • नदी द्वारा निक्षेपण से निर्मित झील : गोखूर झील | 
  • समुद्री निक्षेप से निर्मित झील : लैगून, डेल्टा । 
  • कार्ट झील : युगोस्लावियाकी स्कुटारी झील 
  • सर्क या टार्न झील : लाल टार्न झील (यूके) 
  • केटल झील : ओक्रने (स्कॉटलैंड)
नामदेश
कैस्पियन सागरकजाकिस्तान, रूस, तुर्कमेनिस्तान
सुपीरियरअमेरिका-कनाडा
विक्टोरियायूगांडा-केन्या-तंजानिया
अराल सागरकजाखिस्तान-अजरबैजान
हुरोनअमेरिका-कनाडा
मिशिगनअमेरिका
तनगायिकाबुरूंडी-तंजानिया-जांबिया-जायरे
बैकलरूस
ग्रेट बीयरकनाडा
न्यासातंजानिया-मोजांबिक-मलावी
ग्रेट स्लेवकनाडा
एरीअमेरिका-कनाडा
विन्निपेगकनाडा
ओंटारियोअमेरिका-कनाडा
(A) ताजे पानी की सबसे बड़ी झील (पानी की मात्रा)बैकाल (साइबेरिया)
(B) ताजे पानी की सबसे बड़ी झीलसुपीरियर
(C) सर्वाधिक ऊंची नौगम्य झीलटिटिकाका (बोलीविया)
(D) सबसे गहरी झीलबैकाल (साइबेरिया)
(E) सर्वाधिक खारे पानी की झीलडॉन जुआन
(1) सबसे नीची झील (समुद्र तल से 2500 फीट नीचे)मृतसागर
(G) मेटेओरिक क्रेटर झीललोनार (महाराष्ट्र, भारत में)

5/5 - (1 vote)

Related Posts

Recent Posts

Scroll to Top