ब्रह्माण्ड | ब्रह्माण्ड क्या है | The universe

ब्रह्माण्ड | ब्रह्माण्ड क्या है - ब्रह्माण्ड में असंख्य तारे, ग्रह, उल्का पिंड, पुच्छल तारे, ठोस एवं गैसीय कण विद्यमान हैं जिन्हें 'खगोलीय पिण्ड' कहते हैं। ये सभी पिण्ड ब्रह्माण्ड में एक निश्चित कक्षा में गति करते हैं।

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ब्रह्मांड | ब्रह्माण्ड क्या है | The universe

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ब्रह्माण्ड | ब्रह्माण्ड क्या है

ब्रह्माण्ड क्या है – ब्रह्माण्ड में असंख्य तारे, ग्रह, उल्का पिंड, पुच्छल तारे, ठोस एवं गैसीय कण विद्यमान हैं जिन्हें ‘खगोलीय पिण्ड’ कहते हैं। ये सभी पिण्ड ब्रह्माण्ड में एक निश्चित कक्षा में गति करते हैं।

एक प्रकाश वर्ष से तात्पर्य वर्ष भर में प्रकाश द्वारा तय की गई दूरी से है।

यह दूरी 9.46 x 1015 मी अथवा 9500 बिलियन किमी के बराबर होती है। प्रकाश वर्ष दूरी का मात्रक है। 1 पारसेक = 3.26 प्रकाश वर्ष

खगोलीय पिण्ड

निहारिका ( Nebula )

हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल का संचयन निहारिका कहलाता है। इसी से आकाशगंगा का निर्माण हुआ है। निहारिका आकाशगंगा के शैशवावस्था को दर्शाती है जबकि आकाशगंगा इसकी विकसित अवस्था है।

आकाश गंगा ( Galaxy )

ब्रह्मांड में 100 अरब से अधिक आकाश गंगाएं हैं। हमारा सौर परिवार आकाश गंगा का ही एक भाग है, जिसका नाम ‘मिल्की वे’ है। इसमें 300 बिलियन तारे हैं जिनमें से एक सूर्य है। मर्केनियन-348, सबसे विशाल ज्ञात आकाश गंगा है जो मिल्की वे से 13 गुना बड़ी है। एंड्रोमेडा आकाश गंगा सबसे निकट की आकाश गंगा है जो हमारी आकाशगंगा से 2.2 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है।

तारामंडल ( Constellation )

तारों के समूह, जो विभिन्न आकृतियों में व्यवस्थित होते हैं, तारामंडल कहलाते हैं, जैसे हरकुलीज, हाइड्रा, सिगनस आदि । आकाश में कुल 89 तारामण्डल हैं। इनमें सबसे बड़ा तारामंडल सेन्टॉरस है जिसमें 94 तारे हैं। हाइड्रा में 68 तारे हैं।

तारा ( Star )

कुछ खगोलीय पिण्डों का अपना प्रकाश एवं ऊष्मा होती है। इन्हें तारा कहा जाता है। ये वस्तुतः हाइड्रोजन व हीलियम गैसों के बहुत बड़े गर्म पिंड होते हैं । ये टिमटिमाते हुए प्रतीत होते हैं तथा ऊष्मा एवं ऊर्जा प्रदान करते हैं। सूर्य भी एक तारा है। साइरस सबसे चमकीला तारा है। यह ‘डॉग स्टार’ भी कहलाता है। 

प्रोक्सिमा सेन्चॉरी ( Proxima Centauri )

पृथ्वी के सबसे निकट का तारा है। तारों का जन्म होता है, उनमें वद्धि होती है और अन्ततः उनका क्षय हो जाता है। तारे का विनाश सुपरनोवा विस्फोट से होता है तथा बचे हुए न्यूट्रॉन तारे ‘ब्लैक होल’ अथवा कृष्ण छिद्र कहलाते हैं।

ग्रह ( Planet )

कुछ खगोलीय पिण्ड ऐसे होते हैं जिनका न तो अपना प्रकाश होता है और न ही ऊष्मा होती है। वे सिर्फ सूर्य जैसे तारों से प्रकाश प्राप्तकर उसे परावर्तित करते हैं। ये ग्रह कहलाते हैं। हमारी पृथ्वी भी एक ग्रह है जो सूर्य से प्रकाश एवं ऊष्मा प्राप्त करती है।

उपग्रह ( Satellite )

