Vaccine Meaning – वैक्सीन
इसका प्रयोग शरीर के अन्दर बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। “वैक्सीन‘ – Vaccine (टीका) में कमजोर एवं मृत जर्स होते हैं, जो शरीर में इंजेक्शन, स्क्रैच और मुख के माध्यम से प्रवेश कराये जाते हैं। डिप्थीरिया, चेचक, पोलियो, टिटनेस, काली खांसी, आदि के वैक्सीन तैयार किये गये हैं। वैक्सीन का सर्व प्रथम प्रयोग ‘एडवर्ड जेनर’ ने 1796 में चेचक पर विजय प्राप्त करने के लिए किया था।
बच्चे के जन्म के समय BCG का टीका दिया जाता है।4 माह के बच्चे को ट्रिपुल एण्टीजन (DPT) का टीका लगाया जाता है।
5 वें और 6ठे महीने में भी DPT का टीका लगाया जाता है।
18वें माह में बूस्टर खुराक (Booster Dose) और ट्रिपुल एण्टीजन (DPT) दिये जाते हैं।
DPT- डिप्थीरिया, पोलियो एवं टिटनेस के लिए दिया जाता है।
चेचक, टिटनेस और टाइफाइड के टीके जीवन में कभी भी दिये जा सकते हैं।
बच्चों में दूसरे, तीसरे महीने में चेचक के टीके, तीसरे तथा पाँचवें महीने में डिप्थीरिया के, तीसरे महीने में टिटनेस, 2.5 महीने में पोलियों के साल्क वैक्सीन, तीसरे में सबिन (Sabin) टीके दिये जाते हैं।
कालरा, प्लेग और टाइफाइड के वैक्सीन बच्चों में 1 साल का होने पर दिया जाता है।
एंटीबॉडी( Antibody )
एण्टीजन के विरूद्ध हमारे रक्त में प्रोटीन का निर्माण होता है जिसे ‘एण्टीबाडी’ कहते हैं। एण्टीबाडी हमारे शरीर में, रोग रोधक का कार्य करत हैं। पेन्सिलीन, स्ट्रेप्टोमाइसीन, टेरामाईसीन आदि एण्टीबाडी हैं।
एंटीजन ( Antizen )
ये एक प्रकार के बाह्य सूक्ष्म जीव या पदार्थ होते हैं, जो स्वभावतः प्रोटीन होते हैं और व्यक्ति के रक्त पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। जीवाणु, विषाणु (Foreign Agent) एण्टीजन हैं। एण्टीजन हमारे शरीर में एण्टीबाडी के निर्माण को प्रेरित करते हैं।