अक्षांश और देशांतर | अक्षांश और देशांतर क्या है | दिशाएँ
अक्षांश और देशांतर
कल्पित रेखाओं का वह जाल जिसके द्वारा प थ्वी पर विभिन्न स्थानों की स्थितियाँ निश्चित की जा सकें वे अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ कहलाती है। पथ्वी के निकटतम शुद्ध प्रतिरूप ग्लोब पर दर्शाई जाने वाली क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर रेखाएँ अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएँ ही होती हैं।
अक्षांश ( Latitude )
किसी स्थान की भूमध्य रेखीय तल से उत्तर एवं दक्षिण दिशा की ओर कोणात्मक दूरी को उस स्थान का अक्षांश कहते हैं। भूमध्य रेखीय तल के उत्तर की ओर उत्तरी अक्षांश तथा दक्षिण की और दक्षिणी अक्षांश कहलाते हैं।
गोलाकार प थ्वी में कुल 360 अक्षांश होते हैं 0° अक्षांश भूमध्य रेखा द्वारा दर्शाया जाता है जो प थ्वी को ठीक दो समान भागों में बताता है।
यह वत्त प थ्वी का महानतम व त है। भूमध्य रेखा से 90° अक्षांश उत्तर की ओर तथा 90° अक्षांश दक्षिण की ओर होते हैं। 90° उत्तरी अक्षांश उत्तरी ध्रुव तथा 90° दक्षिणी अक्षांश दक्षिणी ध्रुव कहलाता है।
अक्षांश रेखाएँ ( Lines of Latitude )
वे कल्पित रेखाएँ जो उन स्थानों से होकर गुजरती हैं जिन स्थानों की भूमध्य रेखा से एक ही दिशा में कोणात्मक दूरी एक समान हो अक्षांश रेखाएँ कहलाती हैं।
सभी अक्षांश रेखाएँ एक दूसरे के समानान्तर होती हैं। भूमध्य रेखा से उत्तर एवं दक्षिण दिशा की ओर इन रेखाओं का विस्तार कम होता जाता है।
ध्रुव पर तो इन रेखाओं का विस्तार केवल एक बिन्दु ही रह जाता है। भूमध्य रेखा के अतिरिक्त कर्क एवं मकर अन्य प्रमुख अक्षांश रेखाएँ हैं।
कर्क रेखा- 21 जून को उत्तरी ध्रुव सूर्य की ओर 23- के कोण पर झुका होता है। अर्थात इस दिन 23- उत्तरी अक्षांश 2 पर सूर्य की किरणें लम्बवत पड़ती है इस अक्षांश को कर्क रेखा कहते हैं।
मकर रेखा- 22 दिसम्बर को दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर 23- के कोण पर झुका होता है अर्थात इस दिन सूर्य कि किरणे 23- दक्षिणी अक्षांश पर लम्बवत पड़ती है इसी अक्षांश को मकर रेखा कहते है।
देशान्तर ( Longitude )
प्रधान मध्याह्वन अर्थात 0° देशान्तर से किसी स्थान की पूर्व अथवा पश्चिम दिशा की ओर कोणात्मक दूरी को उस स्थान का देशान्तर कहते हैं।
देशान्तर रेखाएँ ( Lines of Longitude )
वे कल्पित रेखाएँ जो इस प्रकार खींची जाती हैं कि उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव से होती हुई भूमध्य रेखा को समकोण पर काटती हो वे देशान्तर रेखाएँ कहलाती है ये सभी रेखाएँ समान दीर्ध वर्त होते हैं। क्योंकि सभी देशान्तर रेखाएँ उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव से होकर गुजरती है इसलिए ये अक्षांश रेखाओं की तरह एक दूसरे के समानान्तर नहीं होती हैं।
भूमध्य रेखा पर इनके बीच की दूरी सर्वाधिक होती है तथा ध्रुव की तरफ बढ़ते हुए इनके बीच की दूरी कम होती जाती है। ध्रुर्वो पर तो ये रेखाएँ एक ही बिन्दु पर मिल जाती है। देशान्तर रेखाएँ संख्या में 360 होती हैं।
इंग्लैंड के ग्रीनविच नामक स्थान से गुजरने वाली देशान्तर रेखा को प्रधान देशान्तर अथवा प्रधान मध्याह्न रेखा माना गया है।
यह प्रधान मध्याह्न 0° देशान्तर मानी गई है। इसके पूर्व एवं पश्चिम में क्रमश 180° तक देशान्तर रेखाएँ खींची गई हैं।
दिशाएँ ( Directions )
सूर्य के उदय एवं अस्त होने से दो दिशाओं का ज्ञान होता है जिन्हें पूर्व (East) तथा पश्चिम (West) कहते हैं। पथ्वी अपने अक्ष पर चक्कर लगाती हैं इस अक्ष के दोनों सिरे अन्य दो दिशाओं का संकेत देते है जिन्हें उत्तर (North) एवं दक्षिण (South) कहते हैं।
इस प्रकार प्रमुख चार दिशाओं पूर्व, पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण का ज्ञान होता है अगर सूर्योदय के समय हम उसकी तरफ मुँह करके खड़े हो जाए तो हमारे सामने पूर्व दिशा, ठीक हमारे पीछे पश्चिम दिशा, दाहिने हाथ की तरफ दक्षिण दिशा तथा बाएँ हाथ की तरफ उत्तर दिशा होगी।
इन चार प्रमुख दिशाओं के बीच कई अन्य दिशाएँ होती है। कुल मिलाकर 16 दिशाओं का उपयोग किया जाता है।
मानचित्र पर दिशाएँ (Directions on the Maps)
चार प्रमुख दिग्विन्दु और उनके बीच की दिशायें जब तक किसी मानचित्र पर दिशा अंकित नहीं की जाती तब तक उस मानचित्र को समझ पाना बहुत कठिन है।
इसलिए मानचित्र पर दिशा अंकित करना आवश्यक है। नाविक, सैनिक, वायुयान चालक आदि सभी के लिए दिशा अंकित मानचित्र अति उपयोगी है।
इसके बगैर ये सभी यात्रा पथ भटक सकते है।
मानचित्र पर दर्शाई गई अक्षांश एक देशान्तर रेखाएँ भी दिशाओं का बोध कराती है।
अक्षांश रेखाएँ पूर्व-पश्चिम दिशा में तथा देशान्तर रेखाएँ उत्तर-दक्षिण दिशा में बिछि हुई होती है। इसके अलावा कुछ मानचित्रों पर ऊपरी दाहिने कोने में एक तीर का चिन्ह बना होता है।
जो उत्तर दिशा की ओर संकेत करता है। मानचित्र पर लगे इस तीर के चिन्ह से अन्य सभी दिशाओं का पता लगाया जा सकता है। अधिकांश मानचित्रों पर ऊपर की ओर उत्तर, नीचे की ओर दक्षिण दाहिने हाथ की ओर पूर्व तथा बाएँ हाथ की ओर पश्चिम दिशा होती है।