जो आकाशीय पिण्ड किसी ग्रह के चारों और परिक्रमा करते है, उपग्रह कहलाते हैं। ग्रहों के लिए सूर्य तथा उपग्रहों के लिए ग्रह गुरूत्व केन्द्र का कार्य करते हैं।

चन्द्रमा उपग्रह का एक उदाहरण है जो पृथ्वी के चारों ओर परिक्रमा करता है तथा साथ ही सूर्य का भी चक्कर लगाता है।

उल्कापिंड ( Meteors )

यह अंतरिक्ष में तीव्र गति से घूमता हुआ अत्यंत सूक्ष्म ब्रह्मांडीय कण होता है। धूल व गैस निर्मित ये पिंड जब वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो घर्षण के कारण ये चमकने लगते हैं। इन्हें ‘टूटता हुआ तारा’ (Shooting Star) कहा जाता है। प्रायः ये पृथ्वी पर पहुंचने से पूर्व ही जलकर राख हो जाते हैं, जिसे उल्काश्म कहते हैं। परन्तु कुछ पिण्ड वायुमंडल के घर्षण से पूर्णतः जल नहीं पाते हैं और चट्टानों के रूप में पृथ्वी पर आ गिरते हैं, जिन्हें उल्कापिंड कहा जाता है।

धूमकेतु/पुच्छल तारा ( Comet )

ये सूर्य के चारों ओर ये लंबी किन्तु अनियमित या असमकेन्द्रित कक्षा में घूमते हैं। कई सालों के बाद जब ये घूमते हुए सूर्य के समीप पहुंचते हैं तो गर्म होकर इनसे गैसों की फुहार निकलती है जो एक लंबी-चमकीली पूंछ के समान प्रतीत होती है। सामान्य अवस्था में यह बिना पूंछ का होता है। हेली एक पुच्छलतारा है जो 76 वर्षों के अंतराल के बाद दिखाई पड़ता है। इसे 1986 में अंतिम बार देखा गया था।

क्षुद्र ग्रह ( Steroids )

छोटे आकार से लेकर सैकड़ों किमी आकार के पिण्ड जो मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच सूर्य की परिक्रमा करते हैं, क्षुद्र ग्रह या आवान्तर ग्रह कहलाते हैं। सीरस (Ceres) सबसे बड़ा क्षुद्र ग्रह है।

हमारा सौरमंडल

हमारे सौर मंडल में सूर्य एवं आठ ग्रह हैं। इसके अलावा कुछ अन्य पिण्ड भी इसके सदस्य हैं। जैसे-उपग्रह, घूमकेतु, उल्काएं तथा क्षुद्रग्रह । हमारे सौर परिवार में अभी तक 163 उपग्रहों की खोज की जा चुकी है। ये सभी मिल्की वे आकाश गंगा में अवस्थित हैं। पूरा सौर परिवार 25 करोड़ वर्ष में आकाश गंगा के केन्द्र के चारों और चक्कर लगाता है। यह समय अन्तराल कॉस्मिक वर्ष कहलाता है।

सूर्य ( Sun )

  • सूर्य सौर मंडल के केन्द्र में अवस्थित है। सभी ग्रह इसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं | सूर्य का व्यास पृथ्वी से 109 गुना, आयतन 13 लाख गुना तथा भार 303 लाख गुना अधिक है और इसका वजन 2 x 1027 टन है। 
  • सूर्य का घनत्त्व पृथ्वी का एक चौथाई है। 
  • इसके संघटन में 71% हाइड्रोजन एवं 26.5% हीलियम पाया जाता है। 
  • सूर्य पृथ्वी से लगभग 150 मिलियन किमी दूर है। 
  • प्रकाश की चाल 3 लाख किमी प्रति सेकेंड है। इस गति से सूर्य की किरणें पृथ्वी तक आने में लगभग 8 मिनट 16.6 सेकंड का समय लेती हैं। 
  • सूर्य को ऊर्जा की प्राप्ति नाभिकीय संलयन प्रक्रिया द्वारा होती है। 
  • इसमें हाइड्रोजन के छोटे-छोटे नाभिक मिलकर हीलियम अणु का निर्माण करते हैं। 
  • सूर्य के कोर का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेंटिग्रेड होता है।

सूर्य की विभिन्न सतहें तथा तापमान सूर्य की सतहों से लगातार ऊष्मा एवं ऊर्जा निकलती रहती है। पृथ्वी की सतह पर जीवन का आधार यही ऊर्जा है। सूर्य की सतह पर 6000° से. तापमान पाया जाता है जबकि इसके केन्द्र में 15 मिलियन _डिग्री से. तापमान पाया जाता है।

प्रकाश मंडल ( Photoshere )

सूर्य के निचले धरातल को प्रकाश मंडल कहते हैं। सूर्य का यह भाग हमें आंखों से दिखाई देता है। उस पर स्थित गहरे धब्बों को सूर्यकलंक ( Sunspot ) कहते हैं। 

वर्ण मंडल ( Chromosphese )

यह प्रकाश मंडल के ऊपर एक संकीर्ण परत के रूप में है जहां उंचाई में वृद्धि के साथ तापमान में वृद्धि होती है। सामान्यतया, इसे नग्न आंखों से देखा नहीं जा सकता है क्योंकि प्रकाश मंडल में प्रकाश द्वारा ये अभिभूत ( Overpower ) हो जाते हैं। कभी-कभी इस मंडल में तीव्र गहनता का प्रकाश उत्पन्न होता है, जिसे ‘सौर ज्वाला’ कहते हैं। इस परत पर पृथ्वी पर पाए जाने वाले अधिकांश तत्व गैसीय अवस्था में उपस्थित हैं। 

कोरोना ( Corona )

यह सूर्य का बाहरी भाग है जो सूर्यग्रहण के समय दिखाई देता है। इससे एक्स किरणें (X-rays) निकलती हैं तथा इसका तापमान 15 लाख डिग्री से. होता है।

ग्रह ( Planets )

  • वर्ष 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) की संशोधित परिभाषा के अनुसार ग्रह सौर मंडल का वह खगोलीय पिंड है जो : 
  • सूर्य की कक्षा में हो।
  • पर्याप्त द्रव्यमान रखता हो ताकि स्थैतिक साम्य (लगभग गोलाकार) आकार प्राप्त कर ले। 
  • अपनी कक्षा के गिर्द ‘पड़ोस’ को खाली कर दिया हो, अर्थात गुरुत्वीय रूप से इतना प्रभावी बन गया हो कि इसके समकक्ष आकार का कोई पिण्ड पड़ोस में मौजूद न हो, सिवाय इसके उपग्रह के।

सूर्य के ग्रह ( Planets of the Sun )

सूर्य के आठ ग्रह हैं जो सूर्य के चारों ओर अपनी निर्धारित कक्षा में चक्कर लगाते हैं। ये निम्नलिखित हैं :

  • 1. बुध 
  • 2. शुक्र 
  • 3. पृथ्वी 
  • 4. मंगल 
  • 5. बृहस्पति 
  • 6. शनि 
  • 7. यूरेनस (अरुण) 
  • 8. नेप्चून (वरुण)

बौना ग्रह

बौना ग्रह वह खगोलीय पिंड है, जो : (a) सूर्य के गिर्द एक कक्षा में होता है (b) इसके स्वयं के गुरूत्वाकर्षण हेतु पर्याप्त द्रव्यमान है और इसलिएयह एक स्थैतिक साम्य (लगभग गोलाकार आकार) प्राप्त करता है (c) इसने अपने पड़ोस को खाली नहीं किया है और (d) एक उपग्रह नहीं है। इस परिभाषा के अनुसार वर्तमान में पांच बौना ग्रह हैं : 

  • 1. प्लूटो 
  • 2. सेरेस
  • 3. इरिस।
  • 4. मकेमके 
  • 5. होमीया 

आठ ग्रहों में से बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल आंतरिक ग्रह (Inner Planets) कहलाते हैं तथा ये सूर्य एवं क्षुद्र ग्रह की पट्टी के मध्य अवस्थित हैं | ये चार ग्रह ‘पार्थिव ग्रह’ (Terrestrial planets) भी कहलाते हैं क्योंकि ये पृथ्वी की तरह ही चट्टानों एवं धातुओं से निर्मित हैं तथा इनमें उच्च घनत्व पाया जाता है। 

अन्य चार ग्रहों बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण को बाह्य ग्रह (Outer Planets) कहा जाता है। ये ग्रह ‘जोवियन ग्रह’ भी कहलाते हैं । जोवियन का अर्थ है-बृहस्पति के समान । पार्थिव ग्रह की तुलना में ये काफी बड़े हैं तथा इनका वातावरण घना है जो अधिकांशतः हीलियम तथा हाइड्रोजन से निर्मित हैं। 

अभी हाल तक प्लूटो को एक ग्रह माना जाता था लेकिन अरुण ग्रह की कक्षा का अतिक्रमण एवं अन्य ग्रहों की तुलना में प्लूटो के कक्षा के झुके होने के कारण अगस्त 2006 में अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने प्लूटो से ग्रह का दर्जा छीन लिया।

ग्रहों की स्थिति । 

सूर्य से दूरी के आधार पर ग्रहों की स्थिति (आरोही क्रम में):

बुध-शुक्र-पृथ्वी-मंगल-बृहस्पति-शनि-यूरेनस-नेप्च्यून

आकार के अनुसार ग्रहों की घटते क्रम में स्थिति :

बृहस्पति-शनि-यूरेनस-नेप्च्यून-पृथ्वी-शुक्र-मंगल-बुध 

सूर्य का चक्कर लगाने में सबसे कम अवधि शुक्र (225 दिन) को लगती है। 

सूर्य का चक्कर लगाने में सबसे अधिक अवधि प्लूटो (248 वर्ष), और उसके बाद नेप्च्यून (164 वर्ष) को लगती है। 

ग्रहों को अपने अक्ष पर घूर्णन करने में लगने वाला समय

  • बृहस्पति-9 घंटा 50 मिनट
  • शनि-10 घंटा 40 मिनट
  • शुक्र-243 दिन
  • बुध-59 दिन 
  • पृथ्वी-24 घंटे
ग्रहउपग्रहों की संख्या
शनि53
बृहस्पति50
अरुण (यूरेनस)27
वरुण (नेप्च्यून)13
मंगल2
पृथ्वी1

नोट : बुध एवं शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है।

ग्रहअपने अक्ष पर झुकाव
पृथ्वी23.50
प्लूटो17
बुध7
शुक्र3.5
शनि2.5
मंगल2
नेप्च्यून2
बृहस्पति1
यूरेनस0

विभिन्न ग्रहों का संक्षिप्त विवरण

बुध (Mercury)

  • सूर्य के सबसे नजदीक का ग्रह जो सूर्य से 5.7 मिलियन किमी की दूरी पर है। सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह जिसका व्यास मात्र 4849.6 किमी है। 
  • कोई वातावरण नहीं, अतः यहां जीवन की संभावना नहीं है। इसका कोई उपग्रह नहीं है। 
  • सूर्य के चारों ओर परिक्रमा की अवधि 88 दिन है।

शुक्र (Venus)

  • सौर मंडल का सबसे चमकीला ग्रह क्योंकि सूर्य से आने वाली किरणों में से अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक किरणों को परावर्तित करता है। 
  • साथ ही सबसे अधिक तापमान वाला ग्रह 460° सें से 700° सें तक। 
  • यहां सल्फ्यूरिक अम्ल के बादल पाए जाते हैं। 
  • यह पृथ्वी के सबसे निकट का ग्रह है जो पृथ्वी से 4.11 करोड़ किमी की दूरी पर स्थित है। 
  • इस ग्रह का आयतन, भार तथा घनत्व पृथ्वी के समान है। 
  • इसलिए इसे ‘पृथ्वी की बहन’ या ‘जुड़वां ग्रह’ कहा जाता है। 
  • इसे ‘भोर का तारा’ तथा ‘सायंकाल का तारा’ भी कहा जाता है।
  • शुक्र के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड अत्यधिक मात्रा में (90-95%) पाई जाती है। 
  • कुछ मात्रा में हाइड्रोजन भी पाई जाती है। 
  • शुक्र ग्रह का बादल मण्डल नारंगी रंग का है, अतः इसे ‘नारंगी ग्रह’ भी कहा जाता है। 
  • यह अन्य ग्रहों की विपरीत दिशा (पूर्व से पश्चिम) में सूर्य की परिक्रमा करता है। 
  • कोई उपग्रह नहीं।

पृथ्वी (Earth)

सूर्य से दूरी के आधार पर यह तीसरे स्थान पर है तथा पांचवां सबसे बड़ा ग्रह है। 

यह सूर्य से 148.8 मिलियन किमी दूर स्थित है।

पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर लगाती है। 

पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन, 5 घंटे तथा 42 मिनट में पूरी करती है। 

यह ‘नीला ग्रह’ भी कहलाती है। 

यह एकमात्र ग्रह है जहां अनुकूल वातावरण के कारण जीवन संभव हो सका है।

इसका व्यास 12,733.2 किमी है। 

इसका केवल एक उपग्रह चन्द्रमा है।

पृथ्वी के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

व्यास 

विषुवत रेखा पर ब्यास 12,756 किमी 

ध्रुवों पर ब्यास 12,714 किमी 

परिधि 

विषुवत रेखा पर परिधि 40,077 किमी 

ध्रुवों पर परिधि 40,009 किमी 

घनत्व

5.52 ग्रा/से (जल के घनत्व का 5.2 गुणा) 

आयु 4.6 अरब वर्ष 

उच्चतम स्थलीय बिंदु 8848 मी (माउंट एवरेस्ट) 

निम्नतम स्थलीय बिंदु (मृत सागर) -397 मी

सर्वाधिक महासागरीय गहराई 11022 मी (मरियाना खाई) 

तापमान

उच्चतमः 58°C अल-अजिजिया, लीबिया । 

निम्नतमः –89.6°C अंटार्कटिका पर,

औसत : -49°C

पलायन वेग 11200 मी/से

चन्द्रमा (Moon)

  • व्यास : 3475 किमी
  • गुरुत्व बल : पृथ्वी का 1/6
  • सूर्य से औसत दूरी : 3.85 लाख किमी
  • यह पृथ्वी की परिक्रमा 27 दिन 7.4 घंटे में पूरी करता है। 
  • चन्द्रमा के सतह से परावर्तन के बाद पृथ्वी की सतह पर प्रकाश की किरण 1.3 सेकंड में पहुंचती हैं। 
  • कोई वायुमंडल नहीं है। 
  • इसकी श्वेतिमा (Albedo) कम है और यह केवल 7% प्रकाश को परावर्तित करता है और शेष को अवशोषित कर लेता है। 
  • चन्द्रमा के घूर्णन व परिक्रमण की गति लगभग बराबर है। 
  • अतः हम हमेशा इसका समान भाग देखते हैं। 
  • यह सूर्य के गिर्द अंडाकार कक्षा में घूमता है, अतः एक पूर्ण परिक्रमा में यह दो बार सूर्य के नजदीक आता है और दो बार इससे दूर जाता है। 
  • पृथ्वी से चन्द्रमा की निकटतम स्थिति को पेरेजी (Perigee) और सबसे दूरस्थ स्थिति को एपोजी (Apogee) कहते हैं | जब पृथ्वी सूर्य और चन्द्रमा संरेख होते है, तो इसे साइजी (Syzgie) कहते हैं।

सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण (Solar eclipse and Lunar eclipse) 

  • जब सूर्य तथा पृथ्वी के मध्य चन्द्रमा आ जाता है तो इसके फलस्वरूप अमावस्या (New Moon) होती है |
  • अमावस्या को सूर्य ग्रहण होता है। 
  • जब पृथ्वी की स्थिती सूर्य तथा चन्द्रमा के बीच होती है तो इसे पूर्णमासी (Full Moon) कहा जाता है ऐसे में पृथ्वी को सूर्य का प्रकाश नहीं मिलता है। 
  • इसी स्थिति में चन्द्रग्रहण होता है। 
  • सूर्य, पृथ्वी तथा चन्द्रमा की सापेक्षिक स्थिति में परिवर्तन से सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करने वाले चन्द्रमा के धरातल का क्षेत्रफल बदलता रहता है, 
  • जिसे ‘चन्द्रमा की कला’ कहते हैं ।

मंगल (Mars)

  • यह शुक्र एवं पृथ्वी से छोटा ग्रह है जिसका व्यास 4014 किमी है। 
  • यह अपने अक्ष पर 24.6 घंटे (लगभग पृथ्वी के बराबर) में एक बार घूम जाता है। 
  • आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति के कारण यह लाल दिखाई देता है। 
  • इसलिए इसे ‘लाल ग्रह’ कहा जाता है। 
  • मंगल पर ‘निक्स ओलम्पिया’ पर्वत स्थित है जो माउण्ट एवरेस्ट से तीन गुना ऊंचा है। 
  • फोबोस तथा डिमोस इसके दो उपग्रह हैं। 
  • इस ग्रह के लिए बहुत सारे अंतरिक्ष मिशन भेजे गए हैं। जैसे-विकिंग्स, पाथफाइन्डर, मार्स ओडेसी, मंगलयान आदि । 
  • पृथ्वी के बाद एकमात्र ग्रह जहां पानी के संकेत मिले हैं तथा जीवन की संभावना व्याप्त है। 
  • इसका एक पतला वायुमंडल है जिसमें नाइट्रोजन व आर्गन हैं।

बृहस्पति (Jupiter)

  • सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह, इसका व्यास तथा क्षेत्रफल क्रमशः पृथ्वी से 11 गुना तथा 120 गुना है। 
  • इसे ‘स्वर्ग का देवता’ (Lord of the Heavens) तथा मास्टर ऑफ गॉड्स (Master of Gods) की उपमा प्रदान की गई है। 
  • पृथ्वी की तुलना में इसका गुरुत्व बहुत अधिक है और यह सबसे तेज घूमने वाला ग्रह है। 
  • सूर्य से दूरी : 77.2 करोड़ किमी अपने अक्ष पर घूर्णन : 10 घंटे में। सूर्य की परिक्रमा : 11 वर्ष एवं 10 माह । सूर्य से बहुत दूर होने के कारण अत्यधिक शीतल वातावरण (-14° से.)। इसकी सतह ठोस नहीं है तथा वायुमंडल हाइड्रोजन, हीलियम, अमोनिया एवं मीथेन से बना है और बहुत सघन है। 
  • बृहस्पति के 63 उपग्रह हैं। 
  • यूरोपा, गेनीमेड, केलिस्टो बृहस्पति के प्रमुख उपग्रह हैं। 
  • गेनीमेड सौर मंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है जो बुध ग्रह से बड़ा है।
  • इस ग्रह की एक प्रमुख विशेषता बड़े लाल धब्बे (Great red spot) हैं।

शनि (Saturn)

  • सौरमंडल का यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। यह सूर्य से 141.7 करोड़ किमी दूर है। 
  • यह सूर्य की परिक्रमा 29 वर्ष, 6 माह में करता है। 
  • शनि की एक मुख्य विशेषता यह है कि इसके चारों ओर एक वृत्ताकार वलय विद्यमान है जो शनि की सतह को स्पर्श नहीं करता है। 
  • शनि का निर्माण हल्की गैसों से हुआ है जिनमें 63% हाइड्रोजन है। 
  • शनि के ज्ञात उपग्रहों की संख्या सबसे अधिक 60 है। 
  • इसकी घोषणा 3 मार्च 2009 को अन्तर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (International Astronomical Union) ने की। टाइटन (Titan) इसका सबसे बड़ा उपग्रह है।

अरुण (Uranus)

  • 1781 ई. में इस ग्रह की खोज विलियम हर्शेल ने की। 
  • यह सूर्य से 286.7 करोड़ किमी दूर है। 
  • यह अपने अक्ष पर 11 घंटे में एक चक्कर लगाता है तथा सूर्य की परिक्रमा 84 वर्षों में करता है। 
  • यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम दिशा में घूर्णन करता है। इसका वायुमंडल अत्यंत सघन है जिसमें मीथेन गैस पायी जाती है।
  • इसके उपग्रह विपरित दिशा में परिक्रमा करते हैं। 
  • इसके 27 उपग्रह हैं। 
  • इसका अक्ष काफी झुका हुआ है अतः यह लेटा हुआ दिखाई देता है। 
  • अतः इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है।

वरुण (Neptune)

  • यह सूर्य से 447 करोड़ किमी दूर अवस्थित है।
  • यह अपने अक्ष पर 15 घंटे 40 मिनट में एक चक्कर लगाता है। तथा 165 वर्षों में सूर्य की परिक्रमा करता है। 
  • मीथेन की उपस्थिति के कारण यह हरा प्रतीत होता है तथा “हरा ग्रह” कहलाता है। 
  • यह अत्यधिक ठंठा ग्रह है जिसका अधिकतम तापमान -200° सेंटीग्रेड है। 
  • इसके 13 उपग्रह हैं। 
  • इसकी खोज जर्मन खगोलविद् ‘जहॉन गाले’ ने 1846 में की।

बौना ग्रह-प्लूटो

  • 1930 में इसकी खोज की गयी थी। 
  • यह सूर्य से 559 करोड़ किमी दूरी पर स्थित है। 
  • इसका व्यास 2,222 किमी है। 
  • अगस्त 2006 तक प्लूटो को भी एक ग्रह माना जाता था। 
  • किन्तु अंतर्राष्ट्रीय खगोल संघ (IAU) की एक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हाल में खोजे गए अन्य खगोलिय पिण्डों की भांति प्लूटो को भी बौना ग्रह कहा जाएगा।
